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हर समय हल्दी, जीरा, मेथी को डाइट में शामिल करने की ना करें गलती, सेलिब्रिटी न्यूट्रिशस ने समझाया​

​हल्दी, जीरा और मेथी जैसे मसाले औषधीय गुणों से भरपूर हैं, लेकिन रोज़ाना इनका अंधाधुंध सेवन नुकसान पहुंचा सकता है। सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट की राय में सही मात्रा और समय पर इनका सेवन सेहत के लिए ज़रूरी है। आइए समझें कि कहां सावधानी बरतनी चाहिए।​
भारतीय रसोई में हल्दी, जीरा और मेथी जैसे मसालों का उपयोग पीढ़ियों से होता आ रहा है। ये न सिर्फ स्वाद बढ़ाते हैं बल्कि इन्हें आयुर्वेद में भी औषधीय माना गया है। हल्दी एंटी-इंफ्लेमेटरी होती है, जीरा पाचन के लिए अच्छा माना जाता है और मेथी डायबिटीज से लेकर बालों तक में लाभदायक है।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में छपी न्यूज़ (Ref) के हवाले से सेलिब्रिटी न्यूट्रीशनिस्ट रजुता दिवेकर ने बताया कि इन मसालों का हर समय, हर दिन सेवन आपकी सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है। कोई भी चीज़ तब तक फायदेमंद होती है जब तक उसका संतुलन बना रहे। इन मसालों का बार-बार सेवन शरीर में गर्मी बढ़ा सकता है, हार्मोनल असंतुलन ला सकता है और पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकता है।
हम जानेंगे कि हल्दी, जीरा और मेथी का सही समय, मात्रा और तरीका क्या है। साथ ही जानेंगे कि किन लोगों को इनसे बचना चाहिए और क्यों हर घरेलू नुस्खा हर शरीर पर समान रूप से काम नहीं करता। चलिए, इस जरूरी जानकारी को गहराई से समझते हैं।
हल्दी-औषधि या ज़हर, फर्क सिर्फ मात्रा का होता है – हल्दी को आयुर्वेद में चमत्कारी औषधि माना जाता है। यह एंटीसेप्टिक, एंटी-इंफ्लेमेटरी और इम्यून बूस्टर है। लेकिन अगर आप इसे हर दिन दूध में या भोजन में भरपूर मात्रा में ले रहे हैं, तो यह शरीर में गर्मी और सूजन भी पैदा कर सकती है। खासकर गर्मियों में यह स्किन एलर्जी और डिहाइड्रेशन का कारण बन सकती है। यदि आप पहले से ही ब्लड थिनर ले रहे हैं, तो ज्यादा हल्दी ब्लड क्लॉटिंग रोक सकती है। न्यूट्रिशनिस्ट्स के अनुसार दिन में एक चुटकी हल्दी काफी है। इससे ज़्यादा मात्रा में नियमित सेवन से शरीर को नुकसान पहुंच सकता है।​
जीरा-हर रोज़ नहीं, जरूरत के हिसाब से – जीरा पाचन में मदद करता है, गैस और अपच में राहत देता है। लेकिन रोज़ाना इसका सेवन एसिडिटी बढ़ा सकता है। खासतौर पर खाली पेट लेने पर यह पेट की लाइनिंग को इरिटेट कर सकता है। कई लोग तेजी से वजन घटाने के लिए रोज़ जीरे का पानी पीते हैं, लेकिन इस आदत से इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलित हो सकते हैं। अगर आप थायरॉइड या पाचन संबंधी कोई दवा ले रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह के बिना जीरा नियमित लेना भारी पड़ सकता है। इसलिए ज़रूरत के समय लें, और हफ्ते में 2-3 बार से ज़्यादा न लें।
मेथी- हर किसी के लिए नहीं – मेथी ब्लड शुगर कंट्रोल करने में बेहद फायदेमंद मानी जाती है। इसमें फाइबर, आयरन और प्रोटीन भी पाया जाता है। लेकिन रोज़ाना इसका सेवन हार्मोनल असंतुलन, पेट में गैस और गर्मी जैसी समस्याएं पैदा कर सकता है। प्रेग्नेंट महिलाओं और पीरियड्स में परेशान रहने वाली महिलाओं को मेथी का अधिक सेवन नहीं करना चाहिए। ठंडी तासीर वाले शरीर वालों को मेथी नुकसान पहुंचा सकती है। सही मात्रा में सप्ताह में 2-3 बार मेथी लेना ठीक रहता है।
​हर मौसम में मसाले नहीं होते एक से असरदार – ठंडियों में हल्दी और मेथी का सेवन शरीर को गर्म रखने में मदद करता है, वहीं गर्मियों में यही मसाले शरीर को अधिक गर्म बना सकते हैं। जीरा गर्मी में फायदेमंद हो सकता है लेकिन हल्दी और मेथी को सीमित करना जरूरी है। एक्सपर्ट्स के अनुसार मौसम के अनुसार डाइट में बदलाव लाना जरूरी होता है। मसालों की तासीर और शरीर की प्रकृति दोनों को ध्यान में रखकर ही इनका उपयोग करना चाहिए।​
​हर शरीर का मेटाबोलिज़्म अलग होता है – जो चीज़ एक व्यक्ति के लिए लाभकारी है, वही किसी और के लिए हानिकारक हो सकती है। हल्दी, जीरा और मेथी जैसे मसाले तब तक फायदेमंद होते हैं जब तक शरीर की जरूरत के हिसाब से लिए जाएं। न्यूट्रिशनिस्ट का कहना है कि “वन साइज फिट्स ऑल” डाइट कभी भी असरदार नहीं होती। अगर आपको इन मसालों के बाद जलन, अपच, या बेचैनी महसूस होती है तो तुरंत इनका सेवन बंद करें और डॉक्टर से सलाह लें।​
सेहतमंद रहने का मंत्र – डाइट में विविधता और संतुलन ही असली कुंजी है। एक ही चीज़ को रोज़ाना लेना शरीर को फायदे की जगह नुकसान पहुंचा सकता है। हल्दी, जीरा और मेथी का सही समय, मात्रा और तरीका जानकर ही इन्हें सेवन करें। सेलिब्रिटी न्यूट्रिशनिस्ट्स भी मानते हैं कि देसी मसालों का उपयोग करें, लेकिन विज्ञान और शरीर की ज़रूरत के अनुसार।