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Custodianship Vs Ownership I Dr Kumar Vishwas

कुछ मूर्खों को लगता है कि वे, उनके चारों तरफ़ की दुनिया के इन-इन टुच्चे से हिस्सों के वे ही परमानेन्ट “मालिक” हैं । ऐसे अहंकारी वक़्ती टुटपुँजिए सुल्तान पाँच-दस सालों की पट्टेदारी मिलने पर भी इतने पगला जाते हैं कि भरे सदनों में बेशर्मी से छाती ठोक-ठोककर बोलने लगते हैं कि “फ़लाँ प्रदेश के मालिक हम हैं।” ईश्वर और समय से न डरने वाले इन जाहिलों की फ़ौज कुछ मूर्खों को लगता है कि वे, उनके चारों तरफ़ की दुनिया के इन-इन टुच्चे से हिस्सों के वे ही परमानेन्ट “मालिक” हैं । ऐसे अहंकारी वक़्ती टुटपुँजिए सुल्तान पाँच-दस सालों की पट्टेदारी मिलने पर भी इतने पगला जाते हैं कि भरे सदनों में बेशर्मी से छाती ठोक-ठोककर बोलने लगते हैं कि “फ़लाँ प्रदेश के मालिक हम हैं।” ईश्वर और समय से न डरने वाले इन जाहिलों की फ़ौज हर युग में लोक के कष्ट का कारण रही है । यही स्वामित्व-बोध की समस्या ही संसार में व्याप्त अहमन्यता-जन्य समस्त अशांति व अराजकताओं की जड़ है। अहंकार के प्रभाव में विवेक को भुलाकर स्वयं को ही सब कुछ मानने की समस्या से ग्रस्त कई आत्म-मुग्ध लोग अक्सर आप सबसे भी कहीं न कहीं टकराते ही रहते होंगे। यह प्रसंग इसी प्रासंगिक समस्या के मूल पर केन्द्रित है। थोड़ा समय निकाल कर इसे पूरा सुने व साझा करके उन आत्मीय स्वजनों तक भी अवश्य पहुँचाये जिन्हें इसे समझने की सख़्त आवश्यकता है।