
चीन में मुस्लिम नामों पर प्रतिबंध के बाद अब जर्मनी की सरकार ने देश की सुरक्षा को देखते हुए महिलाओं के बुर्का पर रोक लगा दी। इस प्रस्ताव को अभी उच्च सदन में पारित होना है। गौरतलब है कि पिछले दो सालों में जर्मनी में 10 लाख से ज्यादा शरणार्थी आए हैं जिनमें मुस्लिम सबसे ज्यादा हैं।
हालांकि बुर्के को लेकर गिने-चुने लोगों पर ही रोक लगाया जाएगा, जैसे- लोक सेवकों, जजों और सैनिकों के कार्य के दौरान बुर्का पहनने पर रोक होगी। यह कदम बढ़ते आतंकी हमलों के चलते उठाया गया है। हाल ही में बर्लिन के क्रिसमस बाजार में आतंकी हमले में 12 लोग मारे गए थे।
जर्मनी के गृहमंत्री थॉमस डी माइजियरे ने कहा कि बुर्के पर प्रतिबंध लगाने का यह कदम दर्शाता है कि दूसरी संस्कृतियों के प्रति कितनी सहिष्णुता है। दक्षिणपंथी पार्टियां फ्रांस की तरह बुर्के पर पूर्ण प्रतिबंध चाहती हैं लेकिन इस पर आंशिक प्रतिबंध ही लगाया जा रहा है।
बता दें कि पिछले साल दिसंबर में जर्मनी की चांसलर अंगेला मर्केल ने बुर्के पर प्रतिबंध लगाने की अपील की थी। तब उनका कहना था कि बातचीत के दौरान लोगों का चेहरा दिखाई देना जरूरी है। इससे पहले अगस्त में थॉमस डि मेजियर ने बुर्के पर आंशिक प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव रखा था। तब उन्होंने कहा था कि अगर बुर्के पर प्रतिबंध लगता है तो केवल सरकारी कार्यालयों, स्कूलों और विश्वविद्यालय जैसी जगहों पर ही प्रभावी होगा क्योंकि यह समाज के सह-अस्तित्व के लिए जरूरी है।
फ्रांस में साल 2011 से सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने पर पूरी तरह रोक है। इस साल फरवरी में बवेरिया प्रांत ने सरकारी कार्यस्थलों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों और ड्राइविंग के समय बुर्का पहनने पर प्रतिबंध लगा दिया था।
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