
चीन अपने परमाणु हथियारों के जखीरे को दोगुना करने की योजना बना रहा है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन से मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इस दशक के अंत तक चीन अपनी परमाणु हथियारों के भंडार को दोगुना कर सकता है। चीन इस दौरान परमाणु वॉरहेड ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों को भी शामिल करेगा। ये मिसाइलें अमेरिका तक मार करने में सक्षम होंगी।
न्यूक्लियर फोर्स का अधुनिकीकरण कर रहा चीन
China Military Power नाम की इस रिपोर्ट में पेंटागन ने कहा है कि चीन के परमाणु बलों का आधुनिकीकरण और विस्तार पेइचिंग के विश्व स्तर पर अधिक मुखर स्थिति विकसित करने का साधन है। वह एशिया प्रशांत क्षेत्र में एक प्रमुख शक्ति बनने के साथ ही 2049 तक अमेरिका के बराबर या अधिक परमाणु शक्ति को बढ़ाने के अपने लक्ष्य के तहत कार्य कर रहा है।
दो गुने हो जाएंगे चीन के परमाणु हथियार
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन की न्यूक्लियर फोर्स अगले दशक में महत्वपूर्ण रूप से विकसित हो जाएगी। इस दौरान चीन जमीन, हवा और पानी से परमाणु हमला करने के अपने साधनों की संख्या को भी बढ़ा लेगा। अगले दशक में चीन के परमाणु युद्धक भंडार कम से कम दोगुने हो जाएंगे क्योंकि चीन अपनी न्यूक्लियर फोर्स का लगातार आधुनिककरण और विस्तार कर रहा है।
अमेरिका की तुलना में होंगे बहुत कम
चीन के परमाणु हथियार दोगुने होने के बाद भी अमेरिका की तुलना में बहुत छोटे होंगे। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीन के पास तब सक्रिय और रिजर्व भंडारों को मिलाकर 3800 वॉरहेड होंगे। अमेरिका की तरह चीन के पास कोई न्यूक्लियर एयरफोर्स नहीं होगी लेकिन वह हवा से लॉन्च होने वाले न्यूक्लियर बैलिस्टिक मिसाइलों को विकसित कर इस गैप को भरने का प्रयास कर रहा है।
चीन के परमाणु हथियारों पर रोक लगाना चाहता है अमेरिका
ट्रंप प्रशासन चीन के स्ट्रैटजिक परमाणु हथियारों को सीमित करने के लिए रूस को भी आमंत्रित कर रहा है। लेकिन, इस बीच चीन ने इस बातचीत में शामिल होने से इनकार कर दिया है। चीनी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा है कि चीन का शस्त्रागार बातचीत की सीमा में शामिल होने के लिए बहुत छोटा है। चीन से परमाणु हथियारों को लेकर बातचीत के लिए बेताब अमेरिका खुद रूस के साथ न्यू स्टार्ट ( New START) नाम के हथियारों की संधि से बाहर निकल गया है। अमेरिका और रूस के बीच हथियारों के बढ़ते रेस को रोकने के लिए हुई यह संधि फरवरी 2021 में खत्म होने वाला है। लेकिन, अगर रूस और अमेरिका इसे आगे बढ़ाने पर सहमत होते हैं तो यह संधि अगले पांच साल के लिए फिर लागू हो जाएगी।
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