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कोकोआ कॉफी पीने से मक्खन-सी हो जाती है त्वचा, क्यों होता है ऐसा यहां जानें इसकी वजह

– हममें से ज्यादातर लोगों को कॉफी पीना पसंद होता है। यही वजह है कि खुद पर कंट्रोल रखते हुए ज्यादातर लोग दिन में एक कॉफी तो पीते ही हैं। लेकिन यह बात नॉर्मल कॉफी से जुड़ी है। हम यहां कोकोआ कॉफी की बात कर रहे हैं। यह कॉफी सामान्य कॉफी की ही तरह आपकी थकान दूर करने का काम तो करती है। साथ ही एक कदम आगे बढ़कर यह आपकी त्वचा को खूबसूरत बनाने का काम भी करती है।

ब्यूटी टॉनिक है कोकोआ कॉफी

-कोकोआ कॉफी आपकी त्वचा के लिए ब्यूटी टॉनिक की तरह काम करती है। क्योंकि इस कॉफी में त्वचा के लिए जरूरी दो ऐंटिऑक्सीडेंट्स की बहुत ही अच्छी मात्रा होती है। इन ऐंटिऑक्सीडेंट्स के नाम हैं, एपिकैटेचिन और कैटेचिन।

-एपिकैटेचिन और कैटेचिन आपकी त्वचा को धूप की किरणों के कारण होनेवाले नुकसान से बचाते हैं। इन ऐंटिऑक्सीडेंट्स का रोल त्वचा की कोशिकाओं में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने का भी होता है। इससे त्वचा में ऑक्सीजन का स्तर अच्छा बना रहता है। जिस कारण त्वचा की कोशिकाओं में निखार आता है।

ऐसे बढ़ाती है त्वचा की सुंदरता

-कोकोआ कॉफी में मौजूद एपिकैटेचिन और कैटेचिन (epicatechin and catechin) आपकी त्वचा में नमी को ब्लॉक करने का काम करते हैं। इससे आपकी त्वचा अधिक स्मूद और मक्खन-सी सॉफ्ट बनती है।

-तेज हवा, धूप, प्रदूषण, उमस और तेज गर्मी या बहुत अधिक ठंड ये सभी स्थितियां हमारी त्वचा पर अपना अलग-अलग प्रभाव डालती हैं। इस दौरान हमारी त्वचा अपनी प्राकृतिक नमी खो देती है। इस समस्या से बचाने में कोकोआ कॉफी एपिकैटेचिन और कैटेचिन के कारण ही अधिक प्रभावी ड्रिंक का रोल प्ले करती है।

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कोशिकाओं में ऑक्सीजन बढ़ने का लाभ

-त्वचा की कोशिकाओं में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ने का लाभ यह होता है कि आपकी त्वचा अधिक ग्लोइंग बनती है। क्योंकि जब आपकी त्वचा खुलकर सांस ले पाती है और उसमें रक्त का प्रवाह सही प्रकार से होता है तो आपकी त्वचा पर मौजूद दाग-धब्बे प्राकृतिक रूप से दूर होने लगते हैं।

-फ्री रेडिकल्स के कारण त्वचा की कोशिकाओं को पहुंची हानि को ऑक्सीजन का बढ़ा हुआ स्तर कम करता है। क्योंकि इस दौरान त्वचा की क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की रिपेयरिंग की प्रक्रिया बहुत तेज हो जाती है। ऑक्सीजन से बढ़े रक्त प्रवाह के कारण ही त्वचा को आयरन की प्राप्ति भी पर्याप्त मात्रा में होती है। इससे त्वचा की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और फंगी, बैक्टीरिया इत्यादि का असर त्वचा पर नहीं हो पाता है।