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मोसाद चीफ जिन्होंने हमास के साथ युद्धविराम डील की लिखी कहानी, परदे के पीछे रहकर रचा खेल


इजरायल और हमास के बीच गाजा में जारी जंग को रोकने के लिए युद्धविराम समझौता हो गया है। इस समझौते को रविवार से लागू किया जाना है। अमेरिका, मिस्र और कतर की मध्यस्थता से हुए इस समझौते से गाजा में 15 महीने से कैद इजरायली बंधकों की वापसी शुरू होगी।
इजरायल और हमास गाजा में 15 महीने से जारी जंग को रोकने के लिए युद्धविराम समझौते पर सहमत हो गए हैं। बुधवार को जब दोनों पक्ष युद्धविराम और बंधक समझौते के अंतिम चरण में पहुंचे, जिसे रविवार से लागू किया जाना है। इस समझौते तक पहुंचने में महीनों की अंतरराष्ट्रीय कूटनीति शामिल रही और कई महत्वपूर्ण लोगों ने यहां तक पहुंचाने के लिए काम किया, लेकिन एक नाम जिसकी सबसे ज्यादा चर्चा है, वो इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया का है।
बार्निया का क्या है रोल? – मोसाद डायरेक्टर डेविड बार्निया को इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने बार-बार हमास से वार्ता के लिए भेजा। बुधवार को डील पर अंतिम तौर पर पहुंचने के समय बार्निया दोहा में ही थे। मुख्य वार्ताकार के रूप में बार्निया को कुछ मुद्दों पर इजरायल की स्थिति को बनाए रखने के लिए पैंतरेबाजी करनी होगी। इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जब बंधक वार्ता अंतिम चरण में थी, उसी समय कुछ इजरायली अधिकारियों ने लीक किया कि उन्होंने मारे गए पूर्व हमास चीफ याह्या सिनवार के शरीर को वापस करने से इनकार कर दिया है।
बार्निया के पास महत्वपूर्ण ताकत – इसी तरह से बार्निया को ही यह तय करना था कि मामूली बदलावों पर सौदे को सील करने के लिए सामरिक लचीलापन कब दिखाना है। हालांकि, सामान्य तौर पर कोई भी नहीं जानता कि असल में मोसाद डायरेक्टर बार्निया क्या कर रहे हैं। कई इजरायली राजनेताओं और रक्षा अधिकारियों ने बंधक वार्ता पर बयानबाजी की, लेकिन बार्निया ने कभी पूरी तरह से सार्वजनिक टिप्पणी नहीं की और खुद को पीछे रखने का प्रयास किया है।
परदे के पीछे से काम – यही नहीं, उन्होंने कई बार ये चाहा कि सरकार हर बार बातचीत करने के लिए पेरिस, काहिरा, कतर या अन्य जगहों पर भेजने के लिए उनके नाम को सार्वजनिक न करे। बार्निया की पहली सफलता हमास के साथ नवंबर 2023 के समझौते को सील करना था, जिसमें 84 इजरायली और 24 विदेशी बंधकों को वापस कर दिया गया था।
मैसेंजर नहीं, असल ऑपरेटर – यरुशलम पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, बंधक वार्ता में बार्निया केवल मैसेंजर नहीं है, बल्कि असली ऑपरेटर हैं। यही वजह है कि कतर के नेताओं और खुफिया अधिकारियों से लेकर मिस्र के नेताओं, सीआईए प्रमुख और प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू तक उन्हें बहुत सम्मान दिया जाता है। बार्निया ने एजेंटों के जरिए हत्या के अभियानों का अंजाम देकर एक प्रतिष्ठा बनाई है। डेविड बार्निया उन कुछ अधिकारियों में से एक हैं, जिन्होंने बंधक वार्ता को कभी नहीं छोड़ा। यहां तक कि मई और अगस्त में जब यह वार्ता टूटने के बहुत करीब पहुंच गई थी। शायद यही वजह है कि नेतन्याहू उन पर इतना भरोसा करते हैं।