
भारत के साथ लद्दाख सीमा को लेकर तनाव के बीच चीन के विदेश मंत्री वॉन्ग यी ने हिमालय के क्षेत्र में हाल ही तिब्बत सीमा सीमावर्ती क्षेत्रों का दौरा किया है। इस दौरान उन्होंने क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा को देश के विकास के लिए अहम बताया। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक वॉन्ग स्पेशल रिसर्च ट्रिप्स पर चीन के अलग-अलग क्षेत्रों में जाते हैं लेकिन हिमालय के उनके दौरे से सब हैरान हैं और इसे भारत से तनाव के साथ जोड़कर देखा जा रहा है।
सरकार का क्षेत्रीय स्थिरता, सुरक्षा पर ध्यान
वॉन्ग ने इस दौरान कहा कि सरकार तिब्बत के लोगों के साथ मिलकर क्षेत्रीय स्थिरता, राष्ट्रीय सुरक्षा और दूसरे देशों के साथ सहयोग के लिए तिब्बत को समर्थन और आर्थिक और सामाजिक विकास सुनिश्चित कर रही है। वॉन्ग तिब्बत कम्युनिस्ट पार्टी के सचिव वू यिंगजी और तिब्बत क्षेत्रीय सरकार के चेयरमैन किझाला से मिले। उन्होंने इस दौरान चीन की सरकार द्वारा तिब्बत में किए गए काम का जिक्र किया।
दोनों देशों के बीच सीमाक्षेत्रों को लेकर विवाद
भारत के साथ चीन का लंबा सीमा विवाद है जिसका बड़ा हिस्सा तिब्बत से जुड़ा है। इस साल मई से लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच स्थिति बेहद तनावपूर्ण हो गई थी और हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए थे। इसके बाद बातचीत का लंबा दौर चला और पिछले महीने दोनों सेनाओं ने विवादित सीमाक्षेत्र से पीछे हटना शुरू कर दिया। हालांकि, अभी भी कुछ इलाकों को लेकर यथास्थिति बनी है जिससे विवाद अभी सुलझा नहीं है।
ताइवान पर हमले की तैयारी में चीन, अमेरिका ने भेजे फाइटर जेट, युद्धपोत
अमेरिकी सैन्य ताकत के प्रतीक यूएसएस रोनाल्ड रीगन के नेतृत्व में कैरियर स्ट्राइक ग्रुप ने विवादित दक्षिण चीन सागर में जोरदार अभ्यास किया है। अमेरिकी सेना ने एक बयान जारी करके कहा कि इस अभ्यास का मकसद अपने सहयोगियों के साथ संयुक्त भागीदारी करना है और अपनी मारक क्षमता को बढ़ाना है। साथ ही इंडो-पसफिक इलाके में स्वतंत्र और मुक्त आवागमन बनाए रखना है। अमेरिकी नौसेना ने यह अभ्यास ऐसे समय पर किया है जब चीन से इलाके में तनाव बढ़ता जा रहा है।
अमेरिका ने चीन के साउथ चाइना सी पर दावे का विरोध किया है। चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब देने के लिए अमेरिका लगातार साउथ चाइना सी में अपने एयरक्राफ्ट कैरियर भेज रहा है। अमेरिका ने कहा है कि चीन कोरोना वायरस महामारी का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है और अपने क्षेत्रीय दावे को आगे बढ़ाने में लगा है। चीन ने अमेरिका के इस अभ्यास का विरोध किया है। यही नहीं चीन अब तटीय इलाके में अपने सैन्य ठिकानों की संख्या को काफी ज्यादा बढ़ा रहा है।
