
फ्रांस में इन दिनों स्थानीय नेताओं को चुनने के लिए मतदान जारी है। बड़ी संख्या में मतदाता पूरे फ्रांस में अपने संविधानिक अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। इस चुनाव को अगले साल होने वाले राष्ट्रपति चुनाव का पूर्वाभ्यास माना जा रहा है। दरअसल, स्थानीय निकाय के चुनाव में मैक्रों की लारेम पार्टी (La République En Marche!) ने भी अपना उम्मीदवार उतारा हुआ है। अगले साल फ्रांस में राष्ट्रपति चुनाव भी होने वाला है। ऐसे में अगर मैक्रों की पार्टी को जीत नहीं मिलती है तो यह उनके लिए खतरे की घंटी हो सकती है।
मरीन ले पेन और मैक्रों के बीच मुख्य मुकाबला : मैक्रों की धुर विरोधी मरीन ले पेन की घोर दक्षिणपंथी पार्टी को भरोसा है कि वह सख्त सुरक्षा उपायों और प्रवासियों को रोकने के संदेश के साथ मतदाताओं के बीच बढ़त बनाने में कामयाब होगी। वहीं राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों की यंग सेंट्रिस्ट पार्टी के बारे में माना जा रहा है कि वह रविवार को क्षेत्रीय चुनाव के पहले चरण के मतदान में खराब प्रदर्शन करेगी क्योंकि वह कमजोर स्थानीय आधार और महामारी से निपटने के तरीके को लेकर लोगों की नाराजगी का सामना कर रही है।
दोपहर तक 12 फीसदी मतदान : भूमध्य सागर तट स्थित मार्से से लेकर इंग्लिश चैनल के तट पर स्थित ला तुके तक स्कूलों और सामुदायिक केंद्रों में मतदान शुरू हुआ लेकिन कई मतदान केंद्र खाली नजर आए। दोपहर तक राष्ट्रीय स्तर पर केवल 12 प्रतिशत मतदान हुआ। फ्रांस के 13 क्षेत्रीय परिषदों के लिए रविवार को मतदान हुआ।
राष्ट्रपति चुनाव का पूर्वाभ्यास है यह वोटिंग : इस चुनाव में आधारभूत संरचना स्कूल आदि स्थानीय मुद्दे प्रमुख रहे लेकिन नेता इसे अप्रैल 2022 में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में अपनी ताकत आंकने के मंच के तौर पर देख रहे हैं। माना जा रहा है कि अगले राष्ट्रपति चुनाव में मुकाबला मैक्रों और पेन के बीच होगा। अपने अतिराष्ट्रवाद की विचारधारा और हाल में ही हुए कई आतंकी हमलों का मुस्लिम कनेक्शन आने के बाद मरीन को बढ़त प्राप्त है। फ्रांस के ग्रामीण इलाकों में राष्ट्रपति मैक्रों की स्थिति काफी कमजोर मानी जा रही है। यही कारण है कि मैक्रों भी खुद को धार्मिक कट्टरपंथ से निपटने वाला बताने का प्रयास कर रहे हैं।
आतंकवाद, प्रवासी और इस्लाम भी फ्रांसीसी चुनाव के प्रमुख मुद्दे : फ्रांस के राष्ट्रपति चुनाव में देश में बढ़ती आतंकवादी घटनाएं, कट्टर इस्लाम और प्रवासियों का मुद्दा भी छाया रहेगा। इस्लाम के खिलाफ मैक्रों के दिए गए बयान पर पूरी दुनिया में प्रदर्शन हुए थे। फ्रांस के अधिकतर लोंगो का मानना है कि देश में आतंकवाद और कट्टरपंथ का सीधा संबंध प्रवासियों से है। इस मुद्दे पर मैक्रों के ऊपर विपक्षी नेता मरीन ले पेन ने हमला बोला हुआ है।
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