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भारतीयों की कैलाश-मानसरोवर यात्रा से डरा चीन! बढ़ा दी फीस, नियम भी बेहद कड़े किए, जानें अब कितना खर्च आएगा?


चीन अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा. चीनी सरकार ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा का खर्च बढ़ा दिया है. इसके साथ ही उसने कुछ नियम बेहद कड़े कर दिए हैं. कैलाश-मानसरोवर की यात्रा करने के लिए अब भारतीय नागरिकों को कम से कम 1.85 लाख रुपये खर्च करने होंगे. किसी आम भारतीय के लिए इतनी बड़ी रकम चुकाना मुश्किल है.
बता दें कि दोनों देशों में सीमा पर झड़प तथा कोरोना महामारी के प्रकोप के चलते कैलाश-मानसरोवर यात्रा पर रोक लगा दी गई थी. चीनी सरकार ने हिंदू अनुयायियों की बहुप्रतीक्षित यात्रा को तीन साल बंद रखा. हालांकि, भारत-रूस और चीन की अगुवाई वाले संगठन SCO की दिल्ली-गोवा में हुई समिट के बाद अब चीन ने कैलाश-मानसरोवर यात्रा के लिए चीन ने वीसा देने शुरू कर दिए हैं.
भारतीयों के प्रवेश को सीमित करने की चीनी चाल! – चीनी सरकार की वेबसाइट पर बताया गया है​ कि अब हर यात्री को काठमांडू बेस पर ही अपनी यूनीक आइडेंटिफेशन करानी होगी. इसके लिए फिंगर मार्क्स और आंखों की पुतलियों की स्कैनिंग होगी. नेपाली टूर ऑपरेटरों का कहना है कि कठिन नियम विदेशी तीर्थयात्रियों विशेषकर भारतीयों के प्रवेश को सीमित करने के लिए बनाए गए हैं. चीनी सरकार की ओर से इसके नियम बेहद कड़े कर दिए हैं. साथ ही यात्रा पर लगने वाले कई तरह की फीस लगभग दोगुनी कर दी है. वहां जाने के लिए भारतीयों को कम से कम 1.85 लाख रुपये खर्च करने होंगे.
वीजा पाने के लिए अब 5 लोगों का होना जरूरी – हिंदू अनुयायियों के बीच मान्यता हैं कि आज जहां कैलाश मानसरोवर पर्वत का शिखर है, वहीं भगवान शिव का वास है, इसलिए हर साल बहुत से हिंदू वहां दर्शन करने जाया करते हैं. कैलाश मानसरोवर यात्रा विदेश मंत्रालय की ओर से जून से सितंबर के बीच आयोजित करवाई जाती है. इस यात्रा में 2 से 3 हफ्ते लगते हैं.
चीनी सरकार ने नियम बनाया है​ कि वीजा पाने के लिए अब 5 लोगों का होना जरूरी है. इसके अलावा ऑनलाइन आवेदन स्वीकार नहीं होगा. यानी, यात्री को पहले चीनी दूतावास के चक्कर काटने पड़ेंगे.
3 मार्गों से जाते हैं वहां दर्शन करने – कैलाश मानसरोवर की यात्रा 3 अलग-अलग राजमार्ग से होती है. इनमें पहला रूट है- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), दूसरा रूट है- नाथू दर्रा (सिक्किम) और तीसरा रूट है- नेपाल की राजधानी काठमांडू से होते हुए. बताया जाता है कि इन तीनों रूट पर कम से कम 14 और अधिकतम 21 दिन का समय लगता है.
2020 से बंद थी यह यात्रा – 2019 में 31 हजार भारतीय यात्रा पर गए थे, उसके बाद 2020 की शुरूआत में कोरोना महामारी फैल गई थी, और जून 2020 में भारत-चीन की सेनाओं के बीच खूनी संघर्ष हुआ था. जिसके कारण यह यात्रा बंद रही. इस साल यह फिर से शुरू की गई है.