
अमेरिका में मार्च में शुरू हुए साइबर हमले के बाद सरकारी नेटवर्क में गुपचुप तरीके से पैठ बनाने वाले हैकरों को बाहर निकालने में महीनों लग सकते है। विशेषज्ञों ने यह बात कही है। माना जा रहा है कि ये हैकर रूसी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकारी और निजी क्षेत्र की उन सभी प्रणालियों की विधिवत पहचान करने के लिए कुशल टीमों की कमी है जिनपर हैकिंग का शिकार होने का संदेह है।
विशेषज्ञों ने बताया गंभीर समस्या : अमेरिकी एजेंसियों में घुसपैठ का पता लगाने वाली साइबर सुरक्षा कंपनी ‘फायरआई’ पहले ही इस प्रकार दर्जनों घटनाओं के बारे में बता चुकी है और अन्य घटनाओं के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रही है। प्रसिद्ध साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ ब्रूस श्नेयर ने कहा कि हमारे सामने गंभीर समस्या है। हमें नहीं पता कि वे (हैकर) किस नेटवर्क में और कितनी गहराई तक घुसपैठ किये हुए हैं। वे कहां तक पहुंच रखते हैं।
हैकर्स को निकालने में लगेगा समय : साइबर सुरक्षा कंपनी क्राउड स्ट्राइक के सह संस्थापक तथा पूर्व प्रमुख तकनीकी अधिकारी दिमित्री एल्परोविच ने कहा कि हम उन्हें निकाल फेंकेंगे। इसमें बहुत समय लगेगा। वहीं श्नेयर ने कहा कि उनका सफाया करना पहला चरण होगा। नेटवर्क की सुरक्षा सुनिश्चित करने का केवल एक ही रास्ता है कि उसकी जड़ों में जाकर उसे फिर से खड़ा किया जाए।
बीते रविवार को अमेरिकी संस्थानों पर हुआ था हमला : गौरतलब है कि बीते रविवार को अमेरिका के वित्त एवं वाणिज्य विभाग पर साइबर हमले की जानकारी सामने आई थी। अधिकारियों का कहना था कि लगभग एक महीने से ये साइबर हमला जारी था जिसका पता रविवार को लग सका। आशंका जताई जा रही है कि ये साइबर हमला रूस ने किया है लेकिन रूस ने साफ़ इनकार किया है।
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