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भारत-नेपाल की बढ़ती नजदीकी से घबराया चीन, रक्षा मंत्री को काठमांडू भेज रहे जिनपिंग


भारत और नेपाल के बीच बढ़ती नजदीकी से चीन सकते में है। हाल में ही भारत के कई अधिकारियों के तबाड़तोड़ नेपाल दौरे को देखते हुए जिनपिंग प्रशासन ने भी अपने रक्षा मंत्री को काठमांडू भेजने का फैसला किया है। नेपाली विदेश मंत्रालय के अनुसार, चीन के रक्षा मंत्री जनरल वेई फेंगही रविवार को नेपाल की यात्रा पर आयेंगे और देश के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करेंगे।
राष्ट्रपति और पीएम ओली से भी मिलेंगे चीनी रक्षा मंत्री : रिपोर्ट के अनुसार, अपनी एक दिन की यात्रा के दौरान स्टेट काउंसलर वेई राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी और प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली से शिष्टाचार के नाते मुलाकात करेंगे। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि चीनी रक्षा मंत्री नेपाली सेना के प्रमुख जनरल पूर्ण चन्द्र थापा से भी मुलाकात करेंगे। वेई उसी शाम पेइचिंग वापस लौट जायेंगे।

चीनी राजदूत से पीएम ओली ने बनाई दूरी : पीएम ओली ने काठमांडू में तैनात चीन के राजदूत हाओ यांकी से दो टूक कहा है कि वे किसी दूसरे देश की सहायता के बिना ही अपनी पार्टी के भीतर की चुनौतियों से निपट सकते हैं। बता दें कि नेपाल में पीएम ओली के खिलाफ सत्तारूढ़ नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी के चेयरमैन पुष्प कमल दहल प्रचंड ने फिर से मोर्चा खोला हुआ है। यांकी शुरू से ही ओली के पक्ष में खुलकर लाबिंग कर रही हैं।
तीन भारतीय अधिकारियों के नेपाल दौरे से सहमा चीन : हाल में ही भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के चीफ सामंत कुमार गोयल ने काठमांडू में नेपाली पीएम ओली से अकेले में मुलाकात की थी। जिसके बाद भारतीय सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे तीन दिवसीय यात्रा पर काठमांडू पहुंचे थे। इस दौरान उन्हें नेपाली राष्ट्रपति ने सम्मानित भी किया था। आज से कुछ दिन पहले ही भारतीय विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला भी नेपाल यात्रा पर गए थे।
भारत-नेपाल तनाव का पेइचिंग कनेक्शन, चर्चा में चीन की महिला राजदूत : नेपाल में मचे सियासी घमासान को लेकर पीएम ओली सीधे तौर पर भारत पर आरोप लगा रहे हैं। उन्होंने कुछ दिन पहले ही एक कार्यक्रम में भारत के ऊपर अपनी सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। वहीं, खुफिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि नेपाली पीएम देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर भारत विरोधी सभी कदम उठा रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि नेपाल के नक्शे को नए सिरे से परिभाषित करने के लिए चीनी राजदूत ने प्रधानमंत्री ओली को प्रेरित करने का काम किया है। खुफिया सूत्रों ने कहा कि हिमालयी गणराज्य नेपाल में युवा चीनी राजदूत होउ यानकी नेपाल की सीमा को फिर से परिभाषित किए जाने के लिए कॉमरेड ओली के कदम के पीछे एक प्रेरणादायक कारक रही हैं। यानी नेपाल जो भारत के कालापानी और लिपुलेख को अपने नक्शे में दर्शा रहा है, उसके पीछे चीनी राजदूत की ही कूटनीति और दिमाग काम कर रहा है।
पाकिस्तान में 3 साल तक काम कर चुकीं होउ का ओली के कार्यालय और निवास में अक्‍सर आना-जाना लगा रहता है। इसके अलावा नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी का वह प्रतिनिधिमंडल, जो राजनीतिक मानचित्र को बदलने के लिए संविधान संशोधन विधेयक का मसौदा तैयार करने में सहायता कर रहा था, वह चीनी राजदूत के संपर्क में था। चीन के विदेश नीति के रणनीतिकारों के इशारे पर काम कर रही युवा चीनी राजदूत को नेपाल में सबसे शक्तिशाली विदेशी राजनयिकों में से एक माना जाता है।
एक खुफिया रिपोर्ट में कहा गया है, पाकिस्तान में सेवा करने के अलावा, वह चीन के विदेश मंत्रालय में एशियाई मामलों के विभाग में एक महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रही थीं। यही नहीं बताया जा रहा है कि चीनी राजदूत कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के आंतरिक मतभेदों को दूर करने में भी लगी हुई हैं। नेपाल में जारी इस शह और मात के खेल में किसकी जीत होगी, यह देखना अब बेहद दिलचस्‍प होगा।
ओली ने पिछले दिनों भारत की ओर इशारा करते हुए दावा किया था कि काठमांडू के एक होटल में उन्हें हटाने के लिए बैठकें की जा रही है और इसमें एक दूतावास भी सक्रिय है। उन्होंने दावा किया कि कालापानी और लिपुलेख को नेपाली नक्शे में दिखाने वाले संविधान संशोधन के बाद से उनके खिलाफ साजिशें रची जा रही हैं। ओली ने आरोप लगाया कि उन्हें पद से हटाने के लिए खुली दौड़ हो रही है।

बिना किसी सबूत के भारत पर इतने गंभीर आरोप लगाने के बाद अब ओली खुद ही अपनी पार्टी में घिर गए हैं। प्रचंड ने कहा कि भारत ने नहीं बल्कि उन्‍होंने ओली के इस्‍तीफे की मांग की है। प्रचंड ने कहा कि ओली न केवल प्रधानमंत्री के पद से बल्कि पार्टी अध्‍यक्ष के पद से भी इस्‍तीफा दें।

नेपाली कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में यह भी चर्चा है कि ओली अपने खिलाफ बन रहे मोर्चाबंदी को तोड़ने के लिए पार्टी के अंदर ही टूट करा सकते हैं। पार्टी के अंदर चल रही इस कलह से बेफिक्र केपी शर्मा ओली भारत के खिलाफ जहर उगलने में लगे हुए हैं। ओली के इस भारत विरोध और अतिआत्‍मव‍िश्‍वास के पीछे एक बड़ी वजह है। दरअसल, भारतीय खुफिया एजेंसियों का अनुमान है कि नेपाली पीएम देश में चीन की राजदूत हाओ यांकी के इशारे पर ये सभी कदम उठा रहे हैं।

भारत से संबंध सुधार रहे ओली : पीएम ओली ने 2020 से शुरूआत से ही भारत विरोधी रूख रखा हुआ था। लेकिन, भारतीय अधिकारियों के दौरे के बाद उनके रूख में नरमी देखने को मिल रही है। इधर भारत ने भी सीमा विवाद को लेकर बातचीत का संकेत दिया है। नेपाल में भी चीन की अंदरूनी सक्रियता और नेपाली जमीन पर कब्जे को लेकर लोगों में गुस्सा है। ऐसे में ओली जनता के विरोध का कोई चांस नहीं लेना चाहते हैं।