
चीन के कोरोना वायरस वैक्सीन की सुरक्षा और असर को लेकर अभी से सवाल उठने शुरू हो गए हैं। कुछ दिनों पहले चीन ने अपनी वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की अनुमति दी थी। इस दौरान कई लोगों ने सिरदर्द, चक्कर आना और उल्टी जैसी शिकायतें दर्ज करवाई हैं। वहीं, राष्ट्रपति शी जिनपिंग इस वैक्सीन को लेकर यूएन के मंच से भी बड़ा ऐलान कर आए हैं। चीन के सदाबहार दोस्त पाकिस्तान में भी इस वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल जारी है।
चीन के प्रसिद्ध लेखक ने बताया अनुभव
चीन के जानेमाने लेखक एवं स्तंभकार कान चाई को देश में आपातकालीन उपयोग के लिए स्वीकृत कोविड-19 के टीके की पहली खुराक पर तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन दूसरी डोज के बाद उन्हें चक्कर आने लगे। चाई ने इस महीने की शुरुआत में एक वेबिनार में कहा कि जब मैं गाड़ी चला रहा था तो अचानक मुझे चक्कर आने लगे। ऐसा लगा कि मैं नशे में गाड़ी चला रहा हूं। मैंने एक जगह देख कर कार रोकी, थोड़ा आराम किया और तब मुझे बेहतर लगा।
हजारों लोगों ने दर्ज करवाई शिकायत
चीन में चाई की तरह ही हजारों लोगों को आम इस्तेमाल के लिए अंतिम नियामक स्वीकृति मिलने से पहले चीनी वैक्सीन की डोज दी गई है। इस कदम को लेकर आचार संहिता और सुरक्षा संबंधी सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले चीनी कंपनियां ह्यूमन ट्रायल से पहले अपने शीर्ष पदाधिकारियों और रिसर्चर्स को जांच के लिए वैक्सीन की खुराक देने पर सुर्खियों में आई थीं।
वैक्सीन की दोबारा जांच कर सकता है चीन
चीन के एक स्वास्थ्य अधिकारी ने शुक्रवार को कहा कि चीन को महामारी को वापस आने से रोकने के लिए कदम उठाने होंगे। एक बाहरी विशेषज्ञ ने ऐसे समय में वैक्सीन के आपात उपयोग की जरूरत पर सवाल खड़ा किया है जब देश में वायरस का संक्रमण अब नहीं फैल रहा है। माना जा रहा है कि चीन फिर से अपनी वैक्सीन की सुरक्षा संबंधी जांच को शुरू करेगा।
चीन की कौन सी वैक्सीन खतरनाक, खुलासा नहीं
चीन में इस समय कोरोना वायरस की तीन वैक्सीन ह्यूमन ट्रायल के अलग-अलग स्टेज में हैं। चीन की सरकारी कंपनी Sinopharm ने कोरोना वायरस के इनऐक्टिवेटेड पार्टिकल्स का इस्तेमाल करके दो-दो वैक्सीन बनाई हैं। पार्टिकल्स को इनऐक्टिवेट इसलिए किया जाता है ताकि वह बीमारी न फैसला सकें। जून में कंपनी ने कहा था कि फेज 1 और 2 ट्रायल में वैक्सीन सारे वॉलंटियर्स में ऐंटीबॉडीज तैयार करने में सफल रही। वहीं चीन की चीनी कंपनी CanSino Biologics ने भी एक कोरोना वायरस वैक्सीन को विकसित किया है।
China vaccine news: चीन की तीन-तीन कोरोना वैक्सीन फेज 3 ट्रायल में, जानें कहां फंसा है पेच
चीनी कंपनी CanSino Biologics के शुरुआती ट्रायल्स के नतीजे शानदार रहे हैं। वैक्सीन सेफ भी बताई जा रही हैं और इम्युन रेस्पांस ट्रिगरा करने में कामयाब रही है। यह वैक्सीन आम सर्दी-जुकाम वाले वायरस से बनी है। अब यह वैक्सीन इंसानों पर ट्रायल के आखिरी दौर में है। सऊदी अरब ने इस टीके का अपने यहां 5000 वॉलंटियर्स पर टेस्ट करने की योजना बनाई है। यह ट्रायल रियाद, मक्का और दम्माम में होंगे। ट्रायल में एक ग्रेप को वैक्सीन की कम डोल दी जाएगी और दूसरे को प्लेसीबो (वैक्सीन देने का नाटक)। CanSino पहली ऐसी कंपनी है जिसे लिमिटेड यूज के लिए मंजूरी दी गई है।
