भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल रूस की यात्रा पर पहुंचे हैं। यहां डोभाल की रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात हुई। दोनों की एक प्राइवेट मीटिंग हुई। इसमें अजीत डोभाल नें पीएम मोदी का संदेश पुतिन को दिया है। साथ ही पुतिन ने कहा कि वह पीएम मोदी का इंतजार कर रहे हैं।
भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल रूस की यात्रा पर पहुंचे हैं। इस दौरान रूस और भारत की दोस्ती देखने को मिली है। डोभाल ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की। मुलाकात भी कोई ऐसी वैसी नहीं रही। पुतिन और डोभाल की अकेले मीटिंग हुई, जिसमें दोनों एक मेज पर साथ दिखे। हाल ही में पीएम मोदी की यूक्रेन यात्रा से जुड़ा संदेश भी डोभाल ने पुतिन को दिया। यह दिखाता है कि भारत नहीं चाहता कि पीएम मोदी की यात्रा का किसी भी तरह का कोई और अर्थ रूस की ओर से निकाला जाए। मुलाकात के दौरान रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि वह इस साल के अंत में कजान (रूस) में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पीएम मोदी का इंतजार कर रहे हैं।
उन्होंने भारतीय पीएम के साथ द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन आयोजित करने का भी प्रस्ताव रखा। रूसी सरकारी मीडिया आउटलेट स्पुतनिक और TASS ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि राष्ट्रपति पुतिन ने डोभाल के साथ मुलाकात के दौरान पीएम मोदी से बातचीत की इच्छा जताई। विदेश मंत्रालय ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार एनएसए अजीत डोभाल गुरुवार को सेंट पीटर्सबर्ग में रूसी राष्ट्रपति पुतिन से मिले। डोभाल 10-12 सितंबर तक होने वाली ब्रिक्स और ब्रिक्स प्लस उच्च स्तरीय सुरक्षा अधिकारियों की मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे।
यूक्रेन युद्ध के बीच पहुंचे डोभाल – अजीत डोभाल की रूस यात्रा ऐसे समय पर हुई है जब यूक्रेन का युद्ध लगातार बढ़ता जा रहा है। यात्रा के दौरान यूक्रेन में युद्ध और शांति प्रयासों पर चर्चा की उम्मीद है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने इस महीने की शुरुआत में कहा था कि चीन, भारत और ब्राजील यूक्रेन पर संभावित शांति वार्ता में मध्यस्त के तौर पर काम कर सकते हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि संघर्ष में फंसे 6 भारतीयों को रूस ने हाल ही में रिहा कर दिया है। रूस से रिहा किए गए कुल भारतीयों की संख्या 45 तक पहुंच गई है।
ब्रिक्स की जरूरत क्यों? – डोभाल जब रूस में हैं तो वहीं दूसरी ओर विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर जिनेवा पहुंचे हैं। यहां उनसे एक बातचीत में सवाल किया गया कि आखिर ब्रिक्स की जरूरत ही क्यों है? इस पर उन्होंने करारा जवाब दिया। डॉ. जयशंकर ने कहा कि अगर जी-20 के अस्तित्व में रहते हुए जी-7 अस्तित्व में रह सकता है, तो ऐसा कोई कारण नहीं कि ब्रिक्स का अस्तित्व न हो। उन्होंने कहा कि आपने हमें अपने क्लब (जी-7) में शामिल नहीं होने दिया, इसलिए हमने अपना बना लिया। ब्रिक्स की स्थापना ब्राजील, रूस, भारत और चीन ने की थी और यह दुनिया की जीडीपी का 27 फीसदी कंट्रोल करते हैं। जनवरी 2024 में पांच नए देश ईरान, सऊदी अरब, मिस्र, संयुक्त अरब अमीरात और इथियोपिया इसमें जोड़े गए।
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