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यूक्रेन युद्ध खत्म हुआ तो भारत में कौड़ियों के दाम बिकेंगे पेट्रोल-डीजल? सऊदी-UAE के अच्छे दिन हो जाएंगे खत्म, समझिए मिडिल ईस्ट का दर्द


यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद सऊदी अरब ने तेल का प्रोडक्शन काफी कर दिया था। भारत की अपील के बाद भी सऊदी ने कच्चे तेल का प्रोडक्शन नहीं बढ़ाया। सऊदी की कोशिश तेल की कीमतों को काफी ऊंचा ले जाना था। अगर रूस भारत को कच्चा तेल ऑफर नहीं करता तो भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम आसमान छू सकते थे।
डोनाल्ड ट्रंप लगातार युद्ध को खत्म करने के लिए रूस और यूक्रेन से बात कर रहे हैं। हालांकि अगर उनके प्रस्ताव के मुताबिक ही युद्ध खत्म होता है तो वो यूक्रेन को अपाहिज बनाने वाला होगा। लेकिन यूरोप में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ओर्बन ने फरवरी में चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा है, कि अमेरिका 6 महीने से भी कम समय में यूक्रेन में युद्ध को खत्म कर सकता है। वहीं यूक्रेन के एक सांसद ने कहा है कि अमेरिकी हथियारों की शिपमेंट रोक दी गई है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर अमेरिकी हथियारों का पहुंचना बंद होता है तो यूक्रेन के लिए जंग लड़ना काफी मुश्किल हो जाएगा।
युद्ध को खत्म करने के लिए डोनाल्ड ट्रंप इस महीने के अंत तक रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर सकते हैं। लेकिन उनकी कोशिशों ने यूरोप को झकझोर कर रख दिया है। वहीं खाड़ी देश इस युद्ध के खत्म होने से काफी उदास हो सकते हैं, क्योंकि इसका सीधा असर तेल की कीमतों पर पड़ सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि जब अमेरिका और यूरोपीय संघ ने रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाया तो तेल की कीमतों पर सीधा असर पड़ा और खाड़ी देशों को इसका जबरदस्त फायदा हुआ। ओपेके प्लस ने तेल का उत्पादन कम कर दिया, ताकि तेल की कीमतों में उछाल आए। आपको बता दें कि ओपेक+ तेल उत्पादन करने वाले देशों का संगठन है, जिसका नेतृत्व एक तरह से सऊदी अरब करता है।
यूक्रेन युद्ध खत्म होने से सऊदी होगा उदास – यूक्रेन युद्ध अगर खत्म होता है तो इसका सीधा मतलब तेल से लेकर धातु और उर्वरक जैसी जरूरी चीजों के दाम अचानक से कम होंगे। इसके अलावा प्राकृतिक गैस की कीमतों में भी भारी कमी आएगी। इंटेलिजेंस फर्म केप्लर में कच्चे तेल के एक्सपर्ट विक्टर कैटोना ने मिडिल ईस्ट आई की एक रिपोर्ट में कहा है कि “युद्ध खत्म होने से रूस की स्थिति सामान्य होगी और उससे कमोडिटी बाजार का बड़ा हिस्सा फिर से आसानी से उपलब्ध हो जाएगा। जाहिर तौर पर तेल कीमतों में भारी कमी आएगी।” हालांकि ये काफी हद तक इस बात पर निर्भर करता है कि क्या अमेरिका, युद्ध खत्म होने के बाद रूस पर लगाए गये प्रतिबंधों को कम करता है या नहीं? डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने पिछले हफ्ते सऊदी के रियाद में रूसी अधिकारियों से मुलाकात के बाद कहा है कि युद्ध खत्म होने के बाद समझौते के रूप में रूस पर लगाए गये प्रतिबंधों को खत्म किया जाएगा।
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात के बाद अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने कहा कि “संघर्ष की वजह से प्रतिबंध लगाए गये थे और किसी भी संघर्ष को खत्म करने के लिए सभी पक्षों को रियायतें मिलनी चाहिए।” जाहिर तौर पर उनका इशारा प्रतिबंधों को लेकर था। ऐसे में अगर तेल इंडस्ट्री की बात करें तो प्रतिबंध हटने से वो देश, जिन्हें रूसी तेल खरीदना बंद करना पड़ा था, वो एक बार फिर से रूसी तेल खरीदना शुरू करेंगे और मिडिल ईस्ट से तेल निर्यात पर इसका असर पड़ेगा।
कितनी कम हो सकती है तेल की कीमतें? – इस हफ्ते बैंक ऑफ अमेरिका के एक्सपर्ट्स ने एक नोट में कहा है कि यूक्रेन युद्ध में शांति समझौते का मतलब है कि ब्रेंट क्रूड की कीमतें 5 से 10 डॉलर प्रति बैरल सस्ती हो सकती हैं। कीमतों में आई ये कमी काफी महत्वपूर्ण है। शुक्रवार दोपहर को भी तेल की कीमतों में गिरावट को दर्ज किया गया है। ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतों में 2 प्रतिशत की कमी आई है और ये 74.96 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था। विक्टर कैटोना ने कहा, कि यूक्रेन में युद्ध का खत्म होना “कीमतों के लिए मंदी” का मतलब साबित होगा। उन्होंने कहा कि युद्ध खत्म होने के बाद “रूस ज्यादा तेल का उत्पादन नहीं करेगा, क्योंकि उनके पास बहुत ज्यादा अतिरिक्त क्षमता नहीं है, लेकिन सिस्टम के पास विकल्प खुल जाएंगे। सप्लाई चेन सही हो जाएगा।” उन्होंने कहा कि “साल 2025 के अंत में तेल की कीमत अभी की तुलना में सस्ती होगी।”