
अगर आप जगन्नाथ रथ यात्रा पर अपनी सामान्य ज्ञान की समझ को परखना चाहते हैं, तो यह क्विज आपके लिए है। अगर आप इस रथ यात्रा के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है तो, तो चिंता न करें, इस क्विज के जरिए आप अपना नॉलेज बूस्ट कर सकते हैं।
हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा न सिर्फ धार्मिक, बल्कि ऐतिहासिक महत्व भी रखती है। हर साल आषाढ़ मास की द्वितीया तिथि को शुरू होने वाली यह यात्रा लाखों श्रद्धालुओं की आस्था से जुड़ी होती है। यहां इस साल 27 जून 2025 को शुक्रवार को भव्य रथ यात्रा निकाली जाएगी।
इस यात्रा से जुड़ी कई ऐतिहासिक और पौराणिक जानकारियां हैं। हम आपके लिए इस पर आधारित एक खास जनरल नॉलेज क्विज लेकर आए हैं, जो छात्रों के लिए तैयार किया गया है, जिससे वे इस पर्व से जुड़ी जरूरी जानकारियां रोचक तरीके से सीख सकते हैं। यहां हम रथ यात्रा पर आधारित ऐसे 11 सवालों को पेश कर रहे हैं, जिनसे आपका जनरल नॉलेज और मजबूत होगा।
1. रथ यात्रा का उत्सव किन भगवानों के लिए समर्पित है?
उत्तर: रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), उनके बड़े भाई बलराम (बलभद्र) और बहन सुभद्रा को समर्पित है। इन तीनों की मूर्तियों को भव्य रथों में सजाकर पुरी के मुख्य मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।
2. भगवान बलभद्र के रथ का नाम क्या है?
उत्तर: बलभद्र जी के रथ को तालध्वजा या लंगलध्वजा कहा जाता है। यह रथ हरे और लाल रंग में सजाया जाता है और इसमें 14 पहिए होते हैं।
3. भगवान जगन्नाथ के रथ का नाम क्या है?
उत्तर: भगवान जगन्नाथ का रथ सबसे बड़ा होता है, जिसे नंदीघोष (Nandighosha)कहा जाता है। इसमें 16 विशाल पहिए होते हैं और यह पीले और लाल रंग से सजाया जाता है। अकेले नंदीघोष के निर्माण में लगभग दो महीने का समय लगता है।
4. तीनों देवताओं को किस मंदिर में ले जाया जाता है?
उत्तर: पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलकर रथ यात्रा के दौरान तीनों देवता गुंडिचा मंदिर, जो उनकी मौसी का घर माना जाता है, तीनों भाई-बहन कुछ दिन वहीं ठहरते हैं। इस यात्रा को करते हुए भगवान जगन्नाथ साल में एक बार गुंडिचा माता के मंदिर जाते हैं।
5. गुंडिचा मंदिर से वापसी यात्रा को क्या कहा जाता है?
उत्तर: रथ यात्रा की वापसी को ‘बाहुदा यात्रा’ कहा जाता है। यह यात्रा आमतौर पर नौवें दिन होती है। तीनों देवता अपने मौसी के घर गुंडिचा मंदिर को छोड़कर बाहुदा (वापसी) यात्रा में शामिल होते हैं।
6. रथ यात्रा के कितने दिन बाद सुनाबेषा होता है?
उत्तर: देवताओं की वापसी के अगले दिन उन्हें सुनाबेषा (सुनहरे वस्त्र) में सजाया जाता है। इस दर्शन को शुभ माना जाता है और लाखों श्रद्धालु इसे देखने आते हैं।
7. देवी सुभद्रा के रथ का क्या नाम है?
उत्तर: देवी सुभद्रा का रथ दर्पदलन (Darpadalan) कहलाता है। सुभद्रा जी का रथ छोटा और मध्यम आकार का होता है, समें 12 पहिए होते हैं। यह लाल और काले रंग में होता है।
8. रथ यात्रा की शुरुआत किस काल से मानी जाती है?
उत्तर: Drishtiias वेबसाइट के मुताबिक, माना जाता है कि जगन्नाथ मंदिर का निर्माण पूर्वी गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव ने 12वीं शताब्दी में कराया था और तभी से रथ यात्रा की परंपरा भी शुरू हुई। वहीं, कुछ रिपोर्ट्स की माने तो यह त्योहार प्राचीन काल से ही चलन में था।
9. रथ खींचने की परंपरा को क्या कहा जाता है?
उत्तर: रथ खींचने की परंपरा’छेरा पाहरा’ (Chhera Pahara) कहलाती है। इस परंपरा में पुरी के गजपति राजा स्वयं झाड़ू लगाकर रथ खींचने की प्रक्रिया की शुरुआत करते हैं। यह भारतीय लोकतंत्र और समानता की मिसाल मानी जाती है।
10. रथ यात्रा में तीनों रथों के रंग क्या होते हैं?
उत्तर: भगवान जगन्नाथ: लाल-पीला
भाई बलराम: लाल-हरा
देवी सुभद्रा: लाल-काला
इन रंगों का पौराणिक और सांस्कृतिक महत्व होता है। प्रत्येक रंग देवता के स्वभाव और शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
11. किस पेड़ की लकड़ी से बनते हैं रथ
उत्तर: भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए अलग-अलग तीन रथ बनाए जाते हैं। रथ यात्रा के लिए फासी, धौरा, सिमली, सहजा और मही और दारूक पेड़ की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। पहले रथ में भगवान जगन्नाथ, दूसरे में भगवान बलभद्र और तीसरे में देवी सुभद्रा बैठती हैं।
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