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बांग्लादेश के साथ बैठक के लिए चीन ने अचानक बदला फॉर्मेट, मोहम्मद यूनुस को मिल रहा शाही ट्रीटमेंट, ये है जिनपिंग का शातिर प्लान?


बांग्लादेश के पूर्व डिप्लोमेट ने ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा है कि बैठक के दौरान “चीन, बांग्लादेश की भविष्य की नीतियों और उसके द्वारा अपनाए जाने वाले मॉडल को समझने की कोशिश कर सकता है।” इसके अलावा चीन चाहता है कि बांग्लादेश ‘एक चीन नीति’ पर फिर से शपथ ले और ताइवान के साथ अपने संबंधों को कम करे।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस इस वक्त चीन के दौरे पर हैं। इस दौरान उन्हें जबरदस्त किस्म का भाव दिया जा रहा है। बांग्लादेशी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मोहम्मद यूनुस को चीन में स्पेशल ट्रीटमेंट दिया जा रहा है। इसके अलावा शी जिनपिंग के साथ 28 मार्च को होने वाली बैठक को चीन काफी महत्वपूर्ण बता रहा है, जिससे संकेत मिल रहे हैं कि चीन, भारत के पड़ोसी देश के लिए शातिर प्लान बना रहा है। ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक चीन बांग्लादेश के साथ नजदीकी और भविष्य के लिए एक अत्यधिक महत्वपूर्ण संबंध विकसित करने पर फोकस कर रहा है।
बांग्लादेश के एक्सपर्ट्स का मानना है कि मोहम्मद यूनुस के दौरे से और शी जिनपिंग के साथ होने वाली द्विपक्षीय बैठक से बांग्लादेश और चीन के संबंध ना सिर्फ काफी मजबूत होने की संभावना है, बल्कि दोनों देशों के बीच नये अवसरों के भी खुलने की संभावना होगी। बांग्लादेशी एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर दे रहे हैं कि चीन के साथ संबंध मजबूत होने से वैश्विक संतुलन बनाए रखने में मदद मिलेगी। जाहिर तौर पर उनका इशारा भारत को लेकर है।
चीन ने अचानक बदल दिया द्विपक्षीय बैठक का फॉर्मेट – बांग्लादेश की सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस 26 मार्च को चीन पहुंचे हैं। इस दौरान वो हैनान प्रांत में होने वाले बोआओ फोरम में हिस्सा लेंगे, जिसमें एशिया के कई देश हिस्सा ले रहे हैं। इस फोरम में भाग लेने के बाद वो चीन सरकार से मिले आधिकारिक निमंत्रण पर बीजिंग का दौरा करेंगे और 28 मार्च को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ उनकी द्विपक्षीय बैठक होगी। मुख्य सलाहकार डॉ. मुहम्मद यूनुस बुधवार को चीन के हैनान प्रांत में एशिया के लिए बोआओ फोरम में भाग लेने के लिए ढाका से रवाना हुए। फोरम में भाग लेने के बाद, वे चीनी सरकार के निमंत्रण पर आधिकारिक द्विपक्षीय यात्रा पर बीजिंग जाएंगे। वहां, राष्ट्रपति शी जिनपिंग और मुख्य सलाहकार के बीच 28 दिसंबर को बैठक होगी। हालांकि शुरू में बांग्लादेशी मीडिया ने विदेश मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा था कि दोनों नेताओं के बीच सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात होने की संभावना थी और किसी तरह के स्पेशल द्विपक्षीय बैठक की उम्मीद नहीं थी। लेकिन बाद में द्विपक्षीय बैठक को प्लान किया गया।
रिपोर्ट के मुताबिक मोहम्मद यूनुस की यात्रा से ठीक पहले चीन ने बांग्लादेश को बताया कि 30 मिनट तक चलने वाली इस बैठक का फॉर्मेट ‘आमने-सामने’ की बैठक में होगी। यानि शी जिनपिंग और मोहम्मद यूनुस के बीच आमने-सामने चर्चा होगी। दरअसल विदेश नीति में ऐसे व्यवहारों को काफी महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर उस वक्त जब एक मजबूत देश के नेता किसी कमजोर देश के राष्ट्राध्यक्ष से मुलाकात कर रहे हों। इस बैठक का मतलब ये है कि चीन, बांग्लादेश को काफी महत्वपूर्ण देश की तरह भाव दे रहा है। जाहिर तौर पर वो भारत के ऊपर बांग्लादेश में कूटनीतिक बढ़त हासिल करना चाहता है। इस बैठक में बांग्लादेश की तरफ से मोहम्मद यूनुस के साथ 8 और अधिकारी होंगे और उनकी मदद के लिए चार अतिरिक्त सरकारी अधिकारी मौजूद होंगे। यानि बांग्लादेश की तरफ से इस बैठक में 13 लोग शामिल होंगे। जबकि चीन की तरफ से भी इस बैठक को भारी-भरकम दिखाने के लिए 13 लोग शामिल होंगे। एक्सपर्ट्स का मानना है कि बैठक को औपचारिक रूप देकर चीन ने इसके महत्व को बढ़ा दिया है। बांग्लादेश के एक पूर्व राजनयिक ने कहा है कि “यह बैठक दोनों देशों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बैठक के बाद जारी होने वाला संयुक्त बयान से बैठक कितना कामयाब रहा, इसे जाना जा सकेगा।”
बांग्लादेश के पूर्व डिप्लोमेट ने ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा है कि बैठक के दौरान “चीन, बांग्लादेश की भविष्य की नीतियों और उसके द्वारा अपनाए जाने वाले मॉडल को समझने की कोशिश कर सकता है।” वहीं एक अन्य पूर्व राजनयिक ने कहा कि “चीन अंतरिम सरकार के कार्यकाल और उसकी सुधार गतिविधियों के बारे में जानकारी हासिल कर सकता है। इसके अलावा वे व्यापक भू-राजनीतिक संदर्भ में बांग्लादेश-चीन संबंधों पर दिलचस्पी दिखा सकता है।