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देश देखकर असर कर रही चीनी कोरोना वैक्सीन, ब्राजील में 50 तो तुर्की में 91 फीसदी कारगर


चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन का दुनिया के अगल-अलग देशों में असर में भारी अंतर देखा जा रहा है। चीन की सिनोवेक कंपनी के कोरोना वायरस वैक्सीन कोरोनावेक का ब्राजील और तुर्की में ट्रायल किया गया है। इन दोनों देशों के आधिकारिक डेटा के अनुसार, चीनी कोरोना वैक्सीन ब्राजील में 50 फीसदी तो तुर्की में 91.25 फीसदी कारगर है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर चीन की कोरोना वैक्सीन के असर में इतना अंतर कैसे आ रहा है।
ब्राजील में 50 फीसदी प्रभावी है चीनी वैक्सीन : ब्राजील के रिसर्चर्स ने बुधवार को चीन के सिनोवैक बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन के ट्रायल डेटा का खुलासा किया। रिसर्चर्स ने बताया कि यह वैक्सीन ब्राजील के लोगों पर लगभग 50 फीसदी के आसपास कारगर है। ब्राजील इस वैक्सीन का लेट स्टेज ट्रायल को पूरा करने वाला भी पहला देश है। लेकिन रिसर्चर्स ने कहा है कि उन्हें पूरे डेटा को प्रासेस करने के लिए और वक्त चाहिए।
चीन की वैक्सीन के खिलाफ है ब्राजीली राष्ट्रपति : ब्राजील के राष्ट्रपति जेयर बोलसोनारो चीन की कोरोना वायरस वैक्सीन का खुलेआम विरोध कर रहे हैं। जबकि विपक्षी पार्टी द्वारा प्रशासित साओ पाउलो के गवर्नर चीन के सिनोवेक कंपनी की वैक्सीन का समर्थन कर रहे हैं। बोलसोनारो ने चीन के कोविड-19 टीके का मजाक उड़ाते हुए कहा था कि ब्राजील के लोग किसी के लिये गिनी पिग नहीं बन सकते।। उन्होंने कई दिनों पहले ही ऐलान किया था कि उनका देश चीन से कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं खरीदेगा। राष्ट्रपति बोलसोनारो ने सोशल मीडिया पर अपने एक समर्थक को जवाब देते हुए लिखा था कि निश्चित रूप से हम चीनी वैक्सीन नहीं खरीदेंगे।
तुर्की में चीनी कोरोना वैक्सीन 91 फीसदी कारगर : वही ब्राजील के उलट तुर्की के स्वास्थ्य मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि चीनी कंपनी सिनोवेक की कोरोना वायरस वैक्सीन कोरोनावेक उनके देश में 91.25 प्रतिशत प्रभावी है। तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री फहार्टिन कोका ने कहा कि वैज्ञानिक समिति के मूल्यांकन के साथ प्रभाव का प्रतिशत और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि हम वैक्सीन के प्रभाव के बारे में सुनिश्चित थे। हम अब आश्वस्त हैं कि यह टीका प्रभावी और सुरक्षित है।
सोमवार को तुर्की पहुंचेगी चीनी कोरोना वैक्सीन : तुर्की को चीन अगले सोमवार को कोरोना वैक्सीन की पहली खेप सौंपने जा रहा है। तुर्की के स्वास्थ्य मंत्री ने चीनी अधिकारियों के हवाले से दावा किया कि तुर्की को भेजे जाने वाले टीके की खुराक के लिए चीन ने अनुमोदन प्रक्रिया पूरी कर ली है। तुर्की ने दिसंबर की शुरुआत में सिनोवैक से कोरोना वैक्सीन की 50 मिलियन खुराक खरीदने का अनुबंध किया था।
ब्रिटेन और अमेरिका के हेल्‍थ एक्‍सपर्ट्स के मुताबिक, नया स्‍ट्रेन बाकियों के मुकाबले जल्‍दी संक्रमित करता है लेकिन अभी इसके सबूत नहीं है कि ये ज्‍यादा घातक है। ब्रिटिश सरकार के मुख्‍य वैज्ञानिक सलाहकार पैट्रिक वलांस ने कहा कि स्‍ट्रेन ‘तेजी से फैलता है और प्रमुख वैरियंट बनता जा रहा है।’ दिसंबर में लंदन के भीतर 60% से ज्‍यादा इंन्‍फेक्‍शंस इसी स्‍ट्रेन से फैले। चिंता की एक बड़ी वजह यह है कि इस स्‍ट्रेन के कई म्‍यूटेशंस हैं- करीब दो दर्जन की पहचान हो चुकी है। कुछ म्‍यूटेशंस तो उस स्‍पाइक प्रोटीन पर हैं जिनका इस्‍तेमाल वायरस कोशिकाओं से जुड़ने और उन्‍हें संक्रमित करने के लिए करता है। जो वैक्‍सीन बनी हैं, वे स्‍पाइक को ही निशाना बनाती हैं।

