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चीन ने दोस्‍त पाकिस्‍तान को दिया धोखा, फलस्‍तीन पर बैठक में बुलाया तक नहीं, बेइज्‍जती के बाद भी नहीं सुधरे शहबाज


चीन ने पाकिस्‍तान को बड़ा झटका दिया है। चीन ने फलस्‍तीनी गुटों की एक अहम बैठक की और उसमें पाकिस्‍तान को बुलाया तक नहीं। इसके बाद भी शहबाज शरीफ ने चीन की कूटनीतिक सफलता की जमकर तारीफ की है। इसको लेकर पाकिस्‍तानी विश्‍लेषकों ने सरकार की नीति पर सवाल उठाए हैं।
गाजा युद्ध को लेकर मु‍स्लिम देशों में नेता बनने की कोशिश कर रहे पाकिस्‍तान को बड़ा झटका लगा है। चीन ने पिछले फलस्‍तीन को लेकर एक अहम बैठक की और इस्‍लामिक देशों के संगठन ओआईसी के 10 सदस्‍य देशों तथा रूस को इसमें आमंत्रित किया। वहीं चीन की सरकार ने ‘आयरन ब्रदर’ पाकिस्‍तान को इसमें नहीं बुलाया। चीन ने यह कदम तब उठाया है जब पाकिस्‍तान में इजरायल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और शहबाज सरकार ने नेतन्‍याहू को ‘आतंकी’ घोषित कर दिया है। यही नहीं पाकिस्‍तान की सरकार ने कंगाली के बाद भी बड़ी मात्रा में राहत सामग्री गाजा के लोगों को भेजी है और यह दिखाने की कोशिश की है कि वह मुस्लिम जनता के साथ खड़ा है। चीन की इस बेइज्‍जती के बाद भी शहबाज शरीफ नहीं सुधरे और उन्‍होंने जिनपिंग सरकार की तारीफ के पुल भी बांध डाले।
पाकिस्‍तानी मीडिया में इसको लेकर चीन के प्रति गुस्‍सा भी है। पाकिस्‍तानी विश्‍लेषकों का कहना है कि इस्‍लामाबाद ने फलस्‍तीन के सवाल पर हमेशा से स्‍पष्‍ट और सैद्धांतिक रुख अपनाया है। पाकिस्‍तान के चर्चित पत्रकार अनस मलिक का कहना है कि चीन की ओर से पाकिस्‍तान को अनदेखा करना वास्‍तविकता से परे है। वह भी तब जब पाकिस्‍तान ओआईसी का बहुत प्रभावशाली देश है। उन्‍होंने कहा कि संभवत: अब समय आ गया है कि पाकिस्‍तान ओआईसी के अंदर अपने प्रभाव की समीक्षा करे। पाकिस्‍तान की इस बेइज्‍जती के बाद भी शहबाज शरीफ नहीं सुधरे और उन्‍होंने फलस्‍तीनी गुटों के एक अंतरिम सरकार के गठन के बीजिंग घोषणापत्र की तारीफ कर डाली।
पाकिस्‍तान और चीन के रिश्‍ते में क्‍यों है तनाव? – शहबाज शरीफ ने चीन की भी इस ‘राजनयिक सफलता’ के लिए प्रशंसा की और फलस्‍तीन को पाकिस्‍तान के समर्थन को फिर से दोहराया। मध्‍य पूर्व मामलों के विश्‍लेषक एफजे कहना है कि चीन के पाकिस्‍तान को नहीं बुलाने के पीछे कई कारण हैं। उन्‍होंने कहा कि इमरान खान के कार्यकाल में पाकिस्‍तान के विदेश नीति को गंभीर झटका लगा। इमरान खान के समय में सऊदी अरब के साथ पाकिस्‍तान के रिश्‍ते रसातल में चले गए थे जो अभी तक पूरी तरह से ठीक नहीं हुए हैं। इस घटनाक्रम के बाद से ही ओआईसी में पाकिस्‍तान का प्रभाव भी बहुत कम हो गया।