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म्यांमार में छिपकर बैठे उग्रवादियों पर एयरस्ट्राइक का दावा, ULFA-I और NSCN-K क्या हैं, चीनी हथियारों से कैसे फैलाते हैं आतंक?


म्यांमार में छिपकर उग्रवादी कैंप चला रहे उल्फा-1 ने दावा किया है कि भारतीय सेना के एयरस्ट्राइक में उसके तीन सीनियर कमांडर मारे गये हैं। म्यांमार की सीमा में उल्फा-आई (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम-इंडिपेंडेंट) और एनएससीएन-के (नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग) के ठिकानों पर बड़े सर्जिकल स्ट्राइक के दावे किए गये हैं।
प्रतिबंधित संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम–इंडिपेंडेंट (ULFA-I) ने दावा किया है, कि भारतीय ड्रोन हमलों में उसके तीन कमांडर म्यांमार के अंदर मारे गए हैं। ULFA-I के प्रवक्ता ने बयान जारी कर आरोप लगाया कि भारतीय सेना ने सीमा पार उसके शिविरों को निशाना बनाकर कई एयरस्ट्राइक किए हैं। हालांकि भारतीय सेना ने इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है और कहा है कि वह इस तरह की किसी कार्रवाई की पुष्टि नहीं कर सकती। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब असम और पूर्वोत्तर में उग्रवाद फिर से चर्चा का विषय बनता जा रहा है और सुरक्षा एजेंसियां सीमा-पार ठिकानों को लेकर गंभीर चिंताओं में हैं।
आपको बता दें कि ULFA-I को लेकर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि इसे चीन से हथियारों की आपूर्ति होती रहती है, ताकि भारतीय सीमा के अंदर आतंकी वारदातों को अंजाम दिया जा सके। ULFA-I के प्रमुख ठिकाने म्यांमार के सगाइंग इलाके के अंदर गहरे जंगलों में फैले हुए हैं। इनमें से प्रमुख शिविर ‘लुंगमाक’, ‘ताका में हेडक्वार्टर हैं। जबकि ‘हयात बस्ती’ और ‘कैंप 779’ के कई ठिकाने हैं। इन शिविरों में संगठन के करीब 200-250 हथियारबंद कैडर सक्रिय बताए जाते हैं। म्यांमार की राजनीतिक अस्थिरता और कमजोरी का फायदा उठाकर ये जंगली क्षेत्रों में रहते हैं। उग्रवादी संगठनों ने लंबे समय से म्यांमार की सीमा के अंदर अपनी सुरक्षित पनाहगाहें बना रखी हैं। ULFA-I, नागा उग्रवादी संगठन NSCN(K) और मणिपुर के विद्रोही गुटों के साथ ये इन शिविरों को ऑपरेट करता है।