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भारत से बढ़ी ‘दूरी’ तो टेंशन में आया दोस्‍त रूस, पीएम मोदी की यात्रा से बदलेंगे रिश्‍ते? दुनिया की टिकी नजर


भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार सत्‍ता संभालने के बाद पहली विदेश यात्रा पर रूस जा रहे हैं। पीएम मोदी 8 जुलाई को मास्‍को पहुंच सकते हैं और पुतिन से मुलाकात करेंगे। पीएम मोदी का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब रूस और पश्चिमी देशों में तनाव अपने चरम पर है।
यूक्रेन युद्ध के बाद पहली बार पीएम मोदी रूस की यात्रा पर जा रहे हैं। पीएम मोदी 8 और 9 जुलाई को रूस में रहेंगे और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे। पुतिन और मोदी इस मुलाकात के दौरान रणनीतिक, आर्थिक और सैन्‍य संबंधों पर जोर दे सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक पीएम मोदी का यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब दोनों देशों के बीच रिश्‍तों में ‘दूरी’ बढ़ रही है। पीएम मोदी और पुतिन भारत और रूस के बीच व्‍यापार पर बात कर सकते हैं जो तेल के आयात की वजह से बहुत बढ़ गया है। भारत और रूस पेमेंट के मुद्दे को आसान बनाने पर बात कर सकते हैं जो पश्चिमी प्रतिबंधों की वजह से फंसा हुआ है। रूस और चीन की दोस्‍ती बढ़ रही है, यह भी भारत के लिए चिंता का विषय है।
पीएम मोदी साल 2015 के बाद पहली बार मास्‍को पहुंच रहे हैं। इसे भारत और रूस के बीच दशकों से हो रहे वार्षिक शिखर सम्‍मेलन की फिर से शुरुआत माना जा रहा है। पीएम मोदी ने साल 2017, 2018, 2019 में रूस की यात्रा की थी और दूसरे शहरों में पुतिन से मुलाकात की थी। पुतिन भी साल 2016, 2018, 2021 में भारत की यात्रा की थी। दोनों ही नेता शंघाई सहयोग संगठन की उज्‍बेकिस्‍तान में साल 2022 में आयोजित बैठक में मिले थे लेकिन वार्षिक बैठक पिछले 3 साल से नहीं हुई थी। विश्‍लेषकों का यह भी कहना है कि पीएम मोदी की इस यात्रा से वे सभी आशंकाएं खत्‍म हो जाएंगी जो भारत और रूस के रिश्‍तों को लेकर लगाई जा रही थीं। साथ ही लंबित मामलों का समाधान हो सकेगा।
भारत बनाएगा रिश्‍तों में ‘संतुलन’ -रूस में भारत के पूर्व राजदूत वेंकटेश वर्मा ने द हिंदू से बातचीत में कहा, ‘भारत और रूस के बीच हर साल होने वाले शिखर सम्‍मेलन में आया ब्रेक शुरू में कोरोना और तेजी से बदलते अंतरराष्‍ट्रीय हालात की वजह से था। अब यह जरूरी हो गया है कि दोनों देश द्विपक्षीय संबंधों में आई गिरावट की अंतरराष्‍ट्रीय धारणा को पलट दें। इसी वजह से यह यात्रा एकदम समय पर हो रही है लेकिन अब रणनीतिक भागीदार को फिर से मजबूत करने में काफी देर हो चुकी है।’ सूत्रों के मुताबिक पीएम मोदी के कार्यक्रम को अभी अंतिम रूप दिया जा रहा है।
S 400 सबसे शक्तिशाली एयर डिफेंस का मेंटीनेंस भारत में ही होगा – पीएम मोदी के तीसरी बार सत्‍ता संभालने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा हो सकती है। इस यात्रा से एक बार फिर से पुरानी परंपरा बहाल हो जाएगी। पहले भारत के प्रधानमंत्री पद संभालने के बाद पहली विदेश यात्रा पर रूस जाते थे जो हमारा दशकों से सबसे करीबी देश रहा है। इस यात्रा से अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को भी संदेश जाएगा कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के दो साल बाद भी पीएम मोदी का इरादा रिश्‍तों में ‘संतुलन’ बनाए रखना है। भारत सरकार की ओर से अभी कोई ऐसा ऐलान नहीं किया गया है कि पीएम मोदी इस यात्रा के दौरान यूक्रेन की राजधानी कीव जाएंगे या नहीं। इस यात्रा से पीएम मोदी यह भी संदेश देने जा रहे हैं कि ऐसे मंचों पर जहां चीन मौजूद है, पीएम मोदी उसे तरजीह नहीं देने जा रहे हैं। पीएम मोदी एससीओ की बैठक में हिस्‍सा नहीं ले रहे हैं और उनकी जगह विदेश मंत्री एस जयशंकर जा रहे हैं।