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मैं अपनी पूरी ताकत से लड़ूंगा… इजरायली सेना पर अमेरिका की सख्ती से भड़के नेतन्याहू, प्रतिबंधों को न मानने की खाई कसम


अमेरिका इजरायल की एक यूनिट पर प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है, जिससे बाद इजरायली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू भड़क गए हैं। उन्होंने किसी भी प्रतिबंध को अस्वीकार करने की कसम खाई है। प्रधानमंत्री ने रविवार को कहा, ‘मैं अपनी पूरी ताकत से इससे लड़ूंगा।’ इससे पहले समाचार साइट एक्सियोस ने कहा था कि अमेरिका वेस्ट बैंक में कथित मानवाधिकार उल्लंघन के लिए इजरायल की नेत्जाह येहुदा (Netzah Yehuda) बटालियन पर एक्शन लेगा। अमेरिका अगर प्रतिबंध लगाता है तो यूनिट को सहायता नहीं मिलेगी।
पिछले सप्ताह अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन से इससे जुड़ा सवाल पूछा गया था। उनसे पूछा गया कि क्या वेस्ट बैंक में मानवाधिकारों के हनन के आरोपों पर इजरायली रक्षा बलों की इकाई पर अमेरिकी सैन्य सहायता में कटौती की जा सकती है? इसपर ब्लिंकन ने कहा, ‘मैंने दृढ़ संकल्प लिया है, आप आने वाले दिनों में यह देखने की उम्मीद कर सकते हैं।’ अमेरिका इजरायल का सबसे प्रमुख सहयोगी है, जिसने पहले कभी भी इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) की यूनिट की सहायता निलंबित नहीं की है।
क्या बोला इजरायल – इजरायली सेना ने कहा है कि नेत्जाह येहुदा अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के तहत काम कर रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक सेना ने कहा, ‘बटालियन के खिलाफ प्रतिबंधों के बारे में IDF को पता नहीं है। आईडीएफ व्यावहारिक तरीके से और कानून के अनुसार किसी भी असामान्य घटना की जांच के लिए काम करता है और करता रहेगा।’ इजरायली रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने अमेरिका से नेत्जाह येहुदा पर प्रतिबंध लगाने का अपना इरादा छोड़ना का आह्वान करते हुए कहा कि दुनिया अमेरिका और इजरायल के बीच संबंधों को पहले से कहीं अधिक करीब से देख रही है। गैलेंट ने एक बयान में कहा, ‘पूरी यूनिट पर प्रतिबंध का असर आईडीएफ पर भारी पड़ेगा। पार्टनर्स और दोस्तों के लिए यह सही रास्ता नहीं है।’
मानवाधिकार उल्लंघन के लगे आरोप – नेत्जाह येहुदा की स्थापना 1999 में की गई थी। यह एक विशेष यूनिट है, जिसमें अति-रूढ़िवादी यहूदी पुरुष सेवा देते हैं। वेस्ट बैंक में कथित दुर्व्यवहार को लेकर यह प्रतिबंध लगाने की योजना बन रही है। एक घटना की बात करें तो जनवरी 2022 में 80 वर्षीय फिलिस्तीनी-अमेरिकी उमर असद को वेस्ट बैंक में तलाशी के दौरान इजरायली सैनिकों ने बांध दिया था। इससे उनकी मौत हो गई थी। उस समय अमेरिका ने इस पूरे मामले की आपराधिक जांच और पूर्ण जवाबदेही का आह्वान किया था।