Saturday , December 27 2025 12:56 AM
Home / Lifestyle / एकसाथ ये काम करने वाले पैरेंट्स के बच्‍चे नहीं बनते बुद्धू, जहां भी जाते हैं तारीफ बटोर लेते हैं

एकसाथ ये काम करने वाले पैरेंट्स के बच्‍चे नहीं बनते बुद्धू, जहां भी जाते हैं तारीफ बटोर लेते हैं

बच्‍चों को पालना या उनकी परवरिश करना सिर्फ अकेले मां की जिम्‍मेदारी नहीं होती है बल्कि इसमें दोनों पैरेंट्स को एक बराबर योगदान देना चाहिए। बच्‍चे की जिंदगी और परवरिश में मां और बाप अलग-अलग रोल निभाते हैं। पैरेंटहुड के नए फेज के साथ ही घर को संभालने, परिवार के सभी सदस्‍यों की देखभाल करने के साथ-साथ काम भी करना पड़ता है।
अब वो समय नहीं रहा है जब आदमी घर से बाहर काम करने जाते थे और महिलाओं को करियर और बच्‍चों को एकसाथ संभालना होता था। अब घरों में सिर्फ पतियों को ही पैसे कमाने की जिम्‍मेदारी नहीं मिली है बल्कि इस काम में अब महिलाएं भी बराबर की भागीदारी निभाने लगती हैं तो फिर घर की जिम्‍मेदारी और बच्‍चों की परवरिश सिर्फ मां को ही क्‍यों देनी। जहां पति-पत्‍नी दोनों मिलकर अपने घर को संभालते हैं और बच्‍चे की परवरिश में एक बराबर योगदान देते हैं, उसे इकुअल पैरेंटिंग कहते हैं।
आजकल जहां महिलाएं भी काम करने लगी हैं, ऐसे माहौल में इकुअल पैरेंटिंग की डिमांड काफी बढ़ गई है। इससे महिलाओं के कंधे पर बढ़ रहे घर-परिवार और करियर को एकसाथ संभालने का बोझ कम हो सकता है। इस आर्टिकल हम आपको इकुअल पैरेंटिंग के कुछ फायदों के बारे में बता रहे हैं।
​कब शुरू करनी चाहिए इकुअल पैरेंटिंग : इस काम को शुरू करने का कोई सही समय नहीं है। आप पैरेंटहुड में एंटर करने के पहले दिन से ही ये काम करना शुरू कर सकते हैं। डिलीवरी के बाद मांओं को बहुत कुछ सहना पड़ता है और बच्‍चे की देखभाल भी करनी पड़ती है इसलिए डैडी को बच्‍चा पैदा होने के बाद पहले दिन से ही इकुअल पैरेंटिंग पर काम कर देना चाहिए।
​क्‍या हैं फायदे : बच्‍चों की परवरिश और घर की जिम्‍मेदारियों को बांटने से आपके बचचे को भी दोनों के साथ क्‍वालिटी टाइम बिताने का मौका मिलेगा। बच्‍चा अपने दोनों पैरेंट्स के साथ बॉन्‍ड बना पाएगा।
दोनों से होगी बात : जब एक पैरेंट काम कर रहा होगा, उस समय दूसरा पैरेंट बच्‍चे के साथ बात कर सकता है और रेगुलर कॉन्‍टैक्‍ट से बच्‍चा अपने पैरेंट्स के साथ खुलकर बात कर पाएगा, अपनी प्रॉब्‍लम को शेयर कर पाएगा और पैरेंट्स की मदद ले पाएगा।
बाहर की जरूरत नहीं पड़ेगी : आजकल टीनएजर बच्‍चे अपनी परेशानियों को सुलझाने के लिए बाहर के लोगों या अपने दोस्‍तों की मदद लेते हैं जो कभी-कभी उनके लिए हानिकारक हो सकता है। लेकिन अगर उन्‍हें यह मदद घर पर ही मिल जाए तो उन्‍हें कहीं और जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। इकुअल पैरेंटिंग में आपको अपने बच्‍चे के लिए समय मिल पाता है।
कैसे करें इकुअल पैरेंटिंग : आप अपने पार्टनर के साथ बैठकर तय करें कि चीजों और कामों को कैसे बांटना है। एक ही पैरेंट के लिए रोल और ड्यूटी फिक्‍स नहीं होनी चाहिए। अगर बच्‍चा रात को बीच में ही जाग जाता है तो उसे सुलान की जिम्‍मेदारी एक-एक कर के दोनों पैरेंट्स को संभालनी चाहिए।