वायरस अक्‍सर अपने जेनेटिक कोड में एक या दो लेटर के बदलाव से बदल जाते हैं। यह इवॉल्‍यूशन की बेहद सामान्‍य प्रक्रिया है। हल्‍का सा बदला हुआ स्‍टेन किसी एक देश या इलाके में बेहद आम हो सकता है क्‍योंकि वह वहीं बना या ‘सुपर स्‍प्रेडर’ इवेंट्स के जरिए फैला। ज्‍यादा टेंशन की बात तब होती है जब वायरस अपनी सतह के प्रोटीन्‍स में बदलाव करके म्‍यूटेट होता है क्‍योंकि फिर यह इम्‍युन सिस्‍टम या दवाओं से बच जाता है। न्‍यूज एजेंसी एपी के अनुसार, ‘नए सबूत’ बताते हैं कि शायद नए स्‍ट्रेन के साथ ऐसा होने लगा है।

स्‍वीडन के रिसर्चर्स को अप्रैल में एक वायरस मिला था जिसमें दो जेनेटिक बदलाव थे। वह स्‍ट्रेन दोगुना संक्रामक लग रहा था। उसके दुनियाभर में करीब 6,000 केस मिले हैं। अधिकतर डेनमार्क और इंग्‍लैंड में। उस स्‍ट्रेन के अब कई वैरिएशंस आ चुके हैं। साउथ अफ्रीका में नए नया स्‍ट्रेन मिला है जिसमें वही दो बदलाव हैं जो हम देख चुके हैं। यूके वाले में भी दो बदलाव हैं, स्‍पाइक प्रोटीन में 8 चेंजेस हैं। सितंबर में दक्षिणपूर्वी इंग्‍लैंड में मिला एक स्‍ट्रेन अबतक फैल रहा है।

अमेरिका के पूर्व फूड ऐंड ड्रग कमिश्‍नर स्‍कॉट गॉटलिब ने सीबीएस के साथ बातचीत में कहा क‍ि शायद ऐसा नहीं होगा। यूनिवर्सिटी ऑफ कैम्ब्रिज में वायरस पर रिसर्च करने वाले डॉ रवि गुप्‍ता भी इसकी संभावना को बेहद कम आंकते हैं।

अमेरिकी के भावी राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के नॉमिनी सर्जन जनरल विवेक मूर्ति ने रविवार को एनबीसी से कहा कि ‘यह मानने की कोई वजह नहीं है कि जो टीके बन चुके हैं वे इस वायरस पर असरदार नहीं होंगे।’ कई एक्‍सपर्ट्स ने कहा कि वैक्‍सीन सिर्फ स्‍पाइक प्रोटीन ही नहीं, कई तरह के रेस्‍पांस पैदा करती हैं। नया स्‍ट्रेन वैक्‍सीन का मुकाबला कर लेगा, इसकी संभावना कम है लेकिन इसे पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता।

क्या देश देखकर असर कर रही चीनी वैक्सीन? : ऐसा माना जाता है कि चीन का ब्राजील के साथ संबंध सही नहीं है। ब्राजीली राष्ट्रपति अक्सर चीन के खिलाफ बयान देते रहते हैं। वहीं, तुर्की को चीन का बेहद करीबी माना जाता है। हाल में ही अमेरिकी प्रतिबंध लगने के बाद तुर्की और चीन के रिश्ते काफी मजबूत हुए हैं। 14 दिसंबर को चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने तुर्की के विदेश मंत्री मेवलुत कैवसोग्लू के साथ फोन पर बातचीत कर हर संभव मदद का भरोसा दिया था।