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गाजा के लिए जहाज में मदद ले जा रहीं ग्रेटा थनबर्ग को इजरायल ने किया डिपोर्ट, दूसरे एक्टिविस्ट भी वापस भेजे गए

इजराइल के विदेश मंत्रालय ने कहा कि इजराइल ने मंगलवार को कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को निर्वासित कर दिया, एक दिन पहले ही वह गाजा जाने वाले जहाज पर सवार थीं, जिसे इजराइली सेना ने जब्त कर लिया था।
तेल अवीव: राहत सामग्री के साथ गाजा जाने वाली नौका पर सवार जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग सहित 12 यात्रियों को इजरायल ने डिपोर्ट कर दिया है। इसके लिए उनको बेन गुरियन हवाई अड्डे पर लाया गया, जहां से उनको वापस स्वीडन भेज दिया गया। ग्रेटा की नौका को इजरायली बंदरगाह अशदोद में जब्त कर लिया गया था। निर्वासन प्रक्रिया इजरायली बलों के समुद्र में इस जहाज को रोके जाने के बाद की गई है।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स के जरिए इजरायल के विदेश मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी। मंत्रालय ने लिखा, ‘सेल्फी यॉट’ के यात्री इजरायल से प्रस्थान करने और अपने देश लौटने के लिए बेन गुरियन हवाई अड्डे पर पहुंचे। वहीं, जो लोग निर्वासन दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने और इजरायल छोड़ने से इनकार करेंगे, उन्हें न्यायिक प्राधिकारी के समक्ष लाया जाएगा।’
क्यों जा रहा था समूह – एक्टिविस्ट्स का यह समूह, फ्रीडम फ्लोटिला गठबंधन (एफएफसी) द्वारा आयोजित एक मिशन का हिस्सा है, जो राशन और शिशु आहार सहित गाजा को महत्वपूर्ण सहायता पहुंचाने के लिए यात्रा पर निकला था। मैडलीन नामक नाव को कथित तौर पर गाजा के तट से लगभग 185 किलोमीटर पश्चिम में रोका गया था।
समूह द्वारा जारी किए गए एक वीडियो में इजरायली सेना को जहाज पर चढ़ते हुए दिखाया गया है, जबकि कार्यकर्ता अपने हाथ ऊपर उठाए खड़े हैं, उनमें से एक ने कहा कि ऑपरेशन के दौरान कोई भी घायल नहीं हुआ। जब्ती के बाद इजरायली रक्षा मंत्री कैट्ज ने कहा कि कार्यकर्ताओं को सोमवार शाम को चिकित्सा जांच के लिए ले जाया गया और उन्हें हमास के हमले की डॉक्युमेंट्री भी दिखाई गई।
एक्टिविस्ट ने क्या कहा है – एक्टिविस्ट ने कहा है कि सहायता मिशन पूरी तरह से मानवीय था, जिसका उद्देश्य गाजा को राहत पहुंचाना था। जहाज पर सवार लोगों में ब्राजील, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड, स्पेन, स्वीडन और तुर्की के नागरिक शामिल थे। ग्रेटा के अलावा, समूह में यूरोपीय संसद की फ़्रांसीसी सदस्य रीमा हसन और अल जजीरा के फ्रांसीसी पत्रकार उमर फयाद जैसे लोग शामिल थे।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों उन नेताओं में शामिल थे जिन्होंने दृढ़ता से आवाज उठाते हुए हिरासत में लिए गए कार्यकर्ताओं को तुरंत रिहा करने का इजरायल से आग्रह किया। मैक्रों ने विदेश में अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए फ़्रांस की प्रतिबद्धता पर जोर दिया और कहा कि देश सतर्क है और जब भी वे खतरे में होते हैं, तो अपने सभी नागरिकों के साथ खड़ा रहता है। मैक्रों ने गाजा पर मानवीय नाकेबंदी को एक घोटाला और अपमान करार दिया है।