
यूरोप में चल रही भीषण हीटवेव के कारण आने वाले समय में लोगों को महंगाई की दोहरी मार झेलनी पड़ सकती है. यूरोप के लोग पहले ही रूस के यूक्रेन पर किए गए हमले के कारण ईंधन की बढ़ती कीमतों से पैदा महंगाई के संकट का सामना कर रहे हैं. यूरोपीय यूनियन के नेता ऊर्जा संकट का कोई हल निकालने के लिए लगातार कोशिश कर रहे हैं. लेकिन अब उनके सामने आलू और पनीर जैसी चीजों के बढ़ने वाले दाम से निपटने की भी चुनौती होगी. जिसका जिम्मेदार मौजूदा हीटवेव को माना जा रहा है.
न्यूज एजेंसी रायटर्स की एक खबर के मुताबिक इस हीटवेव के कारण यूरोप में हाल के समय में आलू की सबसे खराब फसल होने का अनुमान है. जिससे कई लोकप्रिय खाद्य पदार्थों के लिए कीमतों में और बढ़ोतरी का खतरा है. जबकि ग्राहक बढ़ती हुई महंगाई से पहले से ही परेशान हैं. इस साल रिकॉर्ड तापमान और पिछले 500 साल में यूरोप में पड़े सबसे खराब सूखे से आलू की फसलों करीब-करीब बर्बाद हो गई है. विश्व आलू बाजार के विश्लेषकों के अनुसार मौजूदा हीटवेव यूरोपीय संघ के उत्पादन को सबसे निचले स्तर पर धकेल सकती है, जो कि इसी तरह सूखा से प्रभावित साल 2018 में देखा गया था.
बढ़ती ऊर्जा और खाद्य पदार्थों की कीमतों ने मुद्रास्फीति दर को यूरो क्षेत्र में बढ़कर 9% हो गया है. जो पिछली आधी सदी में नहीं देखा गया था. फ्रांस में आलू की पैदावार 20 साल के औसत से कम से कम 20% घट सकती है. सिंचाई ने भले ही सूखे के असर को कम कर दिया है, लेकिन फिर भी पौधे लगातार गर्म मौसम में सूख गए हैं. गर्मी से आलू की पैदावार और गुणवत्ता दोनों खराब होते हैं. जो आलू की प्रोसेसिंग के लिए नया सिरदर्द पैदा कर सकता है. इसी तरह बेल्जियम आलू की फसल में 30% तक की गिरावट का अनुमान है.
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website