बीजिंग की Sinovac के शुरुआती नतीजे भी CanSino वैक्सीन जैसे ही रहे हैं। यह इनऐक्टिवेटेड वायरस वैक्सीन है। पिछले महीने ब्राजील में इसका फेज 3 ट्रायल शुरू हो चुका है। Sinovac का कहना है कि उसकी कोविड वैक्सीन ने बंदरों में ऐंटीबॉडी-डिपेंडेंट एनहासमैंट (ADE) ट्रिगर नहीं किया। ADE वह चीज जब वैक्सीन देने पर वायरस और खतरनाक हो जाता है। कंपनी का कहना है कि इसके खतर को फेज 3 ट्रायल में मॉनिटर किया जाएगा। Sinovac ने ट्रायल के लिए ब्राजील के बुटंटन इंस्टिट्यूट से टाईअप किया है।
चीन की सरकारी कंपनी Sinopharm ने कोरोना वायरस के इनऐक्टिवेटेड पार्टिकल्स का इस्तेमाल करके दो-दो वैक्सीन बनाई हैं। पार्टिकल्स को इनऐक्टिवेट इसलिए किया जाता है ताकि वह बीमारी न फैसला सकें। जून में कंपनी ने कहा था कि फेज 1 और 2 ट्रायल में वैक्सीन सारे वॉलंटियर्स में ऐंटीबॉडीज तैयार करने में सफल रही। इस वैक्सीन का ट्रायल भी UAE में हो रहा है। कंपनी ने फेज 3 ट्रायल के लिए UAE की सरकार और ग्रुप 42 हेल्थकेयर से डील की है। कंपनी दोनों वैक्सीन का करीब 15 हजार लोगों पर ट्रायल करेगी।
चीन वैक्सीन ट्रायल में सबसे आगे तो है लेकिन एक्सपर्ट्स को डर है कि क्या जिस स्पीड से वैक्सीन लाने का वादा किया गया है, उस रफ्तार से काम पूरा हो सकेगा। चीन ने जिस तरह से CanSino की वैक्सीन को मिलिट्री यूज की परमिशन दी, उससे भी एक्पर्ट्स हैरान हैं। साइंटिफिक जर्नल ‘नेचर’ में फ्रेंस वैक्सीन रिसर्चर पॉल कीनी लिखते हैं, “फैसला पूरी तरह राजनीतिक है, साइंटिफिक नहीं। इससे वैक्सीन के असर का कुछ पता नहीं चलता।” फेज 3 ट्रायल में दुनियाभर के आगे एकजैसी चुनौतियां हैं। मसलन पर्याप्त वॉलंटियर्स खोजना और ट्रायल के लिए क्वालिफाइड हेल्थ स्टाफ मिल पाना आसान नहीं।
वैक्सीन कारगर है या नहीं, उसके लिए 20,000 से 40,000 लोगों पर ट्रायल होना चाहिए। उस डेटा को महीनों और कभी-कभी सालों तक जांचा जाता है। इसलिए ट्रायल्स में कई अस्पतालों से मिले डेटा को स्टडी करना होगा और वो डेटा एकदम सही होना चाहिए। पूरी प्रक्रिया में जरा सी चूक वैक्सीन के मकसद को बर्बाद कर सकती है। कई चीनी कंपनियों के सामने यह भी समस्या है कि उनके पास दुनियाभर में अस्पतालों का नेटवर्क नहीं है। फिलहाल जो फेज 3 ट्रायल चल रहे हैं, उसमें पर्याप्त वॉलंटियर न होने की बात कई साइंटिस्ट्स कह चुके हैं।
सेना के साथ मिलकर बनाई वैक्सीन
इंसानों पर दूसरे चरण के ट्रायल में CanSino की Ad5-nCOV वैक्सीन सुरक्षित और असरदार पाई गई है। इसे दिए जाने पर वॉलंटिअर्स में इम्यून रिस्पॉन्स देखा गया। ये नतीजे सोमवार को मेडिकल जर्नल The Lancet में प्रकाशित हुए हैं। ये वैक्सीन अडेनोवायरस टाइप 5 (adenovirus type-5, Ad5) वायरल वेक्टर से बनी है। CanSino Biologics चीन की मिलिट्री की रिसर्च यूनिट के साथ मिलकर इसे बना रही है। इस वैक्सीन का ट्रायल चीन के वुहान में किया गया था।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website