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भारत से सीमा पर तनाव के बीच तिब्बत में निर्माणकार्य तेज करेगा चीन, 146 अरब डॉलर के निवेश का प्लान


भारत के साथ लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक की सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति के बीच चीन एक और बड़ा कदम उठाने जा रहा है। चीन ने तिब्बत में इन्फ्रास्ट्रक्चर में करीब 146 अरब डॉलर निवेश करने का प्लान बनाया है। ये निवेश पहले से जारी प्रॉजेक्ट्स को पूरा करने के अलावा नए प्रॉजेक्ट्स शुरू करने के लिए भी किया जाएगा। हाल के वक्त में सीमा के पास चीन के निर्माण गतिविधियां बढ़ाने के संकेत सैटलाइट तस्वीरों से मिलते रहे हैं। इसमें एयरबेस, बैरक और मिसाइल साइट भी शामिल हैं।

तिब्बत में काम करने की जरूरत
पिछले हफ्ते चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की मीटिंग के दौरान तिब्बत के भविष्य को लेकर चर्चा की गई थी। इसमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अब तक किए गए काम की तारीफ की और साथ ही यह भी कहा कि अभी इस क्षेत्र में और काम करने की जरूरत है। चीन की आधिकारिक न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक जिनपिंग ने कहा है कि कई बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट और पब्लिक फसिलटी पूरी की जानी हैं।

नेपाल सेक्शन पर स्थिति का जायजा लेने का काम जारी है। ये अधिकारी सर्वे कर रहे हैं और डिजाइन तैयार कर रह हैं। वहीं, दूसरी ओर स्थानीय लोग इस प्रॉजेक्ट को ‘कागतको रेल’ (पेपर रेल) और ‘सपनको रेल’ (सपनों की रेल) कह रहे हैं। अभी तक नेपाल व्यापार और ट्रांजिट रूट्स के लिए भारत पर निर्भर था। नेपाल का इकलौता रेल लिंक 35 किमी का ट्रैक है जिसे भारत ने बनाया है। ऐसे में चीन ने वादा किया है कि वह उसे वैकल्पिक रास्ते देगा ताकि भारत पर निर्भरता कम हो।

इसे लेकर देश के अंदर अलग-अलग तरह के विचार भी हैं। कुछ एक्सपर्ट्स इसे नेपाल के लिए अच्छा मौका देख रहे हैं जिससे वह चीन और भारत के बीच में ट्रांजिट हब बन सकेगा। वहीं, दूसरे एक्सपर्ट्स का मानना है कि नेपाल को चीन से मिलने वाले कर्ज को लेकर सावधान रहना चाहिए। छोटी अर्थव्यवस्था होने के चलते नेपाल में इस बात पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या ये कर्ज वापस किए जा सकेंगे?

चीन ने नेपाल से कनेक्टिविटी का वादा तो किया है लेकिन जिस रास्ते पर यह रेलवे प्रॉजेक्ट बनाया जाना है, वह इतना ऊबड़-खाबड़ है कि यह अपने आप में एक चुनौती है। चीन ने 2018 में एक टेक्निकल स्टडी में कई रुकावटों का जिक्र किया था। किरियॉन्ग के पास पाइकू झील जाने वाली उत्तरी और दक्षिणी ढलानों पर रैंप का निर्माण जरूरी हो गया। इसके बिना काठमांडू सेक्शन को ट्रैक से जोड़ा जाना मुश्किल था क्योंकि हिमालय के दोनों ओर ऊंचाई में काफी फर्क है।

आने वाले हफ्तों में शुरू हो जाएगा काम
इसमें सिचुआन से तिब्बत के बीच रेलवे लाइन को पूरा करना, लंबे वक्त से लंबित नेपाल से तिब्बत के बीच रेल लिंक को पूरा करना और तिब्बत में ड्राई पोर्ट का निर्माण शामिल है। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स ने अपने सूत्रों के हवाले से बताया है कि सिचुआन-तिब्बत के बीच चेंगडू और ल्हासा को जोड़ने वाली रेलवे लाइन के निर्माण का काम आने वाले हफ्तों में शुरू हो जाएगा। माना जा रहा है कि करीब 270 बिलियन युआन की लागत से बनने वाले रेल सेक्शन में सबसे चुनौतीपूर्ण भारत की सीमा से लगी भौगोलिक स्थिति है।

तिब्बत को बाकी चीन से जोड़ने की कोशिश
चीन तिब्बत-नेपाल के बीच काठमांडू और शिगात्से को जोड़ने वाली रेलवे लाइन पर भी जोर दे रहा है। यह लाइन भी भारत की सीमा के करीब से गुजरेगी। चीन की कोशिश है कि रेल लिंक के जरिए चीन के मुख्य भूभाग से तिब्बत को जोड़ा जा सके। तिब्बत में चीन भारी सुरक्षा तैनात करके रखता है। वहां अपने खिलाफ हो रहे विरोध को भी दबाने में जुटा रहता है। इसे लेकर वह दुनिया के निशाने पर भी रहता है। जुलाई में अमेरिका के विदेश सचिव माइक पॉम्पियो ने कहा था कि अमेरिका ऐसे चीनी अधिकारियों के वीजा पर प्रतिबंध लगाएगा जो तिब्बत में कूटनीतिक ऐक्सेस नहीं पहुंचने दे रहे और मानवाधिकार उल्लंघन में शामिल हैं।