
साल था 2016। क्यूबा में अमेरिकी दूतावास को खुले हुए एक साल ही बीता था कि अचानक वहां तैनात अमेरिकी अधिकारियों को रहस्यमयी स्वास्थ्य समस्या होने लगी। मिशन में तैनात अधिकारियों और उनके परिजनों को अचानक कमजोरी महसूस होने लगी। साल 2021 में जब अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस वियतनाम के दौरे पर जाने वाली थी, इसके ठीक पहले हनोई में तैनात अमेरिकी दूतावास के अधिकारियों को भी ऐसी ही स्थिति का सामना करना पड़ा था। अब एक जांच में सामने आया है कि अमेरिकी अधिकारियों की इस हालत के पीछे रूस का हाथ था।
अमेरिकी न्यूज चैनल सीबीएस के प्रोग्राम में 60 मिनट्स की नई जांच रिपोर्ट में अमेरिकी अधिकारियों और उनके परिवार के सदस्यों पर हुए हमलों के लिए रूसी लिंक का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, हैरिस के हनोई पहुंचने के पहले अलग-अलग घटनाओं में 11 लोगों को निशाना बनाया गया था, जिन्हें असामान्य स्वास्थ्य स्थिति का सामना करना पड़ा था। जो लोग इससे प्रभावित हुए थे, उनमें हनोई में अमेरिकी दूतावास के अधिकारी और उपराष्ट्रपति की यात्रा की तैयारी कर रहे रक्षा विभाग की अग्रिम टीम के सदस्य थे।
रूस की जीआरयू यूनिट ने कराए थे हमले – हालांकि, हवाना सिंड्रोम के सटीक कारणों की अभी तक पुष्टि नहीं की गई है लेकिन 60 मिनट्स ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उसके पास ऐसे साक्ष्य है जो ये बताते हैं कि विदेशों में अमेरिकी अधिकारियों पर हुए स्वास्थ्य हमलों के पीछे रूसी सेना की खतरनाक जीआरयू यूनिट शामिल है। एक्सपर्ट के अनुसार, लक्षित ध्वनि या माइक्रोवेव हमलों के बाद अधिकारियों में इस सिंड्रोम के लक्षण देखे गए। हनोई के केस का हवाला देते हुए कहा गया है कि ऐसा माना जाता है कि हवाना सिंड्रोम हमले के लिए वियतनामी लोगों को कोई तकनीक दी गई थी। स्टडी में पाया गया है कि कोई था, जिसने वियतनामी लोगों को इस टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल के बारे में बताया था। इसके रूसी होने की सबसे अधिक संभावना है।
द इनसाइडर के अनुसार, कमला हैरिस की हनोई यात्रा से 5 महीने पहले रूस की सुरक्षा परिषद को एक ईमेल भेजा गया था। इस ईमेल के अनुसार, रूसी खुफिया विभाग ने वियतनामी सुरक्षा सेवाओं के लिए एक विशेष तकनीक साझा करने की अनुमति हासिल की थी। इनमें एलआरएडी ध्वनि छोड़ने वाले और इंसानी शरीर को स्कैन करने के लिए शॉर्ट वेव उपकरण शामिल थे।
क्या है हवाना सिंड्रोम? – हवाना सिंड्रोम को पहली बार क्यूबा में रिपोर्ट किया गया था। जब वहां की राजधानी हवाना में तैनात अमेरिकी और कनाडा के अधिकारियों को अज्ञात स्वास्थ्य समस्या होने लगी। सबसे पहले हवाना में इस मामले को रिपोर्ट किए जाने की वजह से इसे हवाना सिंड्रोम कहा जाता है। ये क्यूबा तक ही सीमित नहीं रहा और अगले एक साल में अमेरिकी अधिकारियों ने विभिन्न देशों से इस तरह के लक्षणों की सूचना दी। इनमें चीन, भारत, यूरोप और खुद वाशिंगटन डीसी में भी काम करने वाले अधिकारी थे। हवाना सिंड्रोम के कुछ लक्षणों में चक्कर आना, माइग्रेन जैसी समस्या थी। वहीं कुछ अधिकारियों ने मेमोरी लॉस और कम दिखाई देने जैसी समस्या भी बताई थी। जांच में उन अधिकारियों से भी बात की गई थी, जिन्होंने विदेशों में तैनाती के दौरान अपने घरों में अजीब आवाज सुनने की सूचना दी थी।
भारत में मिला था हवाना सिंड्रोम का मामला – भारत में साल 2021 में हवाना सिंड्रोम का एक मामला सामन आया था, जब एक अमेरिकी खुफिया अधिकारी सीआईए निदेशक विलियम बर्न्स के साथ नई दिल्ली की यात्रा कर रहा था। 2021 की जुलाई में बेंगलुरु के एक निवासी ने हवाना सिंड्रोम की जांच और माइक्रोवेट ट्रांसमिशन की रोकथाम के लिए कर्नाटक उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने केंद्र को इस सिंड्रोम पर गौर करने का निर्देश दिया था, जिसके बाद केंद्र सरकार ने सिंड्रोम की मौजूदगी की संभावना की जांच के लिए सहमति जताई थी।
Home / News / हवाना सिंड्रोम: भारत से लेकर क्यूबा तक रहस्यमय तरीके से बीमार हुए अमेरिकी डिप्लोमैट, रूसी खुफिया हमले का बड़ा खुलासा
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website