Tuesday , July 1 2025 6:04 AM
Home / News / मुझे लगा था गाजा से मेरी लाश जाएगी… हमास की कैद से रिहा हुईं इजरायली महिला बंधकों ने पहली बार बताया खौफनाक अनुभव

मुझे लगा था गाजा से मेरी लाश जाएगी… हमास की कैद से रिहा हुईं इजरायली महिला बंधकों ने पहली बार बताया खौफनाक अनुभव


गाजा में हमास की कैद में एक साल से ज्यादा (471 दिन) की कैद के बाद रिहा हुई तीन इजरायली महिलाओं ने अपने अनुभव साझा किए हैं। महिलाओं ने बताया कि उनको रिहाई के कुछ घंटे पहले ही इस बात की जानकारी मिली थी कि वो घर लौट रही हैं।
गाजा में युद्धविराम होने के बाद रविवार को तीन इजरायली महिला बंधक अपने देश लौटी हैं। गाजा में हमास के चंगुल से 471 दिनों बाद रिहा हुईं तीनों इजरायली महिलाओं ने देश लौटने के बाद अपनी आपबीती सुनाई है। 24 साल की रोमी गोनन, 28 वर्षीय एमिली डमारी और 31 वर्षीय डोरोन स्टीनब्रेचर ने बताया है कि 15 महीनों का ये वक्त उनके लिए कितना मुश्किल था और किस तरह के हालात में उनको गाजा में रहना पड़ा। महिलाओं ने कैद के दौरान हमास लड़ाकों के बर्ताव का भी खुलासा किया है। इस दौरान उनको कई बार कभी ना छूट पाने का डर लगता था तो कई बातें उनकी उम्मीदों भी देती थीं।
टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक, 7 अक्टूबर, 2023 को किबुत्ज रीम के पास सुपरनोवा रेव में हमले के बाद हमास ने 250 लोगों को किडनैप किया था। इनमें रोमी गोनन, एमिली दामारी और डोरोन स्टीनब्रेचर भी शामिल थीं। रिहाई के बाद इजरायल लौटीं महिलाओं ने बताया कि उन्हें कैद के दौरान गाजा में कई जगहों पर ले जाया गया। हमें ढूंढ़ा ना जा सके, इसलिए लगातार हमीरी जगह बदलती रहती थी। इनमें दक्षिण गाजा के ‘मानवीय क्षेत्र’ भी शामिल है।
सुरंगों में गुजरा ज्यादातर वक्त – इजरायली बंधकों ने बताया है कि वे ज्यादातर समय जमीन के नीचे कैद में रहीं। कभी-कभी उन्हें टेलीविजन और रेडियो पर समाचार देखने-सुनने को मिलते थे। इनमें बंधकों की रिहाई के लिए सरकार से अपील करते हुए विरोध प्रदर्शन भी शामिल थे। ये हमारा हौसला बढ़ाता था कि हमारे लोग संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि इन 15 महीनों में कई बार ऐसा भी हुआ कई दिनों तक सूरज की रोशनी देखने को नहीं मिली। ये वक्त हमें डिप्रेशन की तरफ धकेल देता था। कई बार ये ख्याल आता था कि शायद ही हम जिंदा लौट पाएंगे लेकिन फिर परिवार का ख्याल हौसला बढ़ाता था।
स्टीनब्रेचर ने कहा कि मैं घर लौट आई हूं, इसका मतलब यह नहीं है कि दूसरों को घर नहीं आना चाहिए। हमें बाकी बंधकों के लिए सड़कों पर उतरकर संघर्ष करना होगा। हमें इस समझौते के सभी चरणों को पूरा करना होगा। रिहा हुई बंधक एमिली के भाई टॉम दामारी ने गाजा में हमास से लड़ने वाले सैनिकों सैनिकों को धन्यवाद दिया। उनकी मां मैंडी दामारी, जो एक ब्रिटिश नागरिक हैं, ने बताया कि एमिली एक मजबूत लड़की है।