चीन ने ताइवान पर दबाव बनाने के लिए ताइवान स्ट्रेट के पास करीब 40 हजार सैनिक तैनात किए हैं। इसके लिए उसने दो मरीन ब्रिगेड बनाए हैं। चीन ने धमकी दी है कि अगर राजनीतिक तरीके से ताइवान चीन का हिस्सा नहीं बनेगा तो वह ताकत के बल पर ताइवान पर कब्जा कर लेंगे। पेइचिंग के सैन्य विशेषज्ञ झोउ चेनमिंग ने कहा कि हालिया युद्धाभ्यास ताइवान सरकार को राजनीतिक चेतावनी है। हॉन्ग कॉन्ग के सैन्य विशेषज्ञ सोंग झोंगपिंग का कहना है कि नवंबर में अमेरिकी चुनाव से पहले चीन और बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास कर सकता है।
इस बीच चीन से निपटने के लिए ताइवान ने सोमवार को अमेरिका की हथियार निर्माता कंपनी लॉकहीड के साथ 62 अरब डॉलर के F-16 फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया है। यह सौदा करीब 10 साल में पूरा होगा। माना जा रहा है कि इस सौदे के बाद ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच तनाव काफी बढ़ सकता है। इस सौदे की संवेदनशीलता को देखते हुए अमेरिकी रक्षा मंत्रालय ने इस सौदे का तो ऐलान किया लेकिन खरीददार का नाम नहीं बताया है। उधर, इस सौदे से जुड़े लोगों ने पुष्टि की है कि 62 अरब डॉलर की भारी-भरकम डील ताइवान के साथ की गई है।
नए सौदे के तहत ताइवान शुरू में 90 फाइटर जेट खरीदेगा जो अत्याधुनिक तकनीकों और हथियारों से लैस होंगे। इससे पहले पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्टम और स्ट्रिंगर मिसाइल भी अमेरिका ने ताइवान को दिए थे। अमेरिका ने भले ही वर्ष 1979 में चीन को मान्यता दी हो, फिर भी वह ताइवान का सबसे शक्तिशाली सहयोगी और हथियारों का सप्लायर है। यह सौदा ऐसे समय पर हुआ है जब हॉन्ग कॉन्ग के लिए चीन ने जबरन सुरक्षा कानून पारित किया है। इस कानून के बाद ताइवान की टेंशन और ज्यादा बढ़ गई है। उसे यह डर सता रहा है कि अगला नंबर उसका हो सकता है। इस सौदे से ठीक पहले अमेरिका के स्वास्थ्य मंत्री ताइवान की यात्रा पर गए थे। वर्ष 1979 के बाद पहली बार इतने शीर्ष स्तर का नेता ताइवान पहुंचा था।
हिमालय में हल्के हथियारों को टेस्ट कर रहा चीन
गौरतलब है कि कुछ वक्त पहले ही चीन ने हिमालय में अपने नए हथियारों को टेस्ट करना शुरू कर दिया है। लाइव-फायर एक्सरसाइज में 122 मिलीमीटर (एमएम) के वीइकल पर रखे जाने वाली Howitzer और HJ-10 ऐंटी टैंक मिसाइलें पीपल्स लिबरेशन आर्मी के तिब्बत मिलिट्री रीजन ने पिछले महीने टेस्ट कीं। माना जा रहा है कि इन हथियारों में बदलाव शायद पहाड़ी इलाकों में ले जाने के लिए वजन और लंबाई कम करने के मकसद से किए गए हैं। इन हथियारों को हवा के रास्ते भी ले जाया जा सकता है।
तिब्बत के पास बंद किया था US दूतावास
इससे पहले अमेरिका ने जब चीन का ह्यूस्टन दूतावास बंद कर दिया था तो चीन ने तिब्बत के पास चेंगडू में अमेरिका का दूतावास बंद कर दिया था। वॉन्ग ने कहा कि तिब्बत ने आर्थिक विकास, स्थिरता, सीमावर्ती क्षेत्रों के विकास और बेल्ट ऐंड रोड इनिशिएटिव के तहत काफी सफलता हासिल की है। चीन नेपाल के काठमांडू से जुड़े तिब्बत में इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है।
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