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पाकिस्तान को जर्मनी ने दिया झटका, पनडुब्बियों को ‘छिपाने’ में नहीं करेगा मदद


जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल की अध्यक्षता वाले एक सिक्यॉरिटी पैनल ने पाकिस्तान को झटका दिया है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने अपनी पनडुब्बियों के लिए एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP) मांगा था जिसे देने से बर्लिन ने साफ इनकार कर दिया है। AIP की मदद से पनडुब्बियां हफ्तों पानी के नीचे रह सकती हैं।

पनडुब्बियां अपग्रेड कर रहा है पाक
जर्मन फेडरल सिक्यॉरिटी काउंसिल ने पाकिस्तान को यह फैसला 6 अगस्त को सुना दिया था। पाकिस्तान ने AIP मांगा था ताकि उसकी पनडुब्बियों को सतह पर ना आना पड़े। AIP सिस्टम से पनडुब्बियों की जंगी क्षमता भी बड़ जाती है क्योंकि इससे डीजल इंजन बिना अटमॉस्फीरिक हवा के हफ्तों चल सकते हैं। परंपरागत पनडुब्बियों को हर दूसरे दिन सतह पर लौटना पड़ता है जिससे उनके पकड़े जाने का खतरा बढ़ जाता है।

अगर यह बैलिस्टिक मिसाइलों से पूरी तरह लैस है तो यह पनडुब्बी किसी भी देश को उड़ाने की ताकत रखती है। हालांकि, अगर इसमें सिर्फ एक मिसाइल है तो यह किसी टेस्ट वीइकल जैसी है। दरअसल, इसे लेकर स्थिति साफ नहीं है कि इस पर कितनी न्यूक्लियर पावर है। इस बारे में भी जानकारी नहीं है कि रूस के पास मौजूदा वक्त में आखिर कितनी बैलिस्टिक मिसाइलें ऑपरेशनल हैं।

Typhoon Class पर पहले R-39 (Rif) इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात रहती थीं। ये SS-N-20 Sturgeon मिसाइलें 53 फीट लंबी और 8 फीट चौड़ी थीं। ये मिसाइलें इतनी विशाल थीं कि इन्हें ले जाने के लिए बनाई गई पनडुब्बी भी दुनिया में सबसे विशाल चाहिए थी। R-39 मिसाइलों में रॉकेट मोटर के प्रॉपलेंट में लिक्विड की जगह सॉलिड ब्लॉक का इस्तेमाल किया जाता था जो कुछ समय बाद बेकार हो जाता है। करीब 20 साल पहले Typhoons की मिसाइलें एक्सपायर हो गईं और कोल्ड वॉर खत्म होने के साथ रूस ने तय किया कि मोटर बदलने पर वह लाखों रुपये खर्च नहीं करेगा। तभी R-39M मिसाइल का बेहतर वर्जन लाने का प्लान छोड़ दिया गया और Typhoons का काम भी खत्म हो गया। अब सिर्फ Dmitry Donsky बची है।

Dmitry Donsky में मॉडर्न RSM-56 Bulava मिसाइल लगी है। इसकी रेंज 5 हजार मील है और यह 6 या ज्यादा MIRVs (मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री वीइकल्स) छोड़ सकती है। हालांकि, यह साफ नहीं है कि इसके सभी मिसाइल ट्यूब नई मिसाइल के लिए तैयार किए गए हैं या नहीं। रूस के रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक इसमें 20 मिसाइलों की क्षमता है लेकिन हाल ही में ऐसी खबरें आई हैं कि सिर्फ एक या दो ट्यूब्स को ही टेस्ट के लिए इस्तेमाल करने को अपग्रेड किया गया है। माना जा रहा है कि मंत्रालय ने नई START (स्ट्रटीजिक आर्म्स रिडक्शन ट्रीटी) के तहत ऐसी जानकारी दी है क्योंकि अब चालू और बंद, सभी ट्यूब की जानकारी देनी होती है।

हालांकि, अगर एक ट्यूब भी काम कर रहा है तो भी यह साफ है कि यह विशाल पनडुब्बी अभी भी ऐक्टिव है। यह रूस की नौसेना के युद्धाभ्यास में हिस्सा भी लेती है और न्यूक्लियर मिसाइलों की क्षमता के लिए इसे गिना भी जाता है। इसलिए भले ही अभी यह रूस के परमाणु हथियार के जखीरे में शामिल न हो, इसका इस्तेमाल किया भी जा सकता है। कुछ अपग्रेड और रेनोवेशन के साथ यह एक घातक हथियार साबित हो सकती है।

इसलिए जर्मनी ने ठुकराया
रिपोर्ट में कहा गया है कि जर्मनी ने पाकिस्तान को लेकर कड़ा रुख उसकी आतंकवाद को काबू में करने की नाकामी की वजह से अपनाया है। खासकर, 2017 में काबुल में जर्मनी के दूतावास पर हुए बम धमाके के दोषियों को सजा दिलाने में पाकिस्तान असफल रहा। करीब 150 लोगों की जान लेने वाले धमाके के पीछे हक्कानी नेटवर्क का हाथ था जिसे पाकिस्तान में समर्थन मिला है।

कुछ दिन पहले ही फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ‘ग्रे लिस्ट’ से बाहर आने की कोशिशों के तहत पाकिस्तान ने 88 प्रतिबंधित आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं पर कार्रवाई करने का ढोंग किया है। लेकिन इस लिस्ट में अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का नाम शामिल करके आखिरकार उसने एक तरह से मान लिया है कि दाऊद पाकिस्तान की जमीन पर ही है। इस लिस्ट में हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकियों और उनके संगठनों के नाम भी हैं।