
कोरोना वायरस को लेकर चीन पहले ही पूरी दुनिया के निशाने पर है, ऑस्ट्रेलिया के साथ उसके संबंध और तल्ख होते जा रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया के एक थिंक-टैंक ने दावा किया है कि चीन दुनिया पर असर डालने के लिए ‘खास’ तरीके अपना रहा है। ऑस्ट्रेलिया स्ट्रटीजिक पॉलिसी इंस्टिट्यूट (ASPI) की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी (CCP) ने कूटनीति और प्रॉपगैंडा के अलावा दूसरे तरीकों को अपनाना शुरू कर दिया है। अनैलिस्ट ऐलेक्स जॉस्की की रिपोर्ट ‘The party speaks for you: foreign interference and the Chinese Communist Party’s united front system’ का चीन ने खंडन किया है।
खास यूनिट दे रही है काम को अंजाम
जॉस्की ने दावा किया है कि चीन की कम्यूनिस्ट पार्टी ने हाल ही में दुनिया के राजनीतिक सिस्टम्स में घुसपैठ करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा है कि पार्टी ने सफलता से विदेशी नेताओं, यूनिवर्सिटीज, मल्टीनैशनल कंपनियों और बाहर रह रहे चीनी समुदाय को अपने हित में प्रभावित किया है। जॉस्की का कहना है कि CCP का यूनाइटेड फ्रंट वर्क डिपार्टमेंट (UFWD) यह काम कर रहा है। उन्होंने कहा है कि CCP की इन देशों के समुदायों में दखल देने, राजनीतिक सिस्टम पर असर डालने, अहम और संवेदनशील टेक्नॉलजी को छिपकर हासिल करने की कोशिश से चीन और दूसरे देशों में तनाव बढ़ेगा।
जिनपिंग का सीक्रेट हथियार
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने UFWD को चीन का ‘सीक्रेट हथियार’ बताया था। जॉस्की उन्हीं की बात को दोहराते हुए कहते हैं कि संगठनों के गठबंधन की मदद से सामाजिक एकता को खत्म करने और नस्लीय तनाव को बढ़ाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा है कि UFWD यह भी चाहता है कि CCP के लिए इंटेलिजेंस जानकारी जुटाई जाए और टेक्नॉलजी की चोरी की जाए। जॉस्की का कहना है कि Confucius Institutes (चीनी शिक्षण संस्थान) पेइचिंग की प्रॉपगैंडा मशीन का हिस्सा है और उसके हिसाब से ही काम कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि चीनी स्टूडेंट्स और प्रफेसर ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, ब्रिटेन और अमेरिका जैसे देशों में अकैडिमक फ्रीडम को दबाने की कोशिश कर चुके हैं।
भारत से तनाव के बीच शामिल की तोप
ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि इस तोप को हाल ही में सेना में शामिल किया गया है। चीनी अखबार ने कहा कि पीएलए की 75वीं ग्रुप आर्मी के तहत आने वाली ब्रिगेड ने हाल ही में दक्षिणी सीमा पर आयोजित समारोह में कई नए हथियारों को शामिल किया है। अखबार ने कहा कि वीकल पर चलने वाली यह तोप 155 एमएम की है और इसे पहली बार 1 अक्टूबर 2019 को नैशनल डे पर सेना की परेड में शामिल किया गया था।
‘वजन में हल्की, पहाड़ों पर कारगर’
चीनी अखबार ने कहा कि इस तोप का वजन केवल 25 टन है। इससे यह स्वचालित होवित्जर तोप बेहद आसानी से लंबे समय के लिए ले जाई जा सकती है। इससे पहले इस तरह की तोपों का वजन 40 टन होता था। कम वजन के कारण के यह तो ऊंचाई वाले इलाकों में बढ़त दिला सकती है जहां पर ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। कम ऑक्सीजन होने की वजह से इंजन की क्षमता प्रभावित होती है।
डोकलाम में भी तैनात की थी यह तोप
ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि चीन की सेना ने वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान भी PCL-181 को तैनात किया था। इससे सीमा पर शांति की स्थापना में आसानी हुई। अखबार ने कहा कि भारत और चीन के बीच ताजा विवाद शुरू हो गया है। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बुधवार को कहा कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति के बाद तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि PCL-181 तोपों की तैनाती शनिवार को भारत-चीन के बीच सकारात्मक बातचीत से पहले की गई थी।
हुबेई प्रांत में चीनी सेना ने उतारे टैंक-तोप
चाइना सेंट्रल टेलीविजन ने कहा कि हुबेई प्रांत इस साल के शुरुआत में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित था लेकिन अब यहां संक्रमण पूरी तरह से नियंत्रण में आ गया है। इसलिए सैनिकों को यहां युद्धाभ्यास के लिए उतारा गया है। चीनी थलसेना के रविवार को किए गए युद्धाभ्यास में सैकड़ों बख्तरबंद वाहन, टैंक, तोप और मिसाइल ब्रिगेड को एक स्थान से दूसरे स्थान पर तैनात किया गया। चीनी सेना ने 1 जून को भी तिब्बत के ऊंचाई वाले इलाके में आधी रात के घने अंधेरे में युद्धाभ्यास किया था। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की तिब्बत मिलिट्री कमांड ने सोमवार देर रात 4,700 मीटर की ऊंचाई पर सेना भेजी और कठिन हालात में अपनी क्षमता का परीक्षण किया था।
ये काम करने का जिम्मा UFWD को
जॉस्की ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है- ‘आज दूसरे देशों में UFWD CCP के राजनीतिक प्रभाव को बढ़ाने, चीन के खिलाफ चल रहे आंदोलनों को दबाने, ताईवान को हासिल करने कि लिए अनुकूल अंतरराष्ट्रीय माहौल बनाने, इंटेलिजेंस जुटाने, चीन में निवेश को बढ़ावा देने और टेक्नॉलजी के ट्रांसफर के लिए काम कर रहा है।’ इसके लिए बड़ी मात्रा में समुदायों, बिजनस और स्टूडेंट ऑर्गनाइजेशन्स को फंड किया जाता है जो चीन के साथ अपने संबंध जाहिर नहीं करते हैं। उन्होंने बताया है कि ऑस्ट्रेलियन नैशनल यूनिवर्सिटी और पार्लमेंट में डिजिटल हमले से चीन के तार जुड़े थे।
चीनी संबंध हो न दिया जाए वीजा
जॉस्की ने ऑस्ट्रेलिया की सरकार से CCP से संबंध वाली मीडिया एजेंसियों और कॉर्पोरेशन्स को वीजा न देने की अपील की है। जॉस्की का कहना है कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान UFWD ने ऑस्ट्रेलिया के संगठनों की मदद से मेडिकल सप्लाई चीन भेजने की कोशिश की। पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया की बॉर्डर फोर्स को मास्क और दूसरे पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट का बड़ा शिपमेंट मिला था। उन्होंने शक जताया है कि लोकतांत्रिक देशों के बीच में पेइचिंग के बढ़ते प्रभाव को खत्म करने के लिए सहयोग जरूरी है। उन्होंने यह भी कहा है कि अंतरराष्ट्रीय सरकारें पेइचिंग के प्रॉपगैंडा को जानते हुए भी CCP के खुले तौर पर चालू अजेंडा को पहचान नहीं सकी हैं।
कोरोना वायरस को लेकर तल्ख हुए संबंध
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने इस बारे में कहा है कि उन्हें रिसर्च के आधार के बारे में तो नहीं पता लेकिन उन्हें ये पता है कि ऑस्ट्रेलिया में लोग आर्टिकल लिख रहे हैं और इस संस्थान (ASPI) को अमेरिकी सरकार और आर्म डीलर्स से वित्तीय सहायता मिलती है। इसलिए वह चीन के विरोध में मुद्दों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश करता है। वहीं, ऑस्ट्रेलिया के कोरोना वायरस की जांच की मांग करने के बाद चीन ने ऑस्ट्रेलिया के बीफ का निर्यात बंद कर दिया और जौं पर टैरिफ लगा दिया। यहां तक कि स्टूडेंट्स और टूरिस्ट्स को सलाह दी गई है कि वे ऑस्ट्रेलिया न जाएं। इस पर ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि वह चीन से डरने वाले नहीं हैं।
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