Thursday , December 25 2025 2:38 AM
Home / News / दो-दो COVID Vaccine के बाद भी रूस में कोरोना का कहर जारी, 24 घंटे में मिले रिकॉर्ड नए मरीज

दो-दो COVID Vaccine के बाद भी रूस में कोरोना का कहर जारी, 24 घंटे में मिले रिकॉर्ड नए मरीज


रूस के कोरोना वायरस की दो-दो वैक्सीन बनाने के दावे के बावजूद संक्रमण की रफ्तार दिनों दिन बढ़ती जा रही है। रूस में कोरोना वायरस संक्रमण के 29,935 नए मामले सामने आए हैं जो कि एक दिन में सामने आने वाले मामलों की सर्वाधिक संख्या है। रूस में स्पुतनिक वी कोरोना वैक्सीन के टीकाकरण के बाद भी इतनी बड़ी संख्या में मरीजों के मिलने से राष्ट्रपति पुतिन की चिंता भी बढ़ गई है। संक्रमण की बढ़ती रफ्तार के बाद भी वहां राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाने या व्यापक स्तर पर बाजारों को बंद करने का विरोध हो रहा है।

रूस में 29 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित : इसी के साथ रूस में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की कुल संख्या 2,963,688 पहुंच गई है। पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के कारण 549 लोगों की मौत हुई है। वहीं देश में इस महामारी से मरने वालों की तादाद 53,096 बताई जा रही है। हालांकि, कई विशेषज्ञों ने पहले ही शक जताया है कि रूस अपने यहां कोरोना के कुल मामलों को छिपाकर गलत आंकड़ा पेश कर रहा है।
दो-दो कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा कर चुका है रूस : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 11 अगस्त को दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन स्पुतनिक-वी को बनाने का दावा किया था। इसके बाद अक्टूबर में पुतिन ने दूसरी कोरोना वैक्सीन ‘EpiVacCorona’ को शुरुआती ट्रायल के बाद मंजूरी दी थी। स्पूतनिक-वी वैक्सीन को लेकर पुतिन ने यह भी दावा किया था कि इससे लोगों के ठीक होने की रफ्तार बढ़ी है और उनकी बेटी को खुद इसकी डोज दी गई है। स्पुतनिक वी वैक्सीन का वैक्सीनेशन भी रूस में शुरू हो चुका है। जबकि दूसरी वैक्सीन को अभी ट्रायल फेज में रखा गया है।
स्पूतनिक वी वैक्सीन के बारे में जानिए : स्पूतनिक वी वैक्सीन को मॉस्‍को के गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने रूसी रक्षा मंत्रालय के साथ मिलकर एडेनोवायरस को बेस बनाकर तैयार किया है। रूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं।

रशियन डॉयरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड के प्रमुख किरील दिमित्रेव ने कहा है कि 2021 में भारत रूसी कोरोना वैक्सीन के करीब 30 करोड़ डोज का निर्माण करेगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए हमने भारत के चार प्रमुख वैक्सीन निर्माता कंपनियों से संपर्क किया है। भारत अगले साल से 30 करोड़ या इससे ज्यादा भी वैक्सीन के डोज का निर्माण कर सकता है।

रूस की कोरोना वायरस वैक्सीन स्पुतनिक वी को बनाने वाली कंपनी ने कुछ दिन पहले ही दावा किया था कि यह वायरस के खिलाफ 91.5 फीसदी कारगर है। कंपनी ने बताया कि वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल के डेटा के तीन फाइनल कंट्रोल पॉइंट एनालिसिस करने के बाद यह रिजल्ट सामने आया है। पहले कंट्रोल पॉइंट में वैक्सीन का 92 फीसदी प्रभाव दिखा, जबकि दूसरे कंट्रोल पॉइंट में यह आंकड़ा 91.4 फीसदी आया।

इसे बनाने वाली कंपनी गामलेया रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने दावा किया है कि वैक्सीन ने कोरोना वायरस के गंभीर मामलों के खिलाफ 100 प्रतिशत प्रभावकारिता दिखाई है। कंपनी के अनुसार, वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल का डेटा जल्द ही प्रतिष्ठित साइंस जर्नल्स में प्रकाशित किया जाएगा। इसके बाद दुनियाभर के देशों में स्पुतनिक वी वैक्सीन के त्वरित पंजीकरण के लिए एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

रूस की वैक्सीन सामान्य सर्दी जुखाम पैदा करने वाले adenovirus पर आधारित है। इस वैक्सीन को आर्टिफिशल तरीके से बनाया गया है। यह कोरोना वायरस SARS-CoV-2 में पाए जाने वाले स्ट्रक्चरल प्रोटीन की नकल करती है जिससे शरीर में ठीक वैसा इम्यून रिस्पॉन्स पैदा होता है जो कोरोना वायरस इन्फेक्शन से पैदा होता है। यानी कि एक तरीके से इंसान का शरीर ठीक उसी तरीके से प्रतिक्रिया देता है जैसी प्रतिक्रिया वह कोरोना वायरस इन्फेक्शन होने पर देता लेकिन इसमें उसे COVID-19 के जानलेवा नतीजे नहीं भुगतने पड़ते हैं। मॉस्को की सेशेनॉव यूनिवर्सिटी में 18 जून से क्लिनिकल ट्रायल शुरू हुए थे। 38 लोगों पर की गई स्टडी में यह वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है। सभी वॉलंटिअर्स में वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी भी पाई गई।

इस वैक्सीन का नाम रूस की पहली सैटेलाइट स्पुतनिक से मिला है। जिसे रूस ने 1957 में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ने लॉन्च किया था। उस समय भी रूस और अमेरिका के बीच स्पेस रेस चरम पर थी। कोरोना वायरस वैक्सीन के विकास को लेकर अमेरिका और रूस के बीच प्रतिद्वंदिता चल रही है। रूस के वेल्थ फंड के मुखिया किरिल दिमित्रीव ने वैक्सीन के विकास की प्रक्रिया को ‘स्पेस रेस’ जैसा बताया था। उन्होंने US TV को बताया, ‘जब अमेरिका ने Sputnik (सोवियत यूनियन की बनाई दुनिया की पहली सैटलाइट) की आवाज सुनी तो वे हैरान रह गए, यही बात वैक्सीन के साथ है।

पेप्टाइड आधारित है रूस की दूसरी कोरोना वैक्सीन : दूसरी कोरोना वायरस वैक्‍सीन ‘EpiVacCorona’ को साइबेरियन बॉयोटेक कंपनी ने विकसित किया है। पेप्टाइड आधारित यह वैक्‍सीन कोरोना से बचाव के लिए दो बार देनी होगी। इसे साइबेरिया में स्थित वेक्‍टर इंस्‍टीट्यूट ने बनाया है। मॉस्को टाइम्स के अनुसार, रूस की डेप्‍युटी पीएम ततयाना गोलिकोवा और उपभोक्‍ता सुरक्षा निगरानी संस्‍था की चीफ अन्‍ना पोपोवा को भी यह वैक्‍सीन लगाई गई थी।