
पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति व सैन्य प्रमुख परवेज मुशर्रफ को अदालत द्वारा मौत की सजा सुनाए जाने के बाद सेना व इमरान खान सरकार न्यायपालिका पर लगातार निशाना साध रही है। पाकिस्तानी सरकार खुलकर मुशर्रफ के समर्थन में उतर आई है, जिससे यह मुद्दा और गहरा गया है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री फवाद चौधरी ने शुक्रवार को मुशर्रफ को सुनाई गई सजा को लेकर न्यायपालिका पर हमला किया। पूर्व सैन्य प्रमुख को पाकिस्तान में आपातकाल लागू करने और न्यायिक प्रणाली को खत्म करने के लिए एक उच्च राजद्रोह मामले में एक विशेष अदालत द्वारा सजा सुनाई गई है। चौधरी ने कई ट्वीट करते हुए न्यायपालिका की जमकर आलोचना की। उन्होंने ट्वीट में कहा “सेना को विभाजित और कमजोर करने के लिए एक विशेष रणनीति के तहत लक्षित किया जा रहा है।”
उन्होंने कहा यह “परवेज मुशर्रफ का व्यक्तिगत मामला नहीं है, पाकिस्तानी सेना को एक विशिष्ट रणनीति के साथ निशाना बनाया गया है। पहले सेना और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) (तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान) मामले में शामिल की गईं। फिर सेना प्रमुख के विस्तार को विवादास्पद बना दिया गया और अब एक लोकप्रिय पूर्व सैन्य प्रमुख को नीचा दिखाया जा रहा है।”
यह बात उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में पाकिस्तान में हुए विभिन्न प्रकरणों के बीच संबंध स्थापित करते हुए कही। उन्होंने कहा घटनाओं का “यह क्रम कोई न्यायिक या कानूनी मामला नहीं है। यह इससे कहीं अधिक है। अगर सेना विभाजित या कमजोर होगी तो अराजकता से देश को बचाना संभव नहीं होगा।”
सेना का मजबूत तरीके से बचाव करते हुए चौधरी ने कहा “पाकिस्तानी सैन्य प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और वर्तमान सैन्य प्रणाली लोकतांत्रिक संस्थानों द्वारा खड़ी की गई है, लेकिन इस समर्थन को कमजोरी नहीं माना जाना चाहिए।” पाकिस्तान में यह बात व्यापक रूप से समझी जा रही है कि प्रधानमंत्री खान और सत्तारूढ़ पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई), सेना के नियंत्रण में है। खान को देश में सेना का चेहरा माना जाता है।
सरकार, सेना और पूर्व सैन्य तानाशाह मुशर्रफ के समर्थन में दृढ़ता से सामने आई है और उसने उच्च राजद्रोह के मामले में विशेष अदालत के फैसले के खिलाफ अपील में उनका बचाव करने का फैसला किया है। मुशर्रफ (76) फिलहाल दुबई में हैं, जहां वह अपनी गंभीर बीमारियों का इलाज करा रहे हैं।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website