
आचार्य चाणक्य की राजनीति में गहरी पकड़ थी। चाणक्य की नीतियां आज भी व्यक्ति को ज़मीन से आसमान तक पहुंचाने की हिम्मत रखती है। इन्होंने अपनी नीतियों से मानव को यह बताना चाहा है कि कैसे केवल छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर वह अपने जीवन को ऊंचाईयों पर पहुंच सकता है। लेकिन जीवन में कुछ एेसे हालात पैदा हो जाते हैं, जहां व्यक्ति कोई भी फ़ैसला नहीं ले पाता है। आचार्य ने एेसे हालात बताएं हैं जहां से इंसान को भाग जाना चाहिए। आइए जानें-
उपसर्गेऽन्यचक्रे च दुर्भिक्षे च भयावहे।
असाधुजनसंपर्के य: पलायति स जीवति।।
इस श्लोक में बताया है कि यदि किसी स्थान पर दंगा हो जाता है तो उस स्थान से तुरंत भाग जाना चाहिए। यदि दंगे वाले क्षेत्र में खड़े रहेंगे तो लोगों की हिंसा का शिकार हो सकते हैं। साथ ही शासन-प्रसाशन द्वारा उपद्रवियों के खिलाफ की जाने वाली कार्यवाही में भी फंस सकते हैं। अत: ऐसे स्थान से तुरंत भाग निकलना चाहिए।
अगर किसी राज्य पर किसी दूसरे राजा ने आक्रमण कर दिया है और हमारी सेना की हार तय हो गई है तो ऐसे राज्य से भाग जाना चाहिए। अन्यथा शेष पूरा जीवन दूसरे राजा के अधीन रहना पड़ेगा या प्राणों का संकट भी खड़ा हो सकता है। आज के दौर की बात देखी जाए तो यदि हमारा कोई शत्रु है और वह हम पर पूरे बल के साथ हमला कर देता है तो हमें वहां से तुरंत भाग निकलना चाहिए।
यदि किसी क्षेत्र में अकाल पड़ गया हो और खाने-पीने, रहने के संसाधन समाप्त हो गए हो तो ऐसे स्थान से तुरंत भाग जाना चाहिए। यदि हम अकाल वाले स्थान पर रहेंगे तो निश्चित ही प्राणों का संकट खड़ा हो जाएगा।
यादि किसी जगह पर कोई नीच व्यक्ति आ जाए तो उस स्थान से किसी भी प्रकार भाग निकलना चाहिए। नीच व्यक्ति की संगत किसी भी पल परेशानियों को बढ़ा सकती है।
IndianZ Xpress NZ's first and only Hindi news website