पाकिस्तान के अलावा एक और इस्लामिक देश ऐसा है, जो भारी आर्थिक संकट से जूझ रहा है। मिस्र में हालात ऐसे हो गए हैं, जहां लोग एक साथ दूसरी नौकरी की तलाश में हैं। इसके अलावा लोगों ने यहां मांस खाना कम कर दिया है, क्योंकि उसके दाम हद से ज्यादा बढ़ चुके हैं। मिस्र का पाउंड डॉलर के मुकाबले एक साल में आधा हो गया है। मिस्र में मुद्रास्फीति 33 फीसदी हो गई है और लोग इससे निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। सबसे हालिया सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मिस्र की गरीबी दर 30 फीसदी के करीब है, हालांकि सही आंकड़ा इससे ज्यादा होने की उम्मीद है।
भले ही मिस्र में गरीबी बढ़ रही हो, लेकिन सरकार राजधानी काहिरा से 45 किमी पूर्व में एक शानदार नई प्रशासनिक राजधानी जैसी बड़ी परियोजनाओं पर भारी खर्च कर रही है। उसका दावा है कि यहां अफ्रीका की सबसे ऊंची इमारत और एक भव्य मस्जिद होगी। अमेरिका स्थित थिंकटैंक तहरीर इंस्टीट्यूट फॉर मिडिल ईस्ट पॉलिसी के टिमोथी ई कलदास ने कहा, ‘2019 में वर्ल्ड बैंक का अनुमान था कि मिस्र के 60 फीसदी लोग गरीबी रेखा के पास या उससे नीचे रहते हैं। तब एक बड़ी आबादी रेखा से ऊपर थी, लेकिन अब वह नीचे आ चुकी है। महंगाई और बढ़ी तो और भी लोग गरीबी रेखा के नीचे पहुंचेंगे।’
लाखों लोग गरीबी की कगार पर – यूक्रेन पर हमला होने के बाद मिस्र ने एक बड़ी आबादी को नकद सहायता दी है। इस दौरान IMF की ओर से भी मदद दी जा रही है, लेकिन इसका कोई खास असर देखने को नहीं मिला है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने इस साल की शुरुआत में मिस्र को अतिरिक्त 3 अरब डॉलर के वित्तपोषण की मदद दी। इसमें आईएमएफ की शर्त थी कि मिस्र 2 करोड़ लोगों को नकद सहायता प्रदान करे। कलदास ने कहा कि सरकार पर्याप्त काम नहीं कर रही है। अगर 2019 में 60 फीसदी आबादी कमजोर थी, इसका मतलब है कि संकट के बाद या लाखों लोग गरीबी की कगार पर हैं।
Home / News / आईएमएफ भी नहीं रोक पा रहा मुस्लिम देश मिस्र की कंगाली, हर रोज गरीब हो रही जनता, सेना मौज में