
फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों के शीर्ष राजनयिक सलाहकार एमैनुएल बोन ने 2015 के परमाणु समझौते को बचाने और ईरान तथा अमेरिका के बीच तनाव कम करने के उद्देश्य से बुधवार को तेहरान में ईरान के राष्ट्रपति से उच्च स्तरीय वार्ता की। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर लंबे समय तक गुप्त रूप से यूरेनियम संवर्धन का आरोप लगाते हुए ट्विटर पर चेतावनी दी कि ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंध जल्द ही ‘‘काफी हद तक बढ़ जाएंगे”। ईरान के राष्ट्रपति कार्यालय से जारी एक बयान के अनुसार, बोन के साथ अपनी बैठक में, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने कहा कि ईरान ने ‘‘कूटनीति और बातचीत का रास्ता पूरी तरह से खुला रखा है”।
रूहानी ने अन्य पक्षों से इस समझौते को “बचाए रखने के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरी तरह से लागू करने” का आह्वान किया। एमैनुएल बोन ने ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल के सचिव रियर-एडमिरल अली शमखानी, विदेश मंत्री मोहम्मद जावेद जरिफ और उपविदेश मंत्री अब्बास अरागची से मुलाकात की। फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-येव्स ली ड्रायन ने बताया कि बोन की इस यात्रा का मकसद तनाव को अनियंत्रित तरीके से बढ़ने और कोई भी हादसा होने से रोकना है। ईरान और दुनिया की महाशक्तियों के बीच 2015 में हुए समझौते में संयुक्त विस्तृत कार्य योजना बनी थी।
इसके तहत ईरान द्वारा परमाणु कार्यक्रम बंद करने के एवज में उसे प्रतिबंधों से राहत, आर्थिक लाभ और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एकाकीपन खत्म करना था। हालांकि इस संबंध में ईरान का कहना है कि इस समझौते से अमेरिका को एकतरफा तरीके से बाहर करने के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के एक साल बाद भी यूरोपीय देश कुछ नहीं कर रहे हैं, ऐसे में उसका धैर्य समाप्त हो रहा है। बोन के साथ मुलाकात से पहले ईरान के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों के संदर्भ में जरिफ ने कहा, ‘‘दबाव में रहते हुए बातचीत संभव नहीं है।”
समझौते से अमेरिका के बाहर होने की ओर इंगित करते हुए उन्होंने कहा कि यूरोपीय देश इस समस्या का समाधान करें। वहीं, दूसरी ओर यूरोपीय संघ और फ्रांस, जर्मनी तथा ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि ईरान बिना किसी देरी के समझौते के सभी प्रावधानों का पालन करे और तुरंत इसके अनुरूप चलना शुरू करे। गौरतलब है कि सोमवार को ईरान द्वारा यूरेनियम का 4.5 प्रतिशत तक संवर्धन करने की घोषणा के बाद बोन यहां आए हैं। समझौते के अनुसार ईरान सिर्फ 3.67 प्रतिशत तक ही यूरेनियम का संवर्धन कर सकता है जो कि परमाणु ऊर्जा के लिए पर्याप्त है।
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