भवन में मिरर यानी आईने के सही स्थान पर निर्धारण से एक ओर जहां भवन की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने में मदद मिलती है, वहीं दूसरी ओर आईनों के लिए गलत जगह का चयन मानसिक दुश्चिन्ताओं को बढ़ाने वाला हो सकता है।
घर के वे हिस्से जो कि वास्तु सम्मत नहीं बने हुए हैं, साथ ही जो भवन टी पर स्थित हैं उन स्थानों पर युक्तिपूर्वक लगाए शीशों से नकारात्मक प्रभाव कम होता है क्योंकि मिरर में ना सिर्फ दृश्य जगत को प्रभावित करने की क्षमता होती है बल्कि प्रकाश व अन्य अदृश्य ऊर्जाओं को परावर्तित करने की क्षमता भी होती है।
भवन में उत्तरी दीवारों पर शीशे लगाने से धन धान्य में वृद्धि, रोजगार के अवसरों में वृद्धि, यात्राओं के फलदायी होने और सूचनाओं के सही सम्प्रेषण के साथ ईश्वरीय सत्ता से घर की खुशहाली में सहायक होते हैं।
पूर्वी दीवारों पर लगे शीशे राजकीय व प्रशासनिक कार्यों में सफलता, मान- सम्मान में वृद्धि, मन में नई ऊर्जा का संचार के साथ वैचारिक नकारात्मकता को दूर करने में सहायक होते हैं।
पश्चिम दिशा में लगे शीशे पारिवारिक सदस्यों की कलात्मक अभिरुचियों को बढ़ाने, महिलाओं की व्यावसायिक गतिविधियों में वृद्धि करते हैं।