
कोरोना वायरस लॉकडाउन होने के बाद कम प्रदूषण होने से धरती और पर्यावरण के सांस लेने की उम्मीद जगी थी। हालांकि, अमेरिका में कोरोना वायरस महामारी हजारों तेल और गैस कंपनियों, सरकारी इकाइयों के लिए बेपरवाही करने की इजाजत के लिए बहाना बन गई है। इन्हें खतरनाक उत्सर्जनों की निगरानी बंद करने या स्वास्थ्य-पर्यावरण की रक्षा पर केंद्रित नियमों की अनदेखी करने की इजाजत मिल गई है।
लगे मरे हुए जानवरों के ढेर
इसके नतीजतन पर्यावरण संबंधी कम निगरानी से टेक्सस में कुछ शोधन संयत्रों और कंटकी में सेना के एक डिपो में नर्व गैस वाले हथियारों का बड़े पैमाने पर खंडित किया जा रहा है, आइओवा और मिन्नेसोटा में खेतों में उर्वरकों और मृत पशुओं का ढेर लग गया है और समाज के लिए अन्य जोखिम भी बढ़ गए हैं।
कोरोना की वजह से हो रही दिक्कत
दरअसल सरकार ने धुएं की निकासी के लिए चिमनी, चिकित्स्कीय अपशिष्ट को दूसरी जगह भेजने, सीवेज संयंत्रों और तेल के कुंओं और रासायनिक संयंत्रों पर नियमों में ढील दे दी है। ट्रंप प्रशासन ने 26 मार्च के बाद निगरानी घटाने का मार्ग प्रशस्त किया था क्योंकि तेल और गैस उद्योग ने यह कहते हुए प्रशासन पर दबाव बनाया था कि महामारी के दौरान लॉकडाउन और एक-दूसरे से दूरी रखने के नियम के चलते प्रदूषण नियमों का अनुपालन कठिन हो गया है।
3000 से ज्यादा इकाइयों को छूट
इस संबंध में 3000 से अधिक मामलों में छूट दी गई जिनमें ज्यादातर में इस महामारी का हवाला दिया गया था। तेल और गैस कंपनियों को सैकड़ों मंजूरियां दी गईं। पर्यावरण संबंधी छूट चाहने वालों में जयादातर ने नियामकों से कहा कि महामारी के दौरान वे श्रमिकों के लिए जोखिम कम से कम करना चाहते हैं। महज चंद कंपनियों और निकायों ने कहा कि वे लागत में कटौती का प्रयास कर रहे हैं।
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