
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने देश की नई सुरक्षा नीति को मंजूरी दे दी है। इसे लेकर शनिवार को एक दस्तावेज जारी किया गया। इसमें भारत और चीन के साथ सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया गया है। वहीं, दूसरी ओर अपनी आर्थिक सुरक्षा को तेजी देने के लिए अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन में डॉलर का इस्तेमाल कम करने की बात कही गई है। इस नीति को पुतिन का भारत-चीन से दोस्ती बढ़ाते हुए अमेरिका से दूरी बढ़ाने के इशारे के रूप में देखा जा रहा है।
भारत-चीन से सहयोग बढ़ाना : इस दस्तावेज में भारत के साथ विशेष रणनीतिक सहयोग स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है। वहीं, चीन के साथ भी विस्तृति पार्टनरशिप और रणनीतिक सहयोग विकसित करने का लक्ष्य तय किया गया है। रूसी न्यूज एजेंसी स्पूतनिक की रिपोर्ट के मुताबिक इस नीति के जरिए ऐसी प्रक्रिया बनाने की कोशिश की जाएगी जिससे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में अलग-अलग समूहों से अलग क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल कम : दूसरी ओर, दस्तावेज में अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन में अमेरिकी डॉलर का इस्तेमाल कम करने की बात कही गई है। इसके जरिए आर्थिक सुरक्षा को बढ़ाने की कवायद की जाएगी। वहीं, वैक्सीनों के घरेलू विकास और उत्पादन को भी इस दिशा में अहम माना गया है। नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन (NATO) को लेकर दस्तावेज में साफ कहा गया है कि परमाणु हथियारों को लेकर उसके कदम से रूस की ओर बढ़ रहे सैन्य खतरों में इजाफा होगा।
रूस के सामने कई खतरे : नई नीति में कहा गया है, ‘रूस के सामने जो सैन्य खतरे हैं, वे रूस और उसके सहयोगियों पर दबाव डालने के लिए की जा रहीं कोशिशों से बढ़ रहे हैं।’ इसमें रूस की सीमा के पास NATO की मिलिट्री एक्सरसाइज, जासूसी गतिविधियां बढ़ाने का दावा, बड़े सैन्य समूहों के साथ अभ्यास और रूस के खिलाफ परमाणु हथियार विकसित करने जैसे दावे किए गए हैं।
इसमें कहा गया है कि देश के अंदर और बाहर विध्वंसक ताकतें रूस के सामने खड़ीं सामाजिक-आर्थिक चुनौतियों का इस्तेमाल नकारात्मक सामाजिक प्रक्रियाओं को बढ़ाने और अलग-अलग समूहों में दरार डालने के लिए कर रही हैं।
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