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चांद पर क्या हमेशा के लिए सो गया प्रज्ञान? धुकधुकी के बीच ISRO की ये बात हौसला दे रही


चांद पर जैसे-जैसे दिन गुजर रहा है, पौने चार लाख किमी दूर धरती पर भारतीयों के दिलों में धुकधुकी बढ़ती जा रही है। क्या रोवर प्रज्ञान और विक्रम लैंडर हमेशा के लिए सो गए हैं? यह सवाल लोगों को इसरो के ट्विटर हैंडल, न्यूज वेबसाइट, टीवी चैनलों पर खींच रहा है। वे इस अपडेट का इंतजार कर रहे हैं कि काश! कोई चमत्कार हो और चांद पर वे दोनों फिर से उठ खड़े हों। बहरहाल, तमाम आशंकाओं के बीच ISRO वैज्ञानिकों की एक बात हौसला बढ़ा रही है। जी हां, इसरो ने कहा है कि वह पूरे 14 दिन तक चंद्रयान-3 के अपने विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से संपर्क करने की कोशिश करता रहेगा। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सूरज की रोशनी बढ़ने पर सोलर बैटरियां अच्छी तरह से चार्ज होंगी और वे दोनों धरती पर सिग्नल भेजने लगेंगे। कुछ वैसा, जैसे इसरो को मैसेज मिले- हैलो ISRO! मैं आपको सुन पा रहा हूं…। इस तरह से देखें तो इसरो 6 अक्टूबर 2023 तक रोवर और लैंडर के जागने का वेट करता रहेगा। उसी समय चांद पर अगला सूर्यास्त होगा और वहां अंधेरा छाने के साथ उम्मीद भी खत्म हो जाएगी। दरअसल, चांद पर दिन और रात धरती के 14 दिनों के बराबर होते हैं।
चांद पर टेंपरेचर बढ़ने से क्या होगा? – चांद पर सूरज निकले चार दिन हो गए हैं लेकिन इसरो ने अब तक कुछ भी नहीं सुना। ऐसे में चांद की सतह पर अपने दोनों हीरोज के दूसरी पारी खेलने की उम्मीद धुंधली होती जा रही है। इसरो चेयरमैन एस सोमनाथ का कहना है कि अभी उम्मीद बाकी है और हम पूरे लुनार डे यानी धरती पर 14 दिन के बराबर समय तक वेट करेंगे क्योंकि वहां लगातार सूरज की रोशनी पड़ती रहेगी और तापमान बढ़ता जाएगा। जैसे-जैसे टेंपरेचर बढ़ेगा सिस्टम के एक्टिव होने की उम्मीद भी बढ़ेगी। उम्मीद है कि प्रज्ञान और विक्रम 14वें दिन भी धरती को सिग्नल भेजने लगें। साइंटिस्टों का कहना है कि यह अनुमान नहीं लगाया जा सकता कि क्या हो सकता है।
चांद से अब तक गुड न्यूज नहीं – इसरो चीफ एस. सोमनाथ ने कहा है कि यह निश्चित नहीं है कि चंद्रयान-3 के इंस्ट्रूमेंट्स के साथ संपर्क कब स्थापित होगा। ISRO ने 22 सितंबर को ट्वीट कर चंद्रयान-3 पर आखिरी आधिकारिक अपडेट दिया था। उसने बताया था कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर से कम्युनिकेशन स्थापित करने का प्रयास किया गया लेकिन उनसे कोई संकेत नहीं मिला है। हालांकि अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि वह संपर्क स्थापित करने के प्रयास जारी रखेगी। स्पेस में 40 दिनों की यात्रा के बाद चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम ने 23 अगस्त को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग की थी। विक्रम के टचडाउन वाली जगह को शिव शक्ति पॉइंट कहा गया। यहां से निकलकर रोवर 100 मीटर से ज्यादा चांद पर घूमा और इसरो को महत्वपूर्ण जानकारी भेजी। बाद में जब चांद पर अंधेरा होने लगा तो उन्हें स्लीप मोड में डाल दिया क्योंकि वहां रात में -200 डिग्री तक तापमान गिर जाता है। अब सुबह होने के बाद उनके उठने की उम्मीद की जा रही है।