
चीन ने वुहान में जमीन के नीचे टनल बना रखे हैं। इनका मकसद यह था कि परमाणु जंग के हालात में इनका इस्तेमाल सेना के मुख्यालय के तौर पर किया जाए। दरअसल, शीत युद्ध के दौरान चीन और सोवियत यूनियन के बीच संबंध बेहद खराब हो गए थे। यहां तक लगने लगा था कि परमाणु हथियार भी चला ही दिए जाएंगे। खतरे को देखते हुए कम्यूनिस्ट नेता माओ जेडोन्ग ने देश की आबादी और सेना के गढ़ को बचाने के लिए अंडरग्राउंड फसिलटी बनाने का ऐलान कर दिया।
इसमें से सबसे अहम जगहों में से एक पेइचिंग की अंडरग्राउंड सिटी थी जिसे प्रॉजेक्ट 131 कहा गया। वुहान से 50 मील दूर ये टनल हुबेई प्रांत में 456 मीटर तक पहुंचे हैं। 31 जनवरी, 1969 को इसे बनाने का फैसला किया गया था। हालांकि, इन्हें कभी पूरा नहीं किया गया और आज इन्हें पर्यटनस्थल के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
कई तरह के कमरे
पीपल्स लिबरेशन ऑर्मी के जनरल स्टाफ डिपार्टमेंट के चीफ ऑफ स्टाफ जनरल हुआंग योंगशेंग को इसका जिम्मा दिया गया और काम शुरू कर दिया गया। इन टनल में मीटिंग रूम भी हैं, टॉप कमांडर्स के लिए ऑफिस और कम्यूनिकेशन सेंटर भी पहाड़ी इलाके के नीचे बनाए गए। यहां तक कि माओ और उनके सेकंड इन कमांड लिन बिआओ के लिए विला तक बनाए गए थे।
पूरा नहीं हुआ प्रॉजेक्ट
हालांकि, दो साल बाद ही सबकुछ गिर गया। लिन पर आरोप लग गया कि वह माओ का तख्तापलट करने की योजना बना रहे थे और जनरल योंग शेंग को भी उनके साथ गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में लिन की एक प्लेन क्रैश में और योंगशेंग की जेल में मौत हो गई। इसके साथ ही प्रॉजेक्ट भी बंद हो गया। इस अंडरग्राउंड फसिलटी को भी कभी पूरा नहीं किया गया।
आज पर्यटनस्थल में तब्दील
करीब एक दशक तक खाली पड़े रहने के बाद इसे पर्यटन स्थल में तब्दील कर दिया गया। आज आम लोग भी इन टनल को देख सकते हैं। हालांकि, कुछ हिस्सों में जाने की इजाजत अभी भी नहीं है। जमीन के ऊपर यहां होटेल, कॉन्फ्रेंस फसिलटी, माओ के वक्त का म्यूजियम और एक गार्डन भी है। हालांकि, इन्हें अभी भी मिलिट्री प्रॉजेक्ट माना जाता है और चीन के बाहर के लोगों को यहां जाने की इजाजत नहीं है।
Home / News / वुहान के नीचे छिपे चीन के खुफिया टनल, युद्ध के हालात में सेना मुख्यालय बनाने की थी तैयारी
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