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बचपन में ही उड़ रहे हैं बाल, पहले समझें कारण और फिर करें इलाज

आमतौर पर 50 की उम्र के बाद लोगों के बाल झड़ते हैं लेकिन अब तो जवानी में ही नहीं बल्कि बचपन में भी कुछ बच्‍चों के बाल उड़ने शुरू हो जाते हैं। 12 साल और इससे कम उम्र के बच्‍चों को भी बाल झड़ने की शिकायत होने लगी है।
यह बच्‍चे में किसी स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या का तो इशारा करता ही है, साथ ही बच्‍चे को इमोशनली भी कमजोर कर सकता है। अगर आपके बच्‍चे के बाल झड़ रहे हैं, तो आप इसका कारण जानकर जल्‍दी इलाज शुरू करवा लें ताकि समय रहते परेशानी को बढ़ने से रोका जा सके।
आइए जानते हैं कि बच्‍चों में किन कारणों से बाल झड़ने की शिकायत होती है।
​टेलोजन एफ्लुवियम : इसमें स्‍थायी रूप से बाल झड़ने की समस्‍या है जो कि बच्‍चे के शारीरिक या भावनात्‍मक रूप से परेशान होने पर पैदा होती है जैसे कि बुखार या इंफेक्‍शन, चोट, स्‍ट्रेस और विटामिन का असंतुलन।
टेलोजन एफ्लुवियम में बच्‍चों के टेलोजन फेज से ज्‍यादा बाल झड़ते हैं। इस फेज में सामान्‍य तौर पर बच्‍चों के 100 बाल एक दिन में झड़ते हैं लेकिन टेलोजन एफ्लुवियम में 300 बाल दिन में झड़ सकते हैं। 6 महीने से एक साल के अंदर ये बाल वापस आ सकते हैं।
​एलोपेशिया : एलोपेशिया ट्रैक्‍शन बालों पर बहुत ज्‍यादा दबाव पड़ने की वजह से होता है। बहुत देर तक टाइट रबड़ बैंड लगाने या टाइट चोटी बनाने पर ऐसा हो सकता है। इसकी वजह से खुजली, स्‍कैल्‍प पर लालिमा और गंजेपन के बड़े निशान आ सकते हैं। बालों को प्रेशर कम करने पर यह परेशानी अपने आप कम हो सकती है।
एलोपेशिया एरिएटा एक ऑटोइम्‍यून डिजीज है जिसमें इम्‍यून सिस्‍टम अपने ही हेयर फॉलिकल्‍स पर अटैक करने लगता है। इसमें पूरी तरह से गंजापन हो जाता है और आईब्रो और पलकों के बाल भी झड़ने लगते हैं।
​पोषक की कमी : बच्‍चों में आयरन, जिंक, बायोटिन, नाइसिन और प्रोटीन जैसे जरूरी पोषक तत्‍वों की कमी की वजह से बच्‍चों के बाल झड़ने लगते हैं। पोषण की कमी के कारण बच्‍चों में बुलिमिया और एनोरेक्‍सिया जैसे ईटिंग विकार होने लगते हैं। इसके अलावा बच्‍चों में थायराइड, डायबिटीज मेलिटस, एनीमिया आदि की वजह से बाल झड़ सकते हैं।
​डॉक्‍टर को कब दिखाएं : स्‍कैल्‍प पर खुजली या लालिमा, आइब्रो और पलकों के बाल झड़ने, स्‍कैल्‍प पर गंजेपन के निशान आने, जरूरत से ज्‍यादा बाल झड़ने और स्‍कैल्‍प पर चोट लगने जैसे लक्षण दिखने पर आपको तुरंत डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए।
इस स्थिति में बच्‍चे का स्‍ट्रेस कम करने की कोशिश करें और उसके आत्‍मविश्‍वास को बढ़ाएं।