दक्षिण अफ्रीका में अवैध सोने के खनिक नौ महीने तक एक सोने की खदान में फंसे रहे। पुलिस के खाद्य और जल आपूर्ति बंद कर देने के बाद उन्हें जीवित रहने के लिए नरभक्षण करना पड़ा। आपातकालीन बचाव दल की टीम ने 246 जीवित और 78 मृतकों को निकाला है।
दक्षिण अफ्रीका की एक गहरी सोने की खदान में करीब नौ महीने तक फंसे रहे मजदूरों ने बताया है कि कैसे वह लोग इस वक्त में जिंदा रहे। बफेल्सफोन्टेन गोल्ड माइन नाम की खदान में ये अवैध मजदूर बीते साल पुलिस के साथ गतिरोध के बाद बंद हो गए थे। जमीन से एक मील नीचे फंसे इन खनिकों को हाल ही में निकाला गया है। बाहर आने के बाद इन्होंने बताया है कि नरभक्षण (इंसान का मांस खाकर) का सहारा लेकर वो लोग जिंदा रहे। इन मजदूरों ने पेट भरने के लिए अपने साथियों का मांस खाया।
जोहान्सबर्ग से 150 किमी दूर स्थित इस खदान से बचावकर्मियों ने पिछले हफ्ते 78 शव निकाले गए हैं और 246 मजदूर जिंदा निकले हैं। जिंदा बचे लोगों में दो ने खदान में जीवित रहने के लिए की गई चीजों के बारे में बताया है। द टेलीग्राफ से बात करते हुए इन्होंने कहा कि कई लोगों ने भुखमरी से बचने के लिए इंसानी मांस का सहारा लिया। इनमें से एक ने कहा कि पुलिस ने खाने-पीने की चीजों तक पहुंच रोक दी थी। इसलिए जो लोग मर गए थे, उनका मांस हमें खाना पड़ा।
‘पैरों के टुकड़े काटकर खाए’ – खदान से निकले एक शख्स ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, ‘जीवित रहने के लिए पैरों, बाहों और पसलियों के टुकड़े काटे और खाए क्योंकि जिंदा रहने का यही एकमात्र विकल्प बचा था। एक व्यक्ति ने कहा कि उसने खुद जीवित रहने के लिए इंसानी मांस नहीं खाया। उसने बताया कि वह तिलचट्टे खाकर अपना पेट भर लेता था।
बीबीसी से बात करके हुए एक बचावकर्मी ने कहा, ‘खदान में मैंने जिस तरह से सड़ती हुई लाशें देखीं, वह बहुत मुश्किल वक्त था। शवों से ऐसी बदबू आ रही थी कि इंसान पागल हो जाए। वहां जिंदा मिले लोगों ने मुझसे कहा कि खदान के अंदर दूसरे लोगों का मांस खाना पड़ा क्योंकि उनके सामने कोई रास्ता नहीं था। मैंने पाया कि वे तिलचट्टे भी खा रहे थे।’
पुलिस ने कर दी थी नाकेबंदी – खदान में फंसे ये लोग अवैध तरीके से खदानों में प्रवेश करते हैं। इन लोगों को बाहर निकालने के लिए पुलिस ने अगस्त में नाकाबंदी करते हुए भोजन की सप्लाई रोक दी थी। इसके बाद करीब 1,300 खनिक स्वेच्छा से खदान से बाहर आ गए। वहीं 300 से ज्यादा लोग अंदर ही फंस गए। ये लोग छह महीने तक खदान में रहे और इस दौरान बहुत से लोगों की मौत पानी और भोजन ना मिलने से हो गई। वहीं कुछ लोगों ने किसी तरह से खुद को बचा लिया।
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