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डियन पैरेंट्स से मन ही मन ये चाहते हैं बच्‍चे, सोचते हैं मिल जाए तो बन जाएगी जिंदगी


हमेशा इसी बारे में बात की जाती है कि मां-बाप की अपने बच्‍चों से क्‍या उम्‍मीदें होती हैं और वो अपने बच्‍चों से क्‍या चाहते हैं या उन्‍होंने अपने बच्‍चों को लेकर क्‍या सपने देखे हैं। कभी कोई इस बारे में बात नहीं करता है कि बच्‍चा अपने पैरेंट्स से क्‍या चाहता है और उसकी अपने मां-बाप से क्‍या उम्‍मीदें होती हैं।
जी हां, जिस तरह मां-बाप अपने बच्‍चे से कुछ उम्‍मीदें रखते हैं, ठीक उसी तरह बच्‍चा भी अपने पैरेंट्स से कुछ अपेक्षाएं रखते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि बच्‍चे इंडियन पैरेंट्स से क्‍या चाहते हैं।
बच्‍चों को समझें – बच्‍चे अपने मां-बाप से यही उम्‍मीद रखते हैं कि वो उनकी भावनाओं, विचारों, दृष्टिकोण और जरूरतों को समझने की कोशिश करें। मां-बाप को लगता है कि उनके बच्‍चे ने जो किया वो गलत था लेकिन वो ये नहीं सोचते कि बच्‍चे के ऐसा करने के पीछे कारण क्‍या था। पैरेंट्स को अपने बच्‍चों को फीलिंग्‍स को समझने पर ध्‍यान देना चाहिए।
बच्‍चों के नजरिए से देखें – मां-बाप हर परिस्थिति में अपन दृष्टिकोण या नजरिया चलाते हैं जबकि उन्‍हें अपने बच्‍चों के नजरिए से भी देखना और सोचना चाहिए। अपने निजी उदाहरण और अनुभवों को छोड़कर आपको अपने बच्‍चे की ओर से सोचने की कोशिश करनी चाहिए। अगर बच्‍चे की कोई हरकत आपको पसंद नहीं आई है, तो आप एक बार उसके नजरिए से उस चीज को देखने और समझने की कोशिश करें।
गलतियों को जगह दें – अपने बच्‍चे को परफेक्‍ट बनाने की होड़ न करें। उसके लिए बिना शर्मिंदा हुए गलती करने की जगह रखें। बच्‍चे को आप पर भरोसा होना चाहिए और उसके मन में यह डर नहीं होना चाहिए कि अगर उससे कोई गलती हो गई, तो आप उसे सजा देंगे। उसे अपनी गलतियों से सीखने के लिए प्रोत्साहित करें न कि उसके मन में डर बैठा दें। उनके मन में अपनी कमियों को समझने और उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए।
सपोर्ट चाहिए होता है – बच्‍चों को अपने मां-बाप से सपोर्ट चाहिए होता है। वो चाहते हैं कि उनके मां-बाप हर तरह की परिस्थिति और मुश्किल में उनका सा‍थ दें और उन्‍हें जज किए बिना उनका सपोर्ट बनें। बच्‍चों को अपने पैरेंट्स से यही उम्‍मीद रहती है कि उनके मां-बाप उन्‍हें भावनात्‍मक रूप से सपोर्ट करें और उनका साथ दें।
भावनाओं को व्‍यक्‍त कर सके – बच्‍चों को अपनी भावनाओं और विचारों को व्यक्‍त करने की जरूरत होती है और वो चाहते हैं कि वो अपने मां-बाप से बिना डरे अपने मन की बात कह सकें। हालांकि, उन्‍हें इस बात का भी डर होता है कि कहीं उनके पैरेंट्स उन्‍हें जज न करें इसलिए बच्‍चे चाहते हैं कि उनके मां-बाप उनकी बात को सुनें, उसे समझें और उसे जज न करें। आपका बच्‍चा आपसे खुलकर बात करने में सहज महसूस करना चाहिए। अगर उसे आपसे बात करने में झिझक और डर महसूस होता है, तो आपको इसे दूर करने की कोशिश करनी चाहिए।