
अमेरिका की खुफिया एजेंसी CIA ने कई सालों तक दुनिया के कई देशों की जासूसी की। अमेरिका के एक बड़े अखबार के मुताबिक, ‘सीआईए ने भारत सहित कई दूसरे देशों के इनक्रिप्टेड मेसेज कई सालों तक पढ़े। इसके लिए एजेंसी ने स्विट्जरलैंड की एक कंपनी की मदद ली, जो दूसरे देशों की सरकारों की विश्वसनीय थी। इस कंपनी के पास उनके जासूसों, सैनिकों और डिप्लोमेट्स के सीक्रेट कम्युनिकेशन थे। लेकिन खास बात है कि यह स्विस एजेंसी का मालिकाना हक CIA के ही पास था।
महा मूर्खो, हर देश दूसरे देशों की जासूसी करता है, चाहे मित्र हों या दुश्मन. और जसुअसी के लिये बिज़्नेस खोलकर उसके मध्याँसे लोगों से बिना रोक टॉक के मिलना और दस्तावेज अदन प्रदान कार…+
सभी कॉमेंट्स देखैंअपना कॉमेंट लिखेंवॉशिंगटन पोस्ट और जर्मनी के सरकारी ब्रॉडकास्टर ने मंगलवार को एक रिपोर्ट पब्लिश की। इस रिपोर्ट के मुताबिक, क्रिप्टो एजी कंपनी ने अमेरिका की सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (CIA) के साथ 1951 में एक डील की और 170 में इसका मालिकाना हक सीआईए को मिल गया। इस जॉइंट रिपोर्ट में बताया सीआईए के क्लासिफाइड डॉक्युमेंट से खुलासा किया है कि किस तरह अमेरिका और इसके सहयोगियों ने सालों तक भोलेपन का फायदा उठाया, उनका पैसा ले लिया और उनके सीक्रेट भी चुरा लिए। कम्युनिकेशंस और इन्फर्मेशन सिक्यॉरिटी में विशेषज्ञता रखने वाली इस कंपनी की स्थापना 1940 के दशक में एक इंडिपेंडेंट कंपनी के तौर पर हुई थी।
सहयोगियों और विरोधियों-दोनों की जासूसी
रिपोर्ट में बताया गया है कि सीआईए और नैशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी ने सहयोगियों और विरोधियों दोनों की जासूसी की। क्रिप्टो एजी कंपनी को क्रिप्टोग्राफी उपकरण बनाने में विशेषज्ञता हासिल है। 50 से भी ज्यादा सालों तक स्विस कंपनी ने दुनिया के कई देशों के जासूसों, सैनिकों और डिप्लोमैट के सीक्रेट कम्युनिकेशन में सेंध लगाई। यह कंपनी इन देशों की सरकारों की विश्वसनीय थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस कंपनी के क्लाइंट्स की बात करें तो इनमें ईरान, लैटिन अमेरिका के देश, भारत, पाकिस्तान और वैटिकन शामिल हैं। फिलहाल भारत सरकार की तरफ से इस बारे में कोई जानकारी नहीं मिली है। हाालंकि, स्विस कंपनी के किसी भी क्लाइंट को इस बारे में जानकारी नहीं थी कि सीआईए इस कंपनी की ओनर है और गुपचुप तरीके से उनकी सूचनाओं में सेंध लगाई जा रही है।
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