
चीन के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि ‘अपने खुद के क्षेत्र में’ चीन की विकास और निर्माण गतिविधियां सामान्य और दोषारोपण से परे हैं। मंत्रालय ने यह बात अरुणाचल प्रदेश में चीन के एक नया गांव बनाने की खबरों पर प्रतिक्रिया में कही। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा बताता है, जबकि भारत हमेशा कहता रहा है कि अरुणाचल उसका अभिन्न और अखंड हिस्सा है।
‘यह हमारा क्षेत्र’ : चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने एक मीडिया ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा, ‘जंगनान क्षेत्र (दक्षिण तिब्बत) पर चीन की स्थिति स्पष्ट और स्थिर है। हमने कभी भी तथाकथित अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं दी।’ चुनयिंग ने कहा कि ‘हमारे खुद के क्षेत्र में’ चीन की विकास और निर्माण गतिविधियां सामान्य हैं। उन्होंने कहा, ‘यह दोषारोपण से परे है क्योंकि यह हमारा क्षेत्र है।’
सैटलाइट तस्वीरों से खुलासा हुआ है कि चीन ने अपना यह गांव भारत के त्सारी चू नदी के किनारे बसाया है। भारत के रक्षा सूत्रों के मुताबिक अरुणाचल प्रदेश के इस इलाके पर चीन का वर्ष 1959 से कब्जा है। चीनी सेना ने कुछ साल पहले ही यहां पर अपनी एक सैन्य चौकी भी स्थापित की थी जो समुद्र तल से करीब 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। उन्होंने कहा कि चीनी सेना ने डोकलाम की घटना के बाद अब इस इलाके में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। चीन ने वर्ष 1959 में असम राइफल्स को हटाकर इस इलाके पर कब्जा कर लिया था। इसके बाद से यह इलाका चीनी सेना के नियंत्रण में है। यही नहीं चीनी धीरे-धीरे लगातार इस विवादित इलाके पर अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। 1962 की जंग के बाद चीनी सेना पीछे चली गई थी लेकिन अक्साई चिन और अरुणाचल प्रदेश के इलाके में अभी भी बनी हुई है। ताजा घटना से पहले वर्ष 1990 के दशक के अंतिम वर्षों में चीन ने इस इलाके में सड़कों का जाल बिछाया।
वर्ष 2017 में डोकलाम में भारतीय सेना के हाथों मुंह की खाने के बाद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हरकत में आए और उन्होंने तिब्बत में ‘बॉर्डर डिफेंस विलेज’ बनाने की शुरुआत की। तिब्बती संगठनों का कहना है कि चीनी राष्ट्रपति का गांव बसाने का मकसद तिब्बत और बाकी दुनिया के बीच एक ऐसा ‘सुरक्षा बैरियर’ बनाना था जो अभेद्य हो। माना जा रहा है कि अरुणाचल प्रदेश में बसाया गया गांव भी चीनी राष्ट्रपति के अजेंडे का हिस्सा है। सेव तिब्बत संगठन के मुताबिक इन गांवों में चीन की सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकर्ताओं को बसाया जा रहा है। इसके जरिए चीनी की कोशिश दलाई लामा के समर्थकों की तिब्बत में घुसपैठ को रोकना और कम्युनिस्ट पार्टी के हितों को साधना है। उसने कहा कि चीन ने तिब्बत की राजधानी ल्हासा को चीन के सिचुआन से जोड़ने के लिए रेलवे टनल ब्रिज बनाया है। इस पुल का रणनीतिक रूप से बेहद अहम भारत की सीमा तक रेलवे को लाने में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तिब्बतियों के धर्मगुरु दलाई लामा और भारतीय खतरे को ध्यान में रखकर कुछ समय पहले कहा था, ‘एक देश को अच्छे से संचालित करने के लिए सबसे पहले उसकी सीमाओं को ठीक ढंग से काबू में करना होगा और सीमाओं को काबू में करने के लिए हमें तिब्बत में स्थिरता लाना होगा।’ चीनी राष्ट्रपति के निर्देश पर चीन ने वर्ष 2017 में तिब्बत सीमा पर 600 अत्याधुनिक बॉर्डर डिफेंस विलेज बसाना शुरू किया है। अक्टूबर 2019 में चीन ने सीमा पर गांवों के निर्माण को तेज करने का ऐलान किया था। चीन ने ज्यादातर ऐसे गांवों को अरुणाचल प्रदेश की सीमा पर स्थित अपने नागरी और शिगत्से इलाकों में बसाना शुरू किया है। चीन के ये गांव अक्सर काफी सुदूर हैं और बहुत कम लोग इसमें रहते हैं। ये सभी गांव उन रास्तों पर बनाए गए हैं जो कभी तिब्बती लोग छिपकर भारत और नेपाल में भागने के लिए किया करते थे। माना जा रहा है कि इन गांवों के जरिए चीन तिब्बतियों पर नजर रखना चाह रहा है।
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी इन गांवों में बसने वाले लोगों को पैसे भी दे रही है। चीन इसके साथ ही इन लोगों को दलाई लामा के प्रभाव को खत्म करने के लिए प्रशिक्षण दे रही है। चीन की कोशिश दलाई लामा की ओर से की जाने वाली जासूसी की कोशिशों को रोकना है। चीन नयिनगत्री में बौद्ध भिक्षुओं को प्रशिक्षण दे रहा है। असल में चीन ने इस इलाके में काफी सैन्य जमावड़ा कर रखा है और इस इलाके की जासूसी को रोकने के लिए सीमा पर गांव बसा रहा है। सीमा के बेहद करीब बनाए जा रहे कुल 427 गांवों को ‘फर्स्ट लाइन’ नाम दिया है। इसी तरह से अन्य 201 गांवों को ‘सेकंड लाइन’ नाम दिया गया है। इन इलाकों में रहे तिब्बती मूल के लोगों जबरन दूसरी जगह पर ले जाया जा रहा है और उनकी चीन समर्थक लोगों को इन गांवों में बसाया जा रहा है। चीन का कहना है कि ये गांव कभी न खत्म किए जाने वाले किले की तरह से होंगे।
अरुणाचल प्रदेश में चीन के एक गांव बनाने की खबरों पर सतर्कता पूर्वक प्रतिक्रिया देते हुए भारत ने सोमवार को कहा कि वह देश की सुरक्षा पर असर डालने वाले समस्त घटनाक्रमों पर लगातार नजर रखता है। साथ ही अपनी संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता की सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाता है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने अपने नागरिकों की आजीविका को उन्नत बनाने के लिए सड़कों और पुलों समेत सीमा पर इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण को तेज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘हमने चीन के भारत के साथ लगे सीमावर्ती क्षेत्रों में निर्माण कार्य करने की हालिया खबरें देखी हैं। चीन ने पिछले कई वर्षों में ऐसी अवसंरचना निर्माण गतिविधियां संचालित की हैं।’ उसने कहा, ‘हमारी सरकार ने भी जवाब में सड़कों, पुलों आदि के निर्माण समेत सीमा पर बुनियादी संरचना का निर्माण तेज कर दिया है, जिससे सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाली स्थानीय आबादी को अति आवश्यक संपर्क सुविधा मिली है।’ भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) को लेकर विवाद है। चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है, वहीं भारत इस दावे को खारिज करता रहा है। भारत और चीन के बीच पिछले करीब आठ महीने से पूर्वी लद्दाख में सीमा मुद्दे को लेकर गतिरोध बना हुआ है।
सामने आई थीं तस्वीरें : कुछ दिन पहले ऐसी खबरें आई थीं कि डोकलाम विवाद में करारी शिकस्त के बाद टेंशन में आए चीन ने अरुणाचल प्रदेश में भारतीय सीमा के करीब 4.5 किमी अंदर गांव बसा लिया है। यह इलाका अरुणाचल प्रदेश के ऊपरी सुबनसिरी जिले में स्थित है। इस चीनी गांव की सैटलाइट तस्वीर आने के बाद अब अंदर की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई हैं।
101 घर बनाने की खबर : इन तस्वीरों में नजर आ रहा है कि चीनी गांव में चौड़ी सड़कें और बहुमंजिला इमारतें बनाई गई हैं। बताया जा रहा है कि चीनी गांव में करीब 101 घर बनाए गए हैं। इन घरों में चीनी लोगों को बसाया गया है। घरों के ऊपर चीनी झंडा भी लगाया गया है। ड्रैगन की इस नई चाल के पीछे चीनी राष्ट्रपति की एक कुटिल योजना सामने आ रही है जिसके तहत 600 गांव बसाए जा रहे हैं।
शेन ने गुरुवार को एक गांव की तस्वीरें शेयर की थीं। उन्होंने अपने ट्वीट में बताया था कि यह डोकलाम का इलाका है। NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक यह गांव 2017 में भारत और चीन के बीच हुई झड़प की जगह से सिर्फ 9 किमी दूर है। यहां तक कि शेन ने पांगडा गांव का मैप भी शेयर कर डाला जो भूटान की सीमा के 2 किमी अंदर था। बाद में शेन ने यह ट्वीट डिलीट कर दिया। वहीं, ओपन इंटेलिजेंस सोर्स detresfa ने भी एक इमेज शेयर की है और ताजा गांव बसाने का दावा किया है। वहीं, रिपोर्ट्स में बताया गया है कि चीन ने यहां निर्माणकार्य पिछले साल ही शुरू कर दिया था।
media की रिपोर्ट में शेन के शेयर किए गए मैप और वास्तविक स्थिति की तुलना की गई है। इसमें डोकलाम विवाद की जगह और ‘चीन के बसाए गांव’ भी दिखाए गए हैं। एक और मैप में बताया गया है कि भूटान के अंदर पूर्व में बसे इस गांव से सिक्किम पश्चिम में है, चीन उत्तर में। हालांकि, NDTV ने साफ किया है कि इस बारे में पुष्टि नहीं की जा सकती है कि भूटान ने चीन को इस इलाके में गांव बसाने की इजाजत दी है या नहीं और इस बारे में भूटान से सवाल किया गया है।
भारत को पहले से इस बात की चिंता सताती रही है कि चीन ऐसे कदम उठाकर धीरे-धीरे विस्तारवाद को अंजाम दे रहा है और अपनी सीमा को बढ़ा रहा है। वहीं, भूटान की क्षेत्रीय अखंडता को लेकर भी भारत की चिंता बरकरार है। यही नहीं, डोकलाम के करीब चीन के बढ़ते कदम पहले से लद्दाख में जारी तनाव को और गहरा सकते हैं। मई से चीन की PLA (पीपल्स लिबरेशन आर्मी) सीमा पर तैनात है और कई बार भारत से आमना-सामना हो चुका है।
दूसरी ओर, भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में हिंसक झड़प के बाद ड्रैगन ने नेपाल की 150 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर लिया है। चीन ने पांच मोर्चों पर इस साल मई महीने में नेपाल की जमीन पर कब्जा करना शुरू किया। नेपाल के नेताओं ने बताया कि नेपाली जमीन पर कब्जे के लिए चीन ने सीमा पर अपनी सेना PLA को तैनात करना शुरू कर दिया था। चीनी सेना ने लिमी घाटी और हिल्सा को पार किया और पत्थर के बने पिलर को हटा दिया। यही पिलर उखाड़कर उसे और ज्यादा नेपाली इलाके में पीछे कर दिया। इसके बाद चीनी सेना अब इस इलाके में सैन्य ठिकाना बना रही है। (तस्वीर: भूटान का गांव)
भारत रखता है नजर : भारत ने इस पर सधी प्रतिक्रिया देते हुए सोमवार को कहा था कि देश अपनी सुरक्षा पर असर डालने वाली सभी गतिविधियों पर लगातार नजर रखता है और अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाता है। नई दिल्ली में विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने सीमावर्ती क्षेत्रों में अपने नागरिकों की आजीविका में सुधार के लिए सड़कों और पुलों सहित बुनियादी ढांचे का निर्माण तेज कर दिया है।
अरुणाचल प्रदेश में चीन के नया गांव स्थापित करने की खबरें ऐसे समय आई हैं जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में आठ महीने से अधिक समय से सैन्य गतिरोध बना हुआ है। दोनों देशों के बीच कई दौर की सैन्य और कूटनीतिक वार्ता के बाद भी गतिरोध का अब तक कोई समाधान नहीं निकला है।
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