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रूसी जमीन पर कब्‍जा चाहता है चीन, खौफ में रहती है सेना, जिनपिंग के धोखे से पुतिन को बचाएगा दोस्‍त भारत?


रूस के राष्‍ट्रपत‍ि व्‍लादिमीर पुतिन सत्‍ता संभालने के ठीक बाद पहले विदेश दौरे पर चीन पहुंचे हैं। रूसी राष्‍ट्रपति यह चीन दौरा ऐसे समय पर कर रहे हैं जब यूक्रेन युद्ध को लेकर पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ अपने प्रत‍िबंध को बढ़ा दिया है। पुतिन के इस दौरे से साफ है कि अभी उन्‍हें चीन का पूरा साथ मिल रहा है। पुतिन और शी जिनपिंग दोनों ने इससे पहले ऐलान किया था कि दोनों देशों के बीच ‘बिना किसी सीमा’ वाली दोस्‍ती होगी। दोनों नेता भले ही यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि उनकी दोस्‍ती अटूट है लेकिन रूस और चीन के बीच सीमा पर विवाद बढ़ रहा है। कई विश्‍लेषक यह भी कह रहे हैं कि चीन की नजर अब रूस के व्‍लादिवोस्‍तोक इलाके पर है जो कभी चीन का हिस्‍सा था। इस इलाके में चीन का प्रभाव बढ़ता जा रहा है और इससे निपटने के लिए रूस ने भारत से मदद मांगी है। आइए जानते हैं पूरा मामला….
यूक्रेन युद्ध के बाद रूस और चीन के बीच व्‍यापार रेकॉर्ड स्‍तर पर पहुंचता दिख रहा है। चीन जमकर तेल और गैस रूस से खरीद रहा है और इसके बदले में उसे मशीनरी तथा अन्‍य सामानों की आपूर्ति कर रहा है। अभी पश्चिमी देशों ने इन सामानों की आपूर्ति रोक दी है। विश्‍लेषकों का कहना है कि चीन रूस के साथ अभी इसलिए मदद कर रहा है ताकि अगर वह ताइवान पर कोई कार्रवाई करे तो उसे मास्‍को का साथ मिल सके। उनका कहना है कि चीन का इरादा रूसी जमीन पर भी कब्‍जे का है लेकिन इससे पहले उसके निशाने पर भारत, फिलीपीन्‍स और जापान जैसे देश हैं।
रूसी सेना को रहता है चीनी हमले का डर – रूस और चीन में भले ही यह दोस्‍ती बढ़ रही है लेकिन अभी कुछ साल पहले तक रूसी सेना चीन के हमले के खौफ में जी रही थी। पिछले दिनों रूसी सेना के एक दस्‍तावेज से खुलासा हुआ था कि उसने साल 2008 से लेकर 2014 तक युद्धाभ्‍यास किया था। इस अभ्‍यास के दौरान रूसी सेना ने चीन की ओर से पैदा की गई अशांति से निपट रही थी। रूसी सेना का मानना था कि चीन ने प्रदर्शनकारियों को पैसा दिया और रूस के सुदूर पूर्व के इलाके में हमले करवा रहा है जहां पर रूसी आबादी कम है। फाइनेशिंयल टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक इस लीक हुए दस्‍तावेज को खुद रूसी सैन्‍य अफसरों ने लिखा था।