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कैसे हुआ था ज्योतिर्लिंग का निर्माण यहां जानें वो रहस्य


भगवान शिव के ज्योतिर्लिंग का ही नाम है ज्योति पिंड। पुराणों में उल्लेखित तथ्यों के अनुसार, ज्योतिर्लिंग यानी ‘व्यापक ब्रह्मात्मलिंग’ जिसका अर्थ है ‘व्यापक प्रकाश’। शिवलिंग के 12 खंड हैं।

शिवपुराण में वर्णित है कि ब्रह्म, माया, जीव, मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार, आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी को ज्योतिर्लिंग या ज्योति पिंड कहा गया है।

संभवतः आदिमानव भी पूजते थे शिवलिंग

– ऐतिहासिक प्रमाणों के अनुसार विक्रम संवत के कुछ सहस्राब्‍दी पूर्व संपूर्ण धरती पर उल्कापात का अधिक प्रकोप हुआ।

– आदिमानव को यह रुद्र (शिव) का आविर्भाव दिखा। जहां-जहां ये पिंड गिरे, वहां-वहां इन पवित्र पिंडों की सुरक्षा के लिए मंदिर बना दिए गए।

– इस तरह धरती पर हजारों शिव मंदिरों का निर्माण हो गया। उनमें से प्रमुख थे 108 ज्योतिर्लिंग। लेकिन वर्तमान में 12 ज्योतिर्लिंग मौजूद हैं।

कुछ इस तरह पृथ्वी पर आए ज्योति पिंड

– शिव पुराण के अनुसार उस समय आकाश से ज्‍योति पिंड पृथ्‍वी पर गिरे और उनसे थोड़ी देर के लिए प्रकाश फैल गया।

– इस तरह के अनेक उल्का पिंड आकाश से धरती पर गिरे थे।

– हजारों पिंडों में से प्रमुख 12 पिंड को ही ज्योतिर्लिंग में शामिल किया गया।

– हालांकि कुछ ऐसे भी ज्योतिर्लिंग हैं जिनका निर्माण स्वयं भगवान शिव ने किया।