Thursday , August 7 2025 11:38 AM
Home / News / रूस से पहली बार भारत आ रही कोयला लदी ट्रेन, एक रूट जो बदल सकता है किस्मत, जानें क्यों खास है आईएनएसटीसी कॉरिडोर

रूस से पहली बार भारत आ रही कोयला लदी ट्रेन, एक रूट जो बदल सकता है किस्मत, जानें क्यों खास है आईएनएसटीसी कॉरिडोर


ये रूट तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और कजाकिस्तान सहित पश्चिम एशिया और रूस के माध्यम से उत्तरी यूरोप के लिए एक रणनीतिक प्रवेश द्वार के रूप में काम कर सकता है। साथ ही ये रूट स्वेज नहर मार्ग के रास्ते के एक विकल्प की तरह भी काम करेगा। इसका सीधा फायदा भारत को होगा।
रूस ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे (आईएनएसटीसी) से कोयले से लदी दो ट्रेनें भारत भेजी हैं। ये कॉरिडोर ईरान के माध्यम से रूस को भारत से जोड़ता है। रेलवे, सड़क नेटवर्क और बंदरगाहों को शामिल करने वाला एक मल्टीमॉडल मार्ग आईएनएसटीसी सेंट पीटर्सबर्ग से भारत में मुंबई बंदरगाह तक 7,200 किमी लंबा है। यह गलियारा पश्चिमी प्रतिबंधों के मद्देनजर नए परिवहन मार्ग खोजने के रूस की कोशिश का हिस्सा है। इस रूट से पहली बार कुजबास कोयले से लदी दो ट्रेनें भारत की ओर बढ़ी हैं। ये नई शुरुआत रूस और भारत के रिश्तों और व्यापार संबंधों में एक अहम कड़ी मानी जा रही है।
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, रूसी रेलवे ने सोमवार को अपने टेलीग्राम चैनल पर कहा कि भारत के लिए ये ट्रेनें केमेरोवो क्षेत्र से रवाना हुईं हैं। ये ट्रेन कजाकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान से होते हुए आईएनएसटीसी की पूर्वी शाखा के साथ ईरानी बंदरगाह बंदर अब्बास तक पहुंच गई हैं। ये ट्रेन जल्दी ही भारत आ जाएंगी।
भारत के व्यापार में क्रांति ला सकता है आईएनएसटीसी – आईएनएसटीसी ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से रूस को भारत से जोड़ता है। ये भारत के व्यापार के लिए बहुत मायने रखता है। यूक्रेन युद्ध के कारण रूस को समुद्री व्यापार पर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में इस गलियारे का आर्थिक और रणनीतिक महत्व और भी बढ़ जाता है। वहीं भारत के लिए इसकी अहमियत इसलिए है क्योंकि भारत इसे चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड पहल के विकल्प के रूप में देखता है।
पिछले महीने भारत ने ईरान के चाबहार बंदरगाह का प्रबंधन 10 साल की शुरुआती अवधि के लिए अपने हाथ में ले लिया। यह सौदा आईएनएसटीसी के लिए एक बढ़ावा है क्योंकि बंदरगाह आईएनएसटीसी में एक प्रमुख नोड के रूप में काम करेगा। यह क्षेत्रीय संपर्क, मध्य एशिया और अफ़गानिस्तान के भूमि से घिरे देशों के साथ व्यापार की सूरत बदल देगा और एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करेगा जो इस क्षेत्र को रूस और फिर यूरोप से जोड़ता है। आईएनएसटीसी भारतीय व्यापारियों को मध्य एशिया तक अधिक आसानी से और अधिक लागत प्रभावी तरीके से पहुंचने में सक्षम बनाएगा। एक्सपर्ट मानते हैं कि इससे भारत की ईरान, रूस, अज़रबैजान और बाल्टिक और नॉर्डिक जैसे देशों तक पहुंच बढ़ेगी।