
करीब 10 करोड़ की आबादी वाला उत्तरी अफ्रीकी देश मिस्र अमेरिका से मदद लेने पर टॉप पर है। लेकिन कोरोना संकट के बीच मिस्र ने मदद के तौर पर मेडिकल आपूर्ति से भरा विमान अमेरिका भेजकर मिसाल कायम की है। इसे लेकर दुनियाभर में मिस्र की चर्चा भी हो रही है। उसके इस कदम ने कई देशों को अचरज में डाल दिया है।
2018 में अमेरिका ने मिस्र को 1.2 अरब डॉलर (करीब 9200 करोड़ रुपए) से ज्यादा की सहायता दी थी। सैन्य जनरल से मिस्र के राष्ट्रपति बने अब्देल फतह अल सिसी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ संबंध मजबूत बनाने के लिए उत्सुक रहे हैं। मिस्र इससे पहले चीन और इटली को भी मेडिकल सामग्री भेज चुका है।
अमेरिका को मदद भेजने का वीडियो सामने आया
मिस्र के राष्ट्रपति कार्यालय द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में मेडिकल सामग्री को सैन्य परिवहन विमान में लादा जा रहा है। इसके साथ अंग्रेजी और अरबी में एक संदेश लिखा है- ‘मिस्र के नागरिकों की तरफ से अमेरिकी लोगों के लिए।’ मिस्र के साथ संबंधों को बढ़ावा देने वाले अमेरिकी सांसद डच रूपरबर्गर ने ने कहा- ‘विमान बुधवार को वॉशिंगटन के बाहर एंड्यूज एयरफोर्स बेस पर उतरा। विमान में दो लाख मास्क, 48 हजार शू कवर, 20 हजार सर्जिकल कैप और अन्य सामान है।’ डेमोक्रेट रूपरबर्गर ने ट्विटर पर लिखा- ऐसा इसलिए है क्योंकि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और मिस्र जैसे सहयोगियों के साथ संबंध बनाए रखना संकट के समय ही नहीं बल्कि हर समय आवश्यक है।
मदद पर सवाल; लोग बोले- मिस्र जैसा देश भी मदद कर सकता है?
मिस्र द्वारा की गई अमेरिका की सहायता पर कुछ लोगों ने सवाल भी उठा दिया है। लोगों का कहना है कि क्या मिस्र जैसा देश मेडिकल आपूर्ति भेज सकता है, जहां एक तिहाई आबादी लगभग डेढ़ अमेरिकी डॉलर (करीब 115 रु.) प्रतिदिन कमाती है। हालांकि, काहिरा में अमेरिकी राजदूत जोनाथन कोहेन ने मिस्र के इस कदम की सराहना की है। मिस्र में कोरोना के 3,300 मामले सामने आए हैं। 250 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं अमेरिका में 8.20 लाख से ज्यादा कोरोना संक्रमित हैं।
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