
स्वीडन के दो सांसदों ने अपने देश की जलवायु कार्यकर्त ग्रेटा थनबर्ग को 2020 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया है। लेफ्ट पार्टी के सदस्य जेंस एवं हकन सवेन्नलिंग ने सोमवार को कहा कि थनबर्ग ने जलवायु संकट उत्सर्जन को कम करने के लिए राजनीतिज्ञों की आंख खोलने व पेरिस करार की अनुपालना के लिए कठोर मेहनत की है, जो कि एक तरह से शांति के लिए पहल है। पिछले साल भी स्वीडन के तीन सांसदों ने थनबर्ग को इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया था।
2015 का पेरिस समझौता जलवायु संकट से निपटने के लिए एक मील का पत्थर है। इसमें गरीब और अमीर दोनों ही राष्ट्रों से बारिश के बदलते पैटर्न, बढ़ते हुए वैश्विक तापमान में कटौती करने को कदम उठाने को कहा गया ताकि गलेसियर को पिघलने से रोका जा सके।
इसके साथ ही वैश्विक समझौते के तहत दुनिया के देशों ने दीर्घकालीन औसत तापमान वृद्धि को पूर्व औद्योगिक स्तरों से 2 डिग्री सेल्सियस के भीतर सीमित करने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए योजना पेश करनी है।
17 वर्षीय किशोरी थनबर्ग ने जलवायु परिवर्तन में हो रहे बदलाव को रोकने के लिए विद्यार्थियों को प्रदर्शनों में शामिल होने को प्रेरित किया। आज उनका यह आंदोलन स्वीडन की सीमा से निकलकर यूरोप के अन्य देशों में भी पहुंच गया है। उसने भविष्य के आंदोलन के लिए ई-फ्राइडे की स्थापना की जिससे अन्य लोग भी प्रेरित हुए।
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