
चीन के वुहान से शुरू हुए कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हड़कंप मचा रखा है। चीन में अब तक 81 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं जबकि कोरोना से मरने वालों की संख्या 4 हजार तक पहुंच चुकी हैं। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि चीन में अब कोरोना का असर कम होने लगा है। जिसको देखते हुए चीन अपने शहरों से लॉकडाउन भी हटाने की तैयारी कर रहा है। 60 दिन बाद ये बंद हटने जा रहा है लेकिन इस बीच वैज्ञानिकों ने चीन के लिए एक बड़ी चेतावनी दी है।
एक मैगजीन के अनुसार, हांगकांग यूनिवर्सिटी के महामारी विशेषज्ञ बेल काउलिंग ने कहा है कि चीन भले ही अभी लॉकडाउन खत्म करना चाहता है लेकिन चीन में एक बार फिर कोरोना वायरस वापस आएगा। आशंका जताते हुए बेल ने कहा कि कोरोना चीन में अप्रैल के अंत तक एक बार फिर तबाही मचा सकता है।
यूरोप को करने होंगे कड़े उपाय
बेल ने कहा है कि अगर यूरोप चाहता है कि ये महामारी वापस न आए तो यूरोप को कड़ी मेहनत करनी होगी लेकिन यूरोप के इलाज करने के तरीके को देख कर लग रहा है कि उन्हें करीब 2 साल तक कोरोना मरीजों को बाकी लोगों से अलग रखना पड़ेगा। तभी जाकर ये देश अपने लोगों को बचा सकेंगे।
दोबारा टेस्टिंग का विकल्प
बेन का कहना है कि अब चीन को अपने सभी प्रांतों में फिर से टेस्टिंग करनी होगी ताकि यह पता चल सके कि अब भी कितने लोग कोरोना वायरस की चपेट में हैं और कितने लोग इससे ठीक हो चुके हैं। सिर्फ इतना ही नहीं टेस्टिंग से ये भी पता लगा सकेगा कि कितने लोग ऐसे हैं जिनमें हल्के-फुल्के लक्षण हैं और वो वापस बीमार पड़ सकते है। अगर चीन ऐसा कर पाया तो वो समय रहते दूसरी बार कोरोना पर विजय पा लेगा।
दोबारा संक्रमण के चांस
एक शोध की माने तो चीन में जितने मामले आए उसके आधे मामले वुहान शहर के थे। इनमें से सिर्फ 10 फीसदी लोग ही कोरोना वायरस से इम्यून हो पाए, यानी ये मनाकर चलना होगा कि अब भी हजारों लोग ऐसे हैं जिन्हें कोरोना का संक्रमण दोबारा हो सकता है। इसका उदहारण देख सकते हैं, हुबेई प्रांत जहां अब तक करीब 6 करोड़ लोग सामान्य स्थिति में नहीं पहुंच पाए हैं। लोग धीरे-धीरे अपने घरों और काम पर वापस जा रहे हैं। वहीँ, वुहान में 8 अप्रैल को लॉकडाउन हटेंगे और तब लोगों की तुरंत जांच किया जाना जरुरी होगा।
जांच ही बचाएगी
वैज्ञानिक यह चेतावनी भी देते हैं कि अगर लॉकडाउन हटने के तुरंत बाद जांच नहीं कराई तो दो हफ्ते बाद यानी अप्रैल के अंत तक कोरोना वायरस से हल्के या कमजोर स्तर पर बीमार लोग गंभीर रूप से दूसरी आपदा लाने के जिम्मेदार माने जायेंगे। हालांकि इसका इलाक वैक्सीन हो सकता था लेकिन फिलहाल अभी वो बना पाना संभव नही है, इसलिए बचाव ज्यादा बेहतर विकल्प साबित होगा